हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश में हर प्रकार और सभी चीजों की खेती की जाती है। आज किसान खेती से लाखों रुपए का टर्नओवर कर रहे हैं। आज हमारे देश में बुजुर्ग से ज्यादा युवा वर्ग के लोग खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं खेती का ट्रेंड इस प्रकार बढ़ रहा है कि लोग अपनी नौकरी छोड़कर खेती कर रहे हैं। आज हम अपने लेख के जरिए एक ऐसे शख्स की बात करेंगे जो विदेश से लौटकर अपने गांव आकर प्राकृतिक खेती करके लाखों रुपए के टर्न ओवर कर रहे। गांव की मिट्टी इन्हें अपने देश आने पर मजबूर कर दिया।
किसान रजविंदर सिंह
रजविंदर सिंह जो पंजाब के रहने वाले हैं, इनका सपना था कि वे अपने देश छोड़कर अमेरिका में जाकर वहां खुद कुछ काम करें और वही अपना परिवार बसायें। वे अपना सपना पूरा करने के लिए अमेरिका चले गए। अमेरिका जाने के बाद इन्होंने 5 साल तक खूब परिश्रम की। रजविंदर ने अमेरिका में ट्रक चलाया, साथ ही साथ इन्होंने होटल का भी व्यवसाय किया परंतु इनका मन किसी भी काम में नहीं लग रहा था और अपने गांव की याद बहुत सताने लगी। इसके बाद इन्होंने अपने देश भारत लौटने का फैसला कर लिया और साल 2012 में भारत वापस आ गए।
स्वदेश लौटने के बाद की खेती
रजविंदर सिंह अपना देश भारत लौटे तो परिवार वाले इनको अमेरिका छोड़ भारत आना पसंद नहीं आया। इनके परिवार वाले भी चाहते थे कि यह अमेरिका में रहकर ही अपना व्यवसाय करें। रजविंदर भारत लौटने के बाद सबसे पहले होटल का व्यवसाय शुरू किया परंतु इन्हें इस व्यवसाय से ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। जिसके बाद इन्होंने अपने बागों में प्राकृतिक खेती करने के बारे में फैसला किया। गांव में आने के बाद इन्होंने गन्ना, हल्दी, आलू, सरसो, प्याज और सब्जी की प्राकृतिक खेती करनी शुरू कर दी।
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करते हैं प्राकृतिक खेती
रजविंदर सिंह बताते हैं कि जब वह गांव वापस लौटे तो सबसे पहले इन्होंने अपने 8 एकड़ जमीन पर रासायनिक खेती करनी शुरू की परंतु रसायनिक खेती से इनका मन नहीं भरा तो साल 2017 में प्राकृतिक खेती करनी शुरू कर दी। जिसमें इन्होंने अपने खेतों में गन्ने का फसल लगाया, इसके बाद 5 एकड़ जमीन में 3000 फलों के पेड़ भी लगाए। इसमें खाद और गोबर का इस्तेमाल करते। खेती की शुरुआत में अपने उत्पादन को ठीक रखने के लिए मिट्टी के घरौंदे भी बनाए। साथ ही साथ गन्ना और हल्दी की उपज का प्रसंस्करण करने के लिए मशीन भी खरीदे। आज रजविंदर सिंह अपने 8 एकड़ जमीन में हल्दी, गन्ना, आलू, सरसो जैसी तमाम चीजों के प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इस खेती से लाखों रुपए की आमदनी हो रही है।
आलू उपजाने के लिए अपनाते हैं बैड़ और मल्चिंग सिस्टम
हम लोग अपने गांव में परंपरागत तरीके से आलू की खेती करते हैं जो जमीन के अंदर उपजता है परंतु रजविंदर आलू की खेती के लिए बैड़ और मल्चिंग सितम तरीके से उपजाते है। बैड़ और मल्चिंग सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है जो जमीन के अंदर आलू ना उपज कर जमीन के ऊपर बैड़ के अंदर उपजता है। इस सिस्टम से आलू उपजाने से पानी की काफी बचत होती है और जब आलू तैयार हो जाता है तो इसको उखाड़ने में ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ता है रजविंदर सिंह आलू की खेती में गाय के गोबर का इस्तेमाल करते हैं शुरुआत में रजविंदर को गाय का गोबर खरीदना पड़ता था परंतु आज वे खुद गाय पालकर उससे निकले गोबर का इस्तेमाल अपने खेतों में करते हैं साथ ही साथ गाय के दूध से भी अच्छी आमदनी करते हैं।
गन्ने की खेती से 8 लाख की कमाई
रजविंदर सिंह गन्ने की खेती से आज 8 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। यह गन्ने के उत्पादन को बाजार में नावेद कर गुड़ बनाते हैं, जिससे कमाई दुगनी हो जाती है। रजविंदर जाने की उपज करके उसे मशीनों से प्रोसेसिंग करके उसने अजवाइन, ड्राईफुट, मसाला, हल्दी, तुलसी, सॉफ जैसी चीजों को मिलाकर गुड और शक्कर तैयार करते हैं। यह प्रत्येक साल लगभग 10 टन गुड़ तैयार करते हैं। उन्हें इस गुड़ के व्यवसाय से प्रत्येक साल 8 लाख की कमाई हो जाती है।
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इको फ्रेंडली खेती
रजविंदर बताते हैं कि वे खेती पूरे इको फ्रेंडली करते हैं। खेती में वे प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल भी नहीं करते हैं। यहां वहां के जो भी लोग इनसे सब्जी या और भी कुछ खरीदने आते हैं वह अपना थैला लेकर आते हैं। रजविंदर बताते हैं कि आज हमें खेती से प्रति एकड़ दो लाख रुपए का मुनाफा होता है। इस तरह से मैं अपने खेतों से प्रतिवर्ष 12 लाख रुपए की कमाई कर लेता हूं।
ऑनलाइन बेचते उत्पादन
रजविंदर अपनी खेती से उपजे उत्पादन को बजारों मीना बेचकर वह ऑनलाइन कारोबार करते हैं। वे अपने व्यापार को ऑनलाइन करवा कर अपना उत्पाद डायरेक्ट ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। आज रजविंदर पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अपना उत्पादन ऑनलाइन मार्केटिंग से लोगो तक पहुंचाते हैं। इस ऑनलाइन करवाते रजविंदर को डायरेक्ट मुनाफा होता है।
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