45 साल बाद सोनिक बूम के बिना ‘उड़ान’
आसमान में तेज आवाज के कारण बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण सुपरसोनिक विमानों की उड़ान पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ये निर्णय 1973 में लिया गया था। जिसको बाद विमानों में ध्वनि अवरोधक का प्रयोग किया गया। लेकिन अब नासा सुपरसोनिक विमानों को और हाईटेक करने की तकनीकी पर काम कर रही है। अगर ये प्रयोग सफल होता है तो 45 साल बाद फिर से विमान ध्वनि की गति से बिना सोनिक बूम के उड़ सकेंगे।
2023 में NASA करेगा परीक्षण
ये विमान काफी हाईटेक होगा। इसे उड़ाने के लिए X-1 एयरक्रफ्ट वाले पायलट की जरूरत होगी। नासा के साइंटिस्ट्स क्वेस्ट मिशन के तहत तैयार हो रहे इस विमान के परीक्षण की योजना बना चुके हैं। साल 2023 में नासा इसे प्रदर्शन के लिए तैयार कर देगा और इसी वर्ष इसका परीक्षण किया जाएगा।
सुपरसोनिक विमान जैसा होगा अनुभव
नासा के नई तकनीकी के विमान से यात्रा करने वाले यात्रियों को सुपरसोनिक विमान की सुविधाओं को अनुभव होगा। लंबी से लंबी यात्रा कुछ ही समय में पूरी हो जाएगी। नासा के अनुसार, एक दिन की हवाई यात्रा में हम अपने लंबे से लंबे गंतव्य तक पहुंचकर वापस आ सकेंगे।
क्या है नासा का क्वेस्ट मिशन?
कॉमर्शियल यात्रा को बेहद सुगम बनाने के लिए नासा नई तकनीकी के विमान विकसित करने पर कार्य कर रही है। जिससे हवाई यात्रा को बेहद कम समय में सुगमता से किया जा सके। नासा का एक्स-59 विमान एजेंसी के क्वेस्ट मिशन का केंद्रबिंदु है। इस विमान में सुपरसोनिक प्लेन जैसी यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने की क्षमता होगी। नासा के वैज्ञानिक लॉकहीड मार्टिन ने विमान की प्रारंभिक उड़ान के परीक्षण का डिजाइन, निर्माण और संचालन तकनीकि तैयार की है।
साइंटिस्ट ने क्या कहा?
कैलिफोर्निया स्थित नासा के आर्मस्ट्रांग फ्लाइट रिसर्च सेंटर के एरोनॉटिकल इंजीनियर कैथरीन बहम के अनुसार, “पहली सुपरसोनिक उड़ान काफी जबरदस्त उपलब्धि थी। अब हम इस तकनीकि को काफी विकसित कर चुके हैं। नई तकनीकी के विमान को लेकर हम जो प्रयोग कर रहे हैं वो काफी अलग है।” नासा अपने नए विमान को लेकर काफी उत्साहित है। X-59 के परीक्षण से ये साफ हो जाएगा कि लोग शांत ध्वनि ‘थंप’ पर कैसे प्रतिक्रिया देते है। क्वेस्ट मिशन के इंटीग्रेशन मैनेजर पीटर कोएन ने कहा, ‘क्वेस्ट मिशन पर एक्स-59 उड़ान के साथ, मुझे लगता है कि हम एक बार फिर ध्वनि बाधा को तोड़ने के लिए तैयार हैं।’
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