‘इस्लाम में सिनेमा देखना या सिनेमा में काम करना दोनों हराम हैं। आप मुसलमान होते हुए भी फिल्मों में हीरो बनने जा रहे हैं, इसके बारे में आपका क्या कहना है?’ ये एक सवाल है जो पहली बार कोई फिल्म करने जा रहे हीरो जैद खान से उनकी फिल्म ‘बनारस’ के ट्रेलर लॉन्च पर पूछा गया। जैद खान प्रशिक्षित कलाकार हैं। दूसरा कोई अभिनेता होता तो इस तरह का सवाल सुनकर बगलें झांकने लगता। लेकिन, जैद ने सवाल को मुस्कुराते हुए सुना और चेहरे पर वही मुस्कान बनाए रखते हुए इसका जो जवाब दिया, उसके बाद पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मौका था कन्नड़ फिल्म ‘बनारस’ के ट्रेलर लॉन्च का और इस दौरान पूरे देश से बेंगलुरु पहुंचे पत्रकारों के सामने फिल्म के कन्नड़ के अलावा तमिल, तेलुगू, मलयालम और हिंदी के ट्रेलर भी दिखाए गए।
बनारस में शूट हुई कन्नड़ फिल्म
वाराणसी शहर का सौंदर्य बोध सिनेमा के आकर्षण का केंद्र शुरू से रहा है। हिंदी सिनेमा में इस शहर को कई बार दिखाया गया है। लेकिन, किसी कन्नड़ फिल्म की पूरी कहानी इसी शहर पर आधारित होने का मौका पहली बार देखने को मिल रहा है। नवंबर के पहले शुक्रवार को देश की पांच प्रमुख भाषाओं में रिलीज होने जा रही फिल्म ‘बनारस’ मूल रूप से कन्नड़ में बनी फिल्म है। चर्चित निर्देशक जयतीर्थ की इस फिल्म से जैद खान नामक एक नए सितारे का बड़े परदे पर उदय हो रहा है और फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर कन्नड़, तेलुगू और हिंदी सिनेमा के कई सितारे नजर आए।
‘बनारस’ में दिखेगा पुराना बनारस
निर्देशक जयतीर्थ बताते हैं, ‘फिल्म ‘बनारस’ ऐसी आखिरी फिल्म है जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास मौजूद रहे भवनों व पुराने मंदिरों को आखिरी बार परदे के लिए शूट किया गया है। हमारी फिल्म की शूटिंग के तुरंत बाद ही वहां कॉरिडोर बनाने का काम शुरू हुआ था और अब वाराणसी की वे पुरानी इमारतें सिर्फ इसी फिल्म में देखी जा सकेंगी। काशी हमारी फिल्म की आत्मा है और ये कहानी समय में यात्रा करने वाले एक युवा की कहानी है। फिल्म ‘बनारस’ ऐसी पहली दक्षिण भारतीय फिल्म भी है, जिसकी 80 फीसदी शूटिंग उत्तर प्रदेश में हुई। ये फिल्म एक तरह से कावेरी का गंगा से संगम है।’
पहली फिल्म मातृभाषा में करना शुरू से तय
फिल्म ‘बनारस’ से डेब्यू करने जा रहे जैद खान ने मुंबई में काफी समय व्यतीत किया है। अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल से उन्होंने अभिनय का प्रशिक्षण भी लिया और इस दौरान उन्हें हिंदी सिनेमा के भी काफी प्रस्ताव मिले। जैद खान कहते हैं, ‘हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं पर मेरा समान अधिकार है। लेकिन, मैं अपने एक्टिंग करियर की पहली फिल्म अपनी मातृभाषा कन्नड़ में ही करूंगा, ये निर्णय मैंने इस क्षेत्र में आने के पहले दिन ही कर लिया था। फिल्म को हमने दूसरी भाषाओं में भी डब किया है लेकिन जिस माटी में मैं बड़ा हुआ, उसका कर्ज चुकाने के लिए मैंने पहली फिल्म कन्नड़ में ही बनाई। कन्नड़ सिनेमा को हिंदी भाषी क्षेत्रों में जो प्यार मिल रहा है, उससे मैं अभिभूत हूं। मुझे उम्मीद है कि हमारी फिल्म ‘बनारस’ को भी हिंदी भाषी क्षेत्रों में वैसा ही प्यार मिलेगा।’
कलाकार का कोई धर्म नहीं होता
जैद खान ने फिल्म की अभिनेत्री सोनल मोंटीरो के साथ इस दौरान पूछे गए दर्जनों सवालों के जवाब मुस्कुराते हुए दिए लेकिन सबसे कठिन सवाल जो उनसे पूछा गया वह एक कन्नड़ पत्रकार की तरफ से आया। उनसे पूछा गया, ‘इस्लाम में सिनेमा देखना या सिनेमा में काम करना दोनों हराम हैं। आप मुसलमान होते हुए भी फिल्मों में हीरो बनने जा रहे हैं, इसके बारे में आपका क्या कहना है?’ सवाल सुनकर पूरे हॉल में चुप्पी छा गई और सब सोचने लगे कि एक उभरता सितारा आखिर ऐसे सवाल का जवाब क्या देगा। लेकिन, जैद ने माइक संभाला और बस इसका इतना सा उत्तर दिया, ‘एक कलाकार का ना कोई धर्म होता है और ना ही कोई जाति। वह बस कलाकार होता।’ जैद के इस जवाब ने ट्रेलर लॉन्च के लिए हॉल में मौजूद सारे लोगों का दिल जीत लिया और पूरा हॉल देर तक तालियों की गूंज से गड़गड़ाता रहा।
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