ऑस्टियोपोरोसिस एक एसिम्टोमैटिक बीमारी है. इसके कारण यह जरूरी है कि लोग अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य की देखभाल की ओर खास ध्यान दें. इससे इस बीमारी से संबंधित बोन फ्रैक्चर से जुड़ी समस्याओं को रोका जा सकता है.
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डॉ युवराज कुमार: दुनियाभर में हर साल ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं. ये एकसाइलेंट डिजीज है जिसके कोई शुरुआती लक्षण नहीं होते. 50 साल से अधिक उम्र की हर तीन में से एक महिला और पांच में से एक पुरुष इस बीमारी से पीड़ित है. इसको डायग्नोज करना अब भी मुश्किल बना है, लेकिन मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के बाद उन महिलाओं को इसका ज्यादा खतरा है जिनकी हड्डयिों की डेंसिटी कम होती है. जिन पुरुषों की बोन डेंसिटी कम होती है उन्हें भी समान खतरा होता है. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डी अपने ही वजन के कारण टूट जाती है. यह स्थिति बेहद दर्दनाक और जानलेवा है.
यह दिन ऑस्टियोपोरोसिस के जल्दी डायग्नोज, इसके इलाज के साथह-साथ इसे रोकने के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. इस बीमारी के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. हालांकि इसको डायग्नोज करना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसके लक्षण नजर नहीं आते जब तक की फ्रैक्चर न हो जाए. उम्र के साथ इसकी संभावना बढ़ जाती है. इस बीमारी के एसिम्टोमैटिक होने के कारण यह जरूरी है कि लोग अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य की देखभाल की ओर खास ध्यान दें ताकि ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित बोन फ्रैक्चर से जुड़ी समस्याओं को रोका जा सके.
कुल ऑस्टियोपोरोटिक मरीजों में से केवल 20% की डायग्नोसिस
बीमारी के एसिम्टोमैटिक होने, दुनिया के कई हिस्सों में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं और जागरूकता की कमी के चलते हर साल ऑस्टियोपोरोटिक के कुल मरीजों में से केवल 20 प्रतिशत को डायग्नोज किया जाता है. यह देखा गया है कि उम्रदराज महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा होती है क्योंकि मेनोपॉज के 5-7 सालों के बाद उनकी बोन डेंसिटी 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है. वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने में मदद करता है और लोगों को उनकी बोन डेंसिटी का जल्दी डायग्नोज और जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करता है. उन्हें उन तरीकों के बारे में बताया जाता है जो उनकी हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं ताकि लंबे समय तक ऑस्टियोपोरोसिस को रोका जा सके.
स्वस्थ हड्डियां बनाए रखने के उपाय
1. व्यायाम (एक्सरसाइज): नियमित व्यायाम आपकी हड्डियों और मांसपेशियों को अच्छा रखता है.
2. पोषण (न्यूट्रिशन): हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि आपकी डाइट कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन जैसे हड्डियों को स्वस्थ रखने वाले पोषक तत्वों से भरपूर हो.
3. जीवन शैली (लाइफस्टाइल): शराब पीने और धूम्रपान जैसी खराब आदतों से बचें.
4. परीक्षण: यदि आपके परिवार में ऑस्टियोपोरोसिस का इतिहास रहा है तो यह जानने के लिए अपना परीक्षण करवाएं कि कहीं आपको तो इसका खतरा नहीं है.
5. इलाज (ट्रीटमेंट): यदि आपको इस बीमारी के होने का खतरा है तो अपनी जीवनशैली में बदलाव करने और दवा की जरूरत होगी.
यदि आपकी उम्र 50 साल से ज्यादा है और आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें और अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य की जांच करवाएं. इसके खतरे को देखते हुए जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जा सकती हैं और जिन्हें इसका ज्यादा खतरा है, उन्हें दवा भी दी जा सकती है.
(लेखक फरीदाबाद के एकॉर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और स्पोर्ट इंज्यरी के एक्सपर्ट हैं.)
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