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बलरामपुर। मानसिक स्वास्थ्य पखवाड़े के तहत एमएलके महाविद्यालय में बुधवार को एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हुए तनाव से मुक्त रहने के तरीके बताए गए।
कार्यशाला का शुभारंभ महाविद्यालय के मुख्य नियंता डॉ. पीके सिंह, मुख्य वक्ता डॉ. अशोक कुमार पटेल एवं मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. स्वदेश भट्ट ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप जलाकर किया। मनोचिकित्सक डॉ. अशोक कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि कड़ी प्रतिस्पर्धा के युग में लोग मानसिक तनाव में जी रहे हैं।
तनाव के चलते व्यक्ति तमाम तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। स्वस्थ रहने के लिए तनाव से मुक्त रहना जरूरी है। विद्यार्थी बेहतर अध्ययन के लिए मानसिक तनाव से बचें। आसपास का माहौल ऐसा बनाएं जिससे तनाव कम किया जा सके। नकारात्मक विचारों को मन में न आने दें। सकारात्मक कार्यों के प्रति अग्रसर रहें। उन्होंने कहा कि योग एवं ध्यान के माध्यम से व्यक्ति तनाव मुक्त रह सकता है। संगीत व खेल भी तनाव व उदासी दूर करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ. स्वदेश भट्ट ने मनोवैज्ञानिक प्रयोग का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों को तनाव के कारण व इसके दुष्परिणाम बताए। कार्यशाला का संचालन डॉ. सुनील शुक्ल ने किया। इस अवसर पर डॉ. अनामिका सिंह, डॉ. कृतिका तिवारी, डॉ. वंदना सिंह, लेफ्टिनेंट डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान, डॉ. शकुंतला सिंह, मणिका मिश्रा, राजर्षि त्रिपाठी, मनीष मिश्र, नासिर खान समेत कई शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
बलरामपुर। मानसिक स्वास्थ्य पखवाड़े के तहत एमएलके महाविद्यालय में बुधवार को एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हुए तनाव से मुक्त रहने के तरीके बताए गए।
कार्यशाला का शुभारंभ महाविद्यालय के मुख्य नियंता डॉ. पीके सिंह, मुख्य वक्ता डॉ. अशोक कुमार पटेल एवं मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. स्वदेश भट्ट ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप जलाकर किया। मनोचिकित्सक डॉ. अशोक कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि कड़ी प्रतिस्पर्धा के युग में लोग मानसिक तनाव में जी रहे हैं।
तनाव के चलते व्यक्ति तमाम तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। स्वस्थ रहने के लिए तनाव से मुक्त रहना जरूरी है। विद्यार्थी बेहतर अध्ययन के लिए मानसिक तनाव से बचें। आसपास का माहौल ऐसा बनाएं जिससे तनाव कम किया जा सके। नकारात्मक विचारों को मन में न आने दें। सकारात्मक कार्यों के प्रति अग्रसर रहें। उन्होंने कहा कि योग एवं ध्यान के माध्यम से व्यक्ति तनाव मुक्त रह सकता है। संगीत व खेल भी तनाव व उदासी दूर करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ. स्वदेश भट्ट ने मनोवैज्ञानिक प्रयोग का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों को तनाव के कारण व इसके दुष्परिणाम बताए। कार्यशाला का संचालन डॉ. सुनील शुक्ल ने किया। इस अवसर पर डॉ. अनामिका सिंह, डॉ. कृतिका तिवारी, डॉ. वंदना सिंह, लेफ्टिनेंट डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान, डॉ. शकुंतला सिंह, मणिका मिश्रा, राजर्षि त्रिपाठी, मनीष मिश्र, नासिर खान समेत कई शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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