आशीष सिंह, धनबाद : सूचना क्रांति के दौर में जन-जन तक जानकारियां पहुंचाने के लिए स्थानीय भाषा बेहद जरूरी है। मध्य प्रदेश में हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की शुरुआत से इसकी अहमियत को समझा जा सकता है। अभी तक अमूमन वेबसाइट में अंग्रेजी में ही जानकारियां मिलती हैं, मगर इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (इंडियन स्कूल आफ माइंस) धनबाद छात्रों की टीम वेबमास्टर ने करिश्मा किया है। वेबसाइट को बहुभाषायी बनाने के साथ कई सुविधाओं से सुसज्जित करने में कामयाबी हासिल की है। जी हां आइपी एड्रेस के मुताबिक वेबसाइट की भाषा भी बदलेगी। टीम ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की वेबसाइट को नए सिरे से डिजाइन किया है। इसे बहुभाषायी बनाया है। सुरक्षा मानक से परिपूर्ण और नवीनतम जानकारियों से सुसज्जित किया है। नेत्रहीन भी इसे आसानी से चला सकेंगे। लोडिंग समय महज एक सेकेंड किया है। दस ऐसे टूल्स डाले गए, जो इसे हाइटेक व सुरक्षित बनाएंगे। टीम ने पूरा प्रोजेक्ट एआइसीटीई के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स को भेज दिया है। वेबमास्टर के सुझावों और फीचर्स को अमलीजामा पहनाने की बात उन्होंने कही है। प्रोग्रामिंग में कोडिंग का सटीक प्रयोग कर यह सफलता टीम ने पाई है।
दरअसल, चंडीगढ़ में पिछले माह स्मार्ट इंडिया हैकथान 2022 में टीम को इस वेबसाइट की खामियों के समाधान का टास्क दिया गया था। टीम ने समाधान किया और प्रथम पुरस्कार पाया। वेबमास्टर के मेंटर अमन हर्ष व टीम के सदस्य अमर्ष जैन कहते हैं कि इसका महत्वपूर्ण हिस्सा बहुभाषीय एवं नेत्रहीनों के लिए सुलभ होना है। इसको जियो लोकेशन से जोड़ा है। इससे वेबसाइट की भाषा उपयोगकर्ता के आइपी पते के अनुसार बदलेगी। पापअप के जरिए यूजर विकल्प के तौर पर अपनी क्षेत्रीय भाषा में वेबसाइट का प्रयोग कर सकेंगे। आप पंजाब में हैं तो जियो लोकेशन से आपके लैपटाप पर एक पापअप मैसेज आएगा कि पंजाबी में भी वेबसाइट का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें गुजराती, पंजाबी, तमिल, तेलगू, बांग्ला, कन्नड़, हिंदी समेत दस भाषाओं को डाला गया है।
खासियतों की भरमार, यूजर को नहीं होगी कोई दिक्कत
इसमें वर्चुअल आन स्क्रीन की बोर्ड, कोर्स बेचने और खरीदने के लिए रेफरल सिस्टम, टेक्स्ट टु स्पीच कंवर्टर, जियोलोकेशन, बहुभाषा सपोर्ट, चैटबोट, सर्च फीचर्स, लोडिंग समय में कमी, सुरक्षा फीचर्स शामिल हुए हैं। नेत्रहीनों के लिए ही वेबसाइट में टेक्स्ट टु स्पीच टूल दिया गया है। बोलने से वेबसाइट के किसी भी हिस्से के बारे में पता लग जाएगा। कलर ब्लाइंडनेस वालों के लिए फिल्टर कलर टोन का प्रयोग किया गया है। जिनको कम दिखता है, वे बटन का प्रयोग कर अक्षर बड़ा कर सकेंगे।
दूसरी वेबसाइट से था 86 प्रतिशत अधिक लोडिंग टाइम
यूजर इंटरफेस और यूजर एक्सपीरियंस का प्रयोग कर एआइसीटीई की वेबसाइट की खामियों का पता लगाया गया। आनलाइन प्लगिंग की मदद ली। पता चला कि अन्य वेबसाइट की तुलना में एआइसीटीई की वेबसाइट लोडिंग में 86 प्रतिशत अधिक समय ले रही है। सर्च इंजन आप्टिमाइज (एसईओ) बहुत कम है। तब लोडिंग टाइम घटाकर एक सेकेंड तक ले आए। इसके लिए वेबसाइट की तस्वीरों का आकार कम कर दिया।
ये फीचर्स वेबसाइट को बनाएंगे आसान
- सिंगल आइडेंटिटी से ही लागइन होगी, इसलिए सुरक्षा में सेंध नहीं लग सकेगी।
- एआइसीटीई कूपन सिस्टम से अपने कोर्स बेच सकेगी।
- मोबाइल फोन पर सर्च करने का नोटिफिकेशन आएगा, नवीनतम जानकारियां मिलतीं रहेंगी।
- वर्चुअल की-बोर्ड के कारण लैपटाप या डेस्कटाप के की-बोर्ड खराब होने पर असर नहीं पड़ेगा।
टीम में थे ये शामिल
गणित और कंप्यूटिंग के अमन हर्ष ( मेंटर), राजवी, खनन अभियांत्रिकी के अमर्ष जैन, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के आशुतोष सिंह, इलेक्ट्रानिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के शुभम कुमार कुर्रे, इनवायरेनमेंटल इंजीनियरिंग के अभिषेक गुरवी, माइनिंग इंजीनियरिंग के कुंदन कुशवाहा, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के मेजर कुमार।
IIT ISM निदेशक प्रो राजीव शेखर ने कहा कि टीम वेबमास्टर की उपलब्धि देश को विकास की नई राह दिखाएगी। इसके दूरगामी परिणाम भविष्य में मिलेंगे। भारत सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया है। समस्या का समाधान देकर टीम ने आइएसएम का मान पूरे देश में बढ़ाया है।
धनबाद के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ दीपक कुमार ने कहा कि ये उपलब्धि भविष्य में वेबसाइट की दुनिया में क्रांति ला सकती है। बैंकिंग सेक्टर में इसका प्रयोग खाताधारकों को लाभ देगा। अभी कई खाताधारक अंग्रेजी के संदेश समझ नहीं पाते, क्षेत्रीय भाषा में संदेश मिलेंगे तो वे कई परेशानियों से बच सकते हैं।
Edited By: Atul Singh
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