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संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। पिछले दो साल में कर्ण नगरी के 829 लोगों ने नशे की राह छोड़ी है। इन्होंने जीवन में दोबारा नशा न करने का संकल्प लिया है। पिछले दो साल में शराब से लेकर अफीम, हेरोइन, चरस, गांजा, स्मैक व कोकीन जैसे घातक नशे को छोड़ने के लिए लोग नागरिक अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में आए हैं। केंद्र के रिकॉर्ड की तरफ नजर डालें तो 2020 में 77, 2021 में 313 और सितंबर 2022 तक 439 लोग नशा छोड़ अब सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वहीं समाज के अन्य लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक कर रहे हैं।
जिला नागरिक अस्पताल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट संतोष ने बताया कि कर्ण नगरी में नशे के खिलाफ लोग जागरूक हो रहे हैं। जिला नागरिक अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ की ओपीडी में स्वयं आकर लोग नशा छोड़ने का संकल्प ले रहे हैं। यहां नशे से पीड़ित मरीजों की काउंसलिंग की जाती है। जिससे उनके अंदर चल रहे विचारों के बारे में वे भलीभांति परिचित हो सकें और उनके अनुसार उनका इलाज किया जा सके। वहीं जरूरत के हिसाब से मरीजों को अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में रखा जाता है। यहां मरीज को नशा छुड़वाने के लिए चार से 15 दिन तक केंद्र में रखा जाता है।
मरीजों के लिए मनोरंजन कक्ष
कम्युनिटी नर्स पूजा ने बताया कि आईपीडी में दाखिल होने के बाद मरीजों को निशुल्क पर्याप्त दवाइयां दी जाती हैं। इसके अलावा मरीज का मनोरंजन करने के लिए अस्पताल में मनोरंजन कक्ष भी बनाया गया है। जहां पर मरीजों के पढ़ने के लिए मोटिवेशनल किताबें, खेलने के लिए कैरम बोर्ड, लूडो, सांप-सीढ़ी और मनोरंजन के लिए टीवी भी लगाया गया है। जिसमें मरीज अपना सारा दिन बिता सकता है।
ओपीडी में 30 प्रतिशत पुराने मरीज
कम्युनिटी नर्स पूजा ने बताया कि केंद्र में आने वाले लगभग सभी मरीज नशा छोड़ देते है, लेकिन कई बार गलत संगत में पड़ने पर दोबारा नशे के आदि हो जाते हैं। ऐसे में वे स्वयं अपना नशा छुड़वाने के लिए ओपीडी में आते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या लगभग 30 प्रतिशत है। यानी अगर एक वर्ष में 100 मरीजों ने नशा छोड़ा है तो 30 मरीज दोबारा ओपीडी में भर्ती हो रहे हैं।
संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। पिछले दो साल में कर्ण नगरी के 829 लोगों ने नशे की राह छोड़ी है। इन्होंने जीवन में दोबारा नशा न करने का संकल्प लिया है। पिछले दो साल में शराब से लेकर अफीम, हेरोइन, चरस, गांजा, स्मैक व कोकीन जैसे घातक नशे को छोड़ने के लिए लोग नागरिक अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में आए हैं। केंद्र के रिकॉर्ड की तरफ नजर डालें तो 2020 में 77, 2021 में 313 और सितंबर 2022 तक 439 लोग नशा छोड़ अब सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वहीं समाज के अन्य लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक कर रहे हैं।
जिला नागरिक अस्पताल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट संतोष ने बताया कि कर्ण नगरी में नशे के खिलाफ लोग जागरूक हो रहे हैं। जिला नागरिक अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ की ओपीडी में स्वयं आकर लोग नशा छोड़ने का संकल्प ले रहे हैं। यहां नशे से पीड़ित मरीजों की काउंसलिंग की जाती है। जिससे उनके अंदर चल रहे विचारों के बारे में वे भलीभांति परिचित हो सकें और उनके अनुसार उनका इलाज किया जा सके। वहीं जरूरत के हिसाब से मरीजों को अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में रखा जाता है। यहां मरीज को नशा छुड़वाने के लिए चार से 15 दिन तक केंद्र में रखा जाता है।
मरीजों के लिए मनोरंजन कक्ष
कम्युनिटी नर्स पूजा ने बताया कि आईपीडी में दाखिल होने के बाद मरीजों को निशुल्क पर्याप्त दवाइयां दी जाती हैं। इसके अलावा मरीज का मनोरंजन करने के लिए अस्पताल में मनोरंजन कक्ष भी बनाया गया है। जहां पर मरीजों के पढ़ने के लिए मोटिवेशनल किताबें, खेलने के लिए कैरम बोर्ड, लूडो, सांप-सीढ़ी और मनोरंजन के लिए टीवी भी लगाया गया है। जिसमें मरीज अपना सारा दिन बिता सकता है।
ओपीडी में 30 प्रतिशत पुराने मरीज
कम्युनिटी नर्स पूजा ने बताया कि केंद्र में आने वाले लगभग सभी मरीज नशा छोड़ देते है, लेकिन कई बार गलत संगत में पड़ने पर दोबारा नशे के आदि हो जाते हैं। ऐसे में वे स्वयं अपना नशा छुड़वाने के लिए ओपीडी में आते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या लगभग 30 प्रतिशत है। यानी अगर एक वर्ष में 100 मरीजों ने नशा छोड़ा है तो 30 मरीज दोबारा ओपीडी में भर्ती हो रहे हैं।
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