Publish Date: | Fri, 21 Oct 2022 02:02 PM (IST)
-18वीं में शताब्दी में भदावर महाराज ने कराया था मंदिर का जीर्णोंद्धार
शिवम पांडेय. भिंड। वनखंडेश्वर स्कूल के पास स्थित गल्र्स स्कूल के सामने बेहद खूबसूरत प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर है। हालांकि इस मंदिर के बारे में बहुत ही कम लाेगों को पता है। जिले में यह एक मात्र मंदिर ऐसा है, जहां माता लक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान हैं। मंदिर का निर्माण मराठी शैली में कराया गया है। इतना ही नहीं, मंदिर के निर्माण के समय से ही इसकी देखरेख मराठी परिवार के सदस्य करते आ रहे हैं।
बता दें कि 18वीं शताब्दी में भदावर राज्य के शासक गोपाल सिंह भदौरिया ने प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया था। मंदिर में मराठी शैली के गुंबद अपने इतिहास को बयां कर रहे हैं। साथ ही भगवान की प्रतिमा के सामने तुलसी माता का स्थाना बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना मराठा साम्राज्य के समय कराई गई थी। लेकिन वक्त के साथ-साथ मंदिर अपना अस्तित्व खोता चला गया। वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख मराठी परिवार के सदस्य उदय अत्रे कर रहे हैं। उदय अत्रै बताते हैं कि मैंने अपने पूर्वजों से सुना है कि जिले में यह एक मात्र लक्ष्मी मंदिर है। हालांकि ज्यादातर लोगों को इस मंदिर के बारे में जानकारी नहीं है।
धनतेरस और दीपावली पर होता है विशेष श्रृंगार:
शहर के प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर में मराठी शैली के 12 गुंबद बने हुए हैं। धनतेरस और दीपावली के दिन माता लक्ष्मी का विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी के दर्शन करने से व्यक्ति को जीवन में धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य, सौहाद्र की प्राप्ति होती है। हालांकि देखरेख के अभाव में मंदिर के एक हिस्से में अतिक्रमण भी है।
-मंदिर की सेवा पांच पीढ़ियों से मेरे परिवार के सदस्य करते आ रहे हैं। जिले में यह एक मात्र मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है।
उदय अत्रे, पुजारी लक्ष्मी नारायण मंदिर।
-मराठी शैली में निर्मित लक्ष्मी नारायण मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। हालांकि इस मंदिर के बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं है। दीपावली के दिन मंदिर में विशेष पूजन होता है।
अजय सिंह भदौरिया, वरिष्ठ समाजसेवी
Posted By: anil tomar
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