हाइलाइट्स
महाभारत विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है, जिसमें 1 लाख श्लोक हैं.
महाकाव्य महाभारत के रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास हैं.
Vedas: वेद क्या है, ये हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले अधिकतर लोगोंं को पता होगा. सामान्य भाषा में वेद का अर्थ होता है- ज्ञान. वेद ही दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ हैं. इन्हीं के आधार पर दुनिया में मजहब-संप्रदायों की उत्पत्ति हुई, जिन्होंने वेदों के ज्ञान को अपने-अपने तरीके से भिन्न-भिन्न भाषाओं-सभ्यताओं में प्रचारित किया. सनातन धर्म कहता है कि वेद स्वयं ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुनाए गए ज्ञान पर आधारित हैं, इसलिए उसे श्रुति कहा गया.
वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान है. वेदों की संख्या 4 है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद. पंडित रामचंद्र जोशी बताते हैं कि वेद 4 ही हैं किंतु धर्मग्रंथ और महाकाव्य अनेक हैं. विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य महाभारत है. हिंदू धर्म में महाभारत को ही 5वां वेद कहा गया है. महाभारत के रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास हैं. महर्षि वेदव्यास ने इस ग्रंथ के बारे में स्वयं कहा है- यन्नेहास्ति न कुत्रचित्. अर्थात् जिस विषय की चर्चा इस ग्रंथ में नहीं की गई है, उसकी चर्चा अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है.
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श्रीमद्भागवतगीता जैसा अमूल्य रत्न भी इसी महाकाव्य (महाभारत) की देन है. इस ग्रंथ में कुल मिलाकर 1 लाख श्लोक हैं, इसलिए इसे शतसाहस्त्री संहिता भी कहा जाता है. मथुरा में ढाई दशक से श्रीमद्भागवतगीता का अध्ययन कर रहे श्री भगवानसिंह दास ठाकुर कहते हैं कि, महाभारत को महाकाव्य या इतिहास ग्रंथ भी कहा जाता है, मैं इसे एक धर्मकोश मानता हूं; जिसमें तत्कालीन सामाजिक राष्ट्रीय और अन्य पहलुओं पर प्रकाश डालने वाले सभी विचारों का समावेश किया किया गया है. महाभारत से पूर्व विद्यमान ग्रंथों में जिन विषयों का विवेचन किया है; उन सब का सूक्ष्म दर्शन इस ग्रन्थ में मिलता है.
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इस ग्रंथ के आदिपर्व में महाभारत की महत्ता स्थापित करते हुए कहा गया है:
इदं हि वैदे: समिताम पवित्रमापी चोत्तमम।
श्रावणामुत्तमं चेदं पुराण मृषि संस्तुतम।।
(आदिपर्व ६२।१६)
यानी, यह ऋषियों द्वारा प्रशंसित पुरातन इतिहास श्रवण करने योग्य तथा सब ग्रंथो में श्रेष्ठ है. यह वेदों के सामान ही उत्तम है. सभी प्राणियों के स्थान, सभी रहस्य, वेद, योगशास्त्र, विज्ञान, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र, धर्म, अर्थ, तथा काम के वर्णन करने वाले ग्रंथों के सार, इस संसार में सुखपूर्वक रहकर जीने आदि सभी बातों का वर्णन इस ग्रंथ में किया गया है. जो विद्वान अंगों सहित चारों वेद और सम्पूर्ण उपनिषद जानता हो परन्तु उसने महाभारत का अध्यन्न न किया हो तो वह विचक्षण या बुद्धिमान नहीं हो सकता.
भगवानसिंह दास ठाकुर कहते हैं- ‘ऐसा कोई भी विद्या का पक्ष नहीं जिसे इस ग्रंथ में महर्षि वेदव्यास ने स्पर्श नहीं किया हो. इसमें सभी शास्त्रों के सार का समावेश है और इसीलिए महाभारत को पांचवां वेद भी कहा जाता है.
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Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Mahabharata
FIRST PUBLISHED : October 15, 2022, 12:09 IST
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