पीएफआई ने कुछ सालों में अपना गहरा नेटवर्क सिर्फ लखनऊ के शहरी इलाकों में नहीं बल्कि ग्रामीण अंचल में बना लिया है। उसके ट्रेनर धर्म और शिक्षा के नाम पर युवाओं को बरगला रहे हैं। इतना ही नहीं 200 से ज्यादा ग्रामीणों को अपने नेटवर्क में शामिल कर चुके इन ट्रेनरों के पकड़े जाने पर उनकी जमानत भी यही लोग ले रहे हैं।
बख्शी का तालाब में मंगलवार को गिरफ्तार हुए पीएफआई के तीन सदस्यों ने ऐसे ही कई राज खोले तो एसटीएफ, एनआईए और एटीएस के अफसर भौचंक रह गये। यह भी खुलासा हुआ कि पीआई (फिजीकल इंस्ट्रक्टर) ट्रेनर ने इन ग्रामीणों में कई लोगों को कराटे, जूडो की विशेष ट्रेनिंग देकर ग्रामीणों को मजबूत करने का काम भी शुरू कर दिया है।्र
खुफिया एजेन्सियों के अफसरों का दावा है कि लखनऊ के ग्रामीण इलाकों में पीएफआई की इतनी मजबूत पकड़ का पहली बार पता चला है। पीआई ट्रेनर मो. फिरोज व अरशद के बारे में फैजान व रेहान ने कई बातें बतायी। यह भी बताया कि ये लोग कराटे व जूडो की विशेष ट्रेनिंग दे रहे थे। इनके जरिये ग्रामीण युवाओं को मजबूत बनाया जा रहा है।
इन लोगों ने यह भी खुलासा किया कि किस तरह से ग्रामीण युवाओं को पहले मीटिंग कराने के नाम पर कई जिलों में घुमाया जाता है। फिर उन्हें अपने धर्म के बारे में कई किताबें और पुराना इतिहास पढ़ा कर दूसरे धर्म के प्रति उनके मन में नफरत भरी जा रही है। पीएफआई के पदाधिकारी अपनी टीम के साथ यही सब करने में जुटे हैं। गिरफ्तार आरोपितों का कहना है कि सिर्फ बीकेटी, इटौंजा, माल व मलिहाबाद के 200 से ज्यादा ग्रामीण पीएफआई संगठन के सम्पर्क में आ चुके हैं। इनका ब्योरा तैयार किया जा रहा है।
आर्थिक मदद देकर आत्मनिर्भर बनाने का दावा करते
एसटीएफ की जांच में यह भी सामने आया कि पीएफआई के पदाधिकारी अपने मिशन को पूरा करने के लिये ग्रामीणों को धर्म और शिक्षा के नाम पर खूब बरगला रहे है। जिन ग्रामीणों को अपने जाल में फंसा लेते हैं, उन्हें इस बात का पूरा भरोसा दिलाते हैं कि आने वाले समय में यह संगठन बहुत ऊंचाई पर जायेगा।
भविष्य की चिंता न करो। इसे सही साबित करने के लिये इन्हें आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाती है। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें खूब मौज-मस्ती भी करायी जाती है। जमानत लेने पर रकम मिली अफसरों का दावा है कि फैजान, रेहान ने ग्राम प्रधान अरशद के कहने पर पीआई ट्रेनर की जमानत ली तो इसके बदले में उन्हें रकम भी दी गई।
अब एसटीएफ सम्बन्धित कोर्ट में जाकर पता करेगी कि जमानत लेने वाले ग्रामीणों के असली दस्तावेज कोर्ट में लगाये गये हैं अथवा यहां भी उन्हें मोहरा बनाकर ही इस्तेमाल किया गया और इनके नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार कराये गये।
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