रक्षा मंत्री ने एशियाई तटरक्षक एजेंसियों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए समुद्री देशों के बीच प्रभावी सहयोग का भी आह्वान किया.
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित समुद्री सीमाओं का समर्थन करता है. इसके तहत किसी भी राष्ट्र को, चाहे वह कितना भी बड़ा हो, उसे दूसरों को इसका उचित उपयोग करने से रोकने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच यह बात कही. रक्षा मंत्री ने एशियाई तटरक्षक एजेंसियों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए समुद्री देशों के बीच प्रभावी सहयोग का भी आह्वान किया.
सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत, पूरे इतिहास में, एक शांतिप्रिय देश रहा है जिसने कभी किसी विदेशी भूमि पर आक्रमण नहीं किया और हमेशा न केवल दूसरे देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया है, बल्कि उन्हें समान भागीदार भी माना है. उन्होंने कहा, ‘हम हिंद-प्रशांत में खुली, मुक्त, नियम-आधारित समुद्री सीमाओं का समर्थन करते हैं, जिसके तहत किसी भी राष्ट्र को, चाहे वह कितना भी बड़ा हो, उसे दूसरों को इसका उचित उपयोग करने से रोकने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.’
एशियाई तटरक्षक एजेंसियों की 18वीं बैठक (HACGAM) को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने हमेशा सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों और अन्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया है. उन्होंने कहा कि भारत सभी देशों से समान भागीदार व्यवहार करता है. आर्थिक विकास के लिए समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग किया जाना चाहिए.
18 अक्टूबर तक चलने वाली है HACGAMकी बैठक
एशियाई तटरक्षक एजेंसियों की 18वीं बैठक 18 अक्टूबर तक चलने वाली है. 14 अक्टूबर से इसकी शुरुआत हुई थी. इस बैठक में 18 देशों और दो अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कुल 55 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. HACGAM 23 देशों का एक बहुपक्षीय मंच है. इसमें ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्किये, वियतनाम और हांगकांग जैसे देश शामिल हैं.
जयशंकर ने मिस्र के अपने समकक्ष से की हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर बात
उधर, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मिस्र के अपने समकक्ष समेह शौकरी से मुलाकात की और इस दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर विचारों का आदान-प्रदान किया. जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, ‘वैश्विक बहसों को आकार देने में सक्रिय राष्ट्रों के रूप में, हमारे क्षेत्रों के घटनाक्रम पर चर्चा की और यूक्रेन संघर्ष तथा हिंद-प्रशांत पर विचारों का आदान-प्रदान किया. एक ध्रुवीकृत दुनिया को स्वतंत्र सोच और तार्किक आवाज की जरूरत है.’
जयशंकर ने कहा कि बहुपक्षीय मंचों पर भारत और मिस्र का सहयोग मजबूत बना हुआ है और अगले साल जी-20 और ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में मिस्र की भागीदारी का स्वागत किया. (इनपुट-भाषा)
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