हाइलाइट्स
हिंदू धर्म में पूरे 13 दिनों तक चलते हैं अंतिम संस्कार के नियम
अंतिम संस्कार के नियमों का पालन करने से आत्मा को मिलती है शांति
Funeral Rituals: ‘मृत्यु’ जीवन का अंतिम और अटल सत्य है, जिसे कोई टाल नहीं सकता है. जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु अटल है और मत्यु के बाद उसका पुन: जन्म भी निश्चि है. इस कथन को श्रीकृष्ण द्वारा गीता में कहा गया है. श्रीकृष्ण के अनुसार जीवन और मृत्यु एक च्रक के समान है जिससे हर व्यक्ति को गुजरना पड़ता है. गीता के अनुसार मृत्यु के बाद जीवन का नया आरंभ होता है. इसलिए परिजन की मृत्यु पश्चात अंतिम संस्कार के नियम का पालन किया जाता है, जिससे जीवात्मा को मरणोपरांत स्वर्ग और अगले जन्म में उत्तम शरीर की प्राप्ति हो.
हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल सोलह संस्कार होते हैं. इनमें मृत्यु आखिरी यानी सोलहवां संस्कार होता है. मृत्यु संस्कार में मृतक की अंतिम विदाई, दाह संस्कार और आत्मा की शांति के लिए कई रीति-रिवाज व नियम होते हैं. शास्त्रों में भी अंतिम संस्कार के नियमों का उल्लेख किया गया है. माना जाता है कि जिन मृतकों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार नहीं किया जाता उनकी आत्मा प्रेत की तरह भटकती है और उन्हें कई तरह का कष्ट भोगना पड़ता है. इसलिए मृत शरीर का अंतिम संस्कार जरूरी होता है. इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं मृत्यु के बाद मृत के अंतिम संस्कार के नियमों के बारे में. जिनका पालन करना घर के व्यक्तियों के लिए जरूरी बताया गया है.
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अंतिम संस्कार के ये नियम हैं बेहद जरूरी
- मृत्यु के बाद दाह संस्कार से पहले मृतक को स्नान कराया जाता है. इसके बाद उसके शरीर पर चंदन, घी और तेल का लेप लगाकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं.
- हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद कभी भी दाह संस्कार नहीं किए जाते हैं. माना जाता है कि जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार सूर्यास्त के बाद होता है उसकी आत्मा परलोक में भटकती है.
- जो व्यक्ति शव को अग्नि देता है इसे छेद किए हुए मटके में पानी भरकर शव की परिक्रमा करनी होती है और इसके बाद मटका फोड़ दिया जाता है. ऐसा करने से मृतक के साथ उसका मोह खत्म होता है.
- अंतिम संस्कार के समय मृत व्यक्ति के पुरुष परिजन मुंडन कराते हैं. यह मृत व्यक्ति के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करना होता है.
- अंतिम संस्कार के बाद शव को पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए.
- अंतिम संस्कार के बाद घर लौटने पर सभी व्यक्तियों को दांतों से नीम को चबाकर फेंकना चाहिए. फिर लोहा, अग्नि, जल और पत्थर का स्पर्श करने के बाद ही घर के भीतर प्रवेश करना चाहिए.
- मृतक व्यक्ति के नाम से घर के बाहर एक दीप संध्या के समय कम से कम 11 दिनों तक जरूर जलाना चाहिए.
- दाह संस्कार के बाद 12 वें या 13 वें दिन मृत्युभोज कराया जाता है. दरअसल मृत्यु के बाद मृतक के घर पर बाहरी लोग नहीं आते. लेकिन मृत्यु भोज के बाद सामान्य रूप में बाहरी लोगों का आना-जाना पुन: प्रारंभ हो जाता है.
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Tags: Dharma Aastha, Hindu funeral, Religious
FIRST PUBLISHED : October 16, 2022, 17:16 IST
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