महाभारत की कहानी: आपको धार्मिक ग्रंथ महाभारत से जुड़ी अलग-अलग कई कहानियों के बारे में मालूम होगा, लेकिन इनमें कई ऐसी भी कहानियां हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे. महाभारत के आदिपर्व में कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के बारे में कहा जाता है कि वो अपने माता-पिता के परस्पर मिलन से नहीं बल्कि एक विचित्र विधि द्वारा पैदा हुए थे, जिसे आज के भौतिक युग में ‘टेस्ट ट्यूब’ के नाम से जाना जाता है. अधिकतर लोग ये सोचते है कि दुनिया में सबसे पहले इस विधि द्वारा कौरवों ने जन्म लिया था जब उन्हें उनकी माता गांधारी ने घड़ों में मांस के टुकड़े को रखकर सौ कौरवों को जन्म दिया था. पांडवों और कौरवों गुरु द्रोणाचार्य दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी थे.Also Read – महाभारत की कहानी: द्रौपदी के जन्म से जुड़ा ये सच नहीं जानते होंगे आप, जानें कौन थे उनके माता-पिता
द्रोणाचार्य एक टेस्ट ट्यूब बेबी
द्रोणाचार्य को भारत का पहले टेस्ट ट्यूब बेबी माना जा सकता है. यह कहानी भी काफी रोचक है. द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज थे और उनकी माता एक अप्सरा थीं. एक शाम भारद्वाज गंगा नहाने गए तभी उन्हें वहां एक अप्सरा नहाती हुई दिखाई दी. उसकी सुंदरता को देख ऋषि मंत्र मुग्ध हो गए और उनके शरीर से शुक्राणु निकला जिसे ऋषि ने एक मिट्टी के बर्तन में जमा करके अंधेरे में रख दिया. इसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ. Also Read – महाभारत की कहानी: गांधारी का कौन सा श्राप श्रीकृष्ण को पड़ गया भारी? ऐसे हुआ था विनाश
परशुराम ने दिए थे अस्त्र-शस्त्र
जब द्रोणाचार्य शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब उन्हें पता चला कि भगवान परशुराम ब्राह्मणों को अपना सर्वस्व दान कर रहे हैं. द्रोणाचार्य भी उनके पास गए और अपना परिचय दिया. द्रोणाचार्य ने भगवान परशुराम से उनके सभी दिव्य अस्त्र-शस्त्र मांग लिए और उनके प्रयोग की विधि भी सीख ली. Also Read – महाभारत की कहानी: महादेव के इस वरदान के कारण द्रोपदी की हुई थी पांच पांडवों से शादी, जानें कहानी
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