ख़बर सुनें
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण व उनके द्वारा संपूर्ण मानवता को दिया गया ज्ञान श्रीमद्भगवत गीता सनातन धर्म का सबसे प्रचंड प्रकाश स्तंभ हैं। विदेशी आक्रांताओं के षड्यंत्रों के चलते श्रीमद्भागवत गीता की मनमानी व्याख्या शुरू कर दी गई। जिससे कारण कई धर्मावलंबियों ने गीता के मूल सिद्धांत कर्मवाद व धर्मयुद्ध को त्याग दिया। इसके स्थान पर पाखंड, चमत्कार और अकर्मण्यता को अपना लिया। ये विचार शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नर सिंहानंद गिरी महाराज ने वीरवार को स्वामी अमृतानंद महाराज, महंत राजेंद्र पुरी महाराज, बालयोगी ज्ञाननाथ महाराज, यति सत्यदेवानंद व यति कृष्णानंद के साथ ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में एक प्रेस वार्ता में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जब हमने अपने धर्म को छोड़ दिया तो धर्म ने भी हमको छोड़ दिया और हम अपनी स्वतंत्रता को खोकर हर तरह से दीन हीन और मानसिक रूप से दास बन गए। हमारी मानसिक दासता ने हमारा धर्म, हमारा गौरव, हमारा वैभव और हमारा स्वाभिमान सभी कुछ हमसे छीन लिया। अब स्थिति ये है कि कुछ लोग हमारा अस्तित्व तक मिटाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। अब अगर सनातन धर्मावलंबियों को स्वाभिमान और सम्मान के साथ जीवित रहना है तो उन्हें योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप को सही तरह से समझते हुए श्रीमद्भागवत गीता के रास्ते पर लौटना होगा। योगेश्वर श्रीकृष्ण का मार्ग यज्ञ, दान और तप का मार्ग है। संपूर्ण विश्व को यह मार्ग बतलाने के लिए एक अभियान ‘धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र’ से शुरू कर रहे हैं।
यह कार्यक्रम पांच दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ और दो दिवसीय श्रीमद भगवत गीता ज्ञानयज्ञ के रूप में रहेगी। 9 नवंबर से 13 नवंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में पूरे देश से संत महात्मा और विद्वान भाग लेंगे और योगेश्वर श्रीकृष्ण के दृष्टिकोण से धर्म और अधर्म के संबंध में मानवीय कर्तव्य पर विचार विमर्श करेंगे। स्वामी अमृतानंद महाराज ने कहा की आज इस्लाम के जिहादी अपनी हठधर्मिता के कारण संपूर्ण मानवता को विनाश की ओर ले जा रहे हैं। ऐसे में विश्वशांति और मानवता की रक्षा का एकमात्र मार्ग केवल और केवल श्रीमद भगवत गीता से ही प्रशस्त होगा। इस अवसर राज कुमार पांचाल, धर्मेंद्र शर्मा, पंकज राणा, बिल्लू गिल, गुरनेक थडोली आदि उपस्थित रहे।
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण व उनके द्वारा संपूर्ण मानवता को दिया गया ज्ञान श्रीमद्भगवत गीता सनातन धर्म का सबसे प्रचंड प्रकाश स्तंभ हैं। विदेशी आक्रांताओं के षड्यंत्रों के चलते श्रीमद्भागवत गीता की मनमानी व्याख्या शुरू कर दी गई। जिससे कारण कई धर्मावलंबियों ने गीता के मूल सिद्धांत कर्मवाद व धर्मयुद्ध को त्याग दिया। इसके स्थान पर पाखंड, चमत्कार और अकर्मण्यता को अपना लिया। ये विचार शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नर सिंहानंद गिरी महाराज ने वीरवार को स्वामी अमृतानंद महाराज, महंत राजेंद्र पुरी महाराज, बालयोगी ज्ञाननाथ महाराज, यति सत्यदेवानंद व यति कृष्णानंद के साथ ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में एक प्रेस वार्ता में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जब हमने अपने धर्म को छोड़ दिया तो धर्म ने भी हमको छोड़ दिया और हम अपनी स्वतंत्रता को खोकर हर तरह से दीन हीन और मानसिक रूप से दास बन गए। हमारी मानसिक दासता ने हमारा धर्म, हमारा गौरव, हमारा वैभव और हमारा स्वाभिमान सभी कुछ हमसे छीन लिया। अब स्थिति ये है कि कुछ लोग हमारा अस्तित्व तक मिटाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। अब अगर सनातन धर्मावलंबियों को स्वाभिमान और सम्मान के साथ जीवित रहना है तो उन्हें योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप को सही तरह से समझते हुए श्रीमद्भागवत गीता के रास्ते पर लौटना होगा। योगेश्वर श्रीकृष्ण का मार्ग यज्ञ, दान और तप का मार्ग है। संपूर्ण विश्व को यह मार्ग बतलाने के लिए एक अभियान ‘धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र’ से शुरू कर रहे हैं।
यह कार्यक्रम पांच दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ और दो दिवसीय श्रीमद भगवत गीता ज्ञानयज्ञ के रूप में रहेगी। 9 नवंबर से 13 नवंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में पूरे देश से संत महात्मा और विद्वान भाग लेंगे और योगेश्वर श्रीकृष्ण के दृष्टिकोण से धर्म और अधर्म के संबंध में मानवीय कर्तव्य पर विचार विमर्श करेंगे। स्वामी अमृतानंद महाराज ने कहा की आज इस्लाम के जिहादी अपनी हठधर्मिता के कारण संपूर्ण मानवता को विनाश की ओर ले जा रहे हैं। ऐसे में विश्वशांति और मानवता की रक्षा का एकमात्र मार्ग केवल और केवल श्रीमद भगवत गीता से ही प्रशस्त होगा। इस अवसर राज कुमार पांचाल, धर्मेंद्र शर्मा, पंकज राणा, बिल्लू गिल, गुरनेक थडोली आदि उपस्थित रहे।
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post