दिवाली पर वायु प्रदूषण (सांकेतिक तस्ववीर)।
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दिल्ली सहित देश भर के लोग दिवाली की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन वायु गुणवत्ता की समस्या भी सामने आ रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में व्यापक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शनिवार शाम को 266 पर पहुंच गया। वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान (SAFAR) प्रणाली के अनुसार, शनिवार शाम को समग्र दिल्ली क्षेत्र में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘खराब’ श्रेणी में 266 दर्ज की गई। दिल्ली विश्वविद्यालय क्षेत्र में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में 327, मथुरा रोड पर ‘खराब’ श्रेणी में 293 और गुरुग्राम में ‘मध्यम’ श्रेणी में 156 दर्ज की गई। इससे आशंका जताई जा रही है कि दिवाली पर वायु गुणवत्ता में और गिरावट दर्ज की जा सकती है।
चूंकि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लोग जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं। इस पर अपनी राय देते हुए फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अशोक सेठ ने कहा कि वायु प्रदूषण को केवल फेफड़ों की समस्याओं से जोड़ कर देखा जाता है क्योंकि इससे अस्थमा के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है, लेकिन लोग अक्सर इस सिद्ध तथ्य को नजरअंदाज कर देते हैं कि वायु प्रदूषण से हृदय की क्षति होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए हमें इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
डॉ. सेठ ने कहा कि “वास्तव में, जैसा कि हम पिछले कुछ वर्षों में युवा लोगों में हृदय रोग में बढ़ोतरी देख रहे हैं। मेरा मानना है कि यह वायु प्रदूषण के कारण हो रहा है, जो पिछले 20 वर्षों में और ज्यादा खराब हो गया है साथ ही युवाओं की जीवन शैली में भी बदलाव आया है। पिछले 20 सालों से यह कार्डियोलॉजी के सभी आधिकारिक वैज्ञानिक निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त है। डॉ. सेठ ने बताया कि कैसे वायु प्रदूषण हृदय की धमनियों में सूजन पैदा करता है और हृदय को नुकसान पहुंचाता है।
उन्होंने कहा कि “जब हम 2.5 पार्टिकुलेट मैटर (प्रदूषण कण) को देखते हैं, तो यह पता चलता है कि प्रदूषण में न केवल वह पदार्थ होते हैं, जो बहुत हानिकारक हैं और फेफड़ों से रक्त वाहिकाओं में स्थानांतरित होते हैं बल्कि कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड जैसे गैसीय मीट्रिक भी होते हैं। ये सभी हानिकारक पदार्थ माने जाते हैं। वे हृदय की धमनियों में सूजन पैदा करते हैं। जब यह पार्टिकुलेट मैटर रक्तप्रवाह के जरिये फेफड़ों तक पहुंचता है, तो हृदय की धमनियों में सूजन आ जाती है और रक्त के थक्के में वृद्धि का कारण भी बनता है और इन दो महत्वपूर्ण कारकों से दिल का दौरा पड़ता है और हृदय की धमनियों की आंतरिक परत को नुकसान होता है, जो कोलेस्ट्रॉल और कोरोनरी धमनी रोग की स्थिति का कारण बनता है।
डॉ सेठ ने आगे कहा कि “ये प्रदूषक कण फिर से रक्त में मिल जाते हैं और हृदय की लय में गड़बड़ी पैदा करते हैं और हृदय गति को प्रभावित करते हैं। कभी-कभी, यह अचानक मृत्यु का कारण भी बनता है।”
डॉ अशोक ने चेतावनी देते हुए कहा कि “हम आने वाले दिनों में त्योहारों के कारण सबसे खराब माहौल देखने जा रहे हैं, मुझे लगता है कि यह महसूस करने का समय है कि इसका ध्यान रखना होगा। दीवाली के अवसर पर पटाखे जलेंगे और अभी तक हमारे पास पराली जलाने से रोकने के लिए कोई समाधान या दिशानिर्देश या नीतियां भी नहीं हैं। ऐसे में ये सभी फेफड़ों की बीमारियों और दिल के दौरे या दिल से संबंधित बीमारी का कारण बनेंगे।”
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