उच्चतम न्यायालय ने इस साल जुलाई में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 11 अक्टूबर, 2018 के आदेश को बरकरार रखा था कि किशोर का नए सिरे से परीक्षण किया जाए ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि कथित अपराध में उसे बालिग माना जाए या नहीं।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें मई 2018 में किशोर पर वयस्क के तौर पर मुकदमा चलाने के जेजेबी के पहले के फैसले को बरकरार रखा गया था।
पीड़ित परिवार के वकील सुशील टेकरीवाल ने कहा, ”आज किशोर न्याय बोर्ड, गुरुग्राम के प्रधान मजिस्ट्रेट जतिन गुजराल ने आरोपी के पुनराकलन के बाद अपना फैसला सुनाया और निर्देश दिया कि उस पर एक वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाए।”
उन्होंने कहा, “हम अदालत के आदेश का स्वागत करते हैं और प्रिंस के लिए न्याय के लिए लड़ना जारी रखेंगे। एक मजबूत और स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि देश में कानून का राज कायम रहेगा और इस तरह का अपराध दोहराया नहीं जाना चाहिए। कानून होत्साहित करने वाला होना चाहिए।”
सूत्रों ने कहा कि सभी पक्षों को जेजेबी के नए आदेश से अवगत करा दिया गया है।
किशोर न्याय बोर्ड एक-दो दिन में सभी पक्षों को आदेश की प्रति उपलब्ध कराएगा। आरोपी को अब 31 अक्टूबर को जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश किया जाएगा।
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