कैसे काम करेगी यह योजना
समूह जलप्रदाय योजना के लिए बनी डीपीआर के मुताबिक बांगो के डुबान में एक एमबीआर टंकी बनाकर १५ से २० गांव के बीच एक-एक एमबीआर टंकी बनाकर पानी की सप्लाई की जाएगी। इन टंकियों से फिर गांव तक पानी की सप्लाई होगी। इसकी खासियत ये रहेगी कि सभी एमबीआर में एक-एक मीटर लगा होगा। इससे विभाग को आंकड़े मिलते रहेंगे कि पानी की खपत हर महीने कितनी हो रही है, पर्याप्त मात्रा में पानी की सप्लाई हो रही है की नहीं।
योजना का इस तरह मिलेगा लाभ
एतमानगर समूह जलप्रदाय योजना
ये योजना प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी समूह जलप्रदाय योजना है। इस योजना के तहत सीधे तौर पर तीन लाख से अधिक लोगों को पानी मिलेगा। २४५ गांव इस योजना से जुड़ेंगे। पोड़ीउपरोड़ा, पाली और कटघोरा ब्लॉक के गांवों को इस योजना से पानी मिलेगा। करीब छह लाख मीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जाएगी।
झिनपुरी समूह जलप्रदाय योजना
बांगो बांध के दूसरे डुबान झिनपुरी से ८० गांव को पानी देने की योजना तैयार की गई है। ९६ हजार परिवार इससे लाभांवित होंगे। पोड़ीउपरोड़ा ब्लॉक के ८० बड़े गांव तक पानी पहुंचाने के लिए सर्वे किया गया है।
बोड़ानाला समूह जलप्रदाय योजना
सतरेंगा से लगा बोड़ानाला बांगो बांध का एक बड़ा डुबान क्षेत्र है। डुबान से लगे होने के बाद भी क्षेत्र में पेयजल को लेकर काफी परेशानी रहती है। सतरेंगा से लेकर देवपहरी तक के करीब २४ ग्राम पंचायत को इस योजना के तहत पानी देने की स्कीम तैयार की गई है। इसके लिए सतरेंगा में ६० किलोलीटर और देवपहरी में १०० किली की टंकी तैयार की जाएगी। इससे १५ हजार ग्रामीणों को पानी मिलेगा।
कापानवापारा समूह जलप्रदाय योजना
मोरगा से लगे दुरस्थ अंचल के १५ गांव को इस योजना से पानी देने की तैयारी है। उचलेंगा और पतुरियाडांड में उच्च स्तरीय क्षमता की टंकी तैयार की जाएगी। १३ हजार जनसंख्या को शुद्ध पानी मिल सकेगा।
सोर्स फाइंडिंग कमेटी ने लगाई ३० साल के पानी के उपलब्धता पर मुहर
सिंचाई विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बीच एक सोर्स फाइंडिंग कमेटी का गठन हुआ है। ये कमेटी ये तय करती है कि बड़ी परियोजनाओं के लिए आगामी ३० साल के लिए पानी कितनी मात्रा में ली जा सकती है और पानी की उपलब्धता इन वर्षों में कितनी हो सकती है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर एतमानगर और झिनपुरी को कमेटी ने पानी देने पर मुहर लगाई है।
वर्जन
बांगो बांध के डुबान से चार समूह जलप्रदाय योजना के लिए सर्वे का काम पूरा हो गया है। इनमें से एतमानगर और झिनपुरी योजना को तकनीकी स्वीकृति मिल चुकी है। प्रशासकीय स्वीकृति उपरांत टेंडर कर काम शुरु कराया जाएगा।
अनिल कुमार, कार्यपालन अभियंता, पीएचई
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