3 दिन पहले
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खिलौने सिर्फ बच्चों के मनोरंजन के लिए नहीं होते हैं। ये शिक्षक की तरह बच्चों को सिखाते और समझाते भी हैं। इस टेक्नॉलाजी युग में सात साल तक के बच्चों को एजुकेशन इन्हीं खिलौनों से मिल रही है। एक बच्चे के पास औसतन 26 खिलौने होते हैं।
इसके बावजूद वे पेरेंट्स से हर हफ्ते नया खिलौना मांगते हैं। आधे से ज्यादा पेरेंट्स ऐसा खिलौना चाहते हैं, जो उन्हें बच्चों के नजदीक रखे। यह खुलासा 2,000 से ज्यादा पेरेंट्स पर हुए एक सर्वे में हुआ है। सर्वे के मुताबिक बाजार में कई तरह की तकनीक पर आधारित, सोशल इमोशनल लर्निंग, बोलने और अन्य संस्कृति के हिसाब से खिलौने मौजूद हैं, लेकिन बच्चों की मेमोरी बढ़ाने वाले खिलौनों को ज्यादा तरजीह दी जा रही है।
दिमाग को विकसित करने वाले खिलौने पहली पसंद
सर्वे के मुताबिक 68% माता-पिता अपने बच्चों की रुचि के हिसाब से खिलौने पसंद करते है। लगभग तीन-चौथाई माता-पिता इस बात से सहमत हैं कि इन दिनों खिलौने तकनीकी रूप से बेहद विकसित हो गए हैं। यही वजह है कि 58% उन खिलौनों की तलाश करने का विकल्प चुनते हैं जो उनके बच्चों की उम्र और उसके सोचने के तरीकों के लिए उपयुक्त हैं।
छह में से एक माता-पिता स्वयं के खिलौनों को खराब मानते हैं। 72% पेरेंट्स 14 और उससे कम उम्र के बच्चों के साथ खेलना चाहते हैं। द टॉय एसोसिएशन के कार्यकारी उपाध्यक्ष एड्रिएन एपेल के अनुसार खिलौने बच्चों की भावनाओं पर संतुलन रखने और स्वीकृति को बढ़ावा देने और विभिन्न संस्कृतियों का जश्न मनाने में मदद करते हैं।
दादा-दादी दिलाते हैं विभिन्न संस्कृति वाले खिलौने
सर्वे में सामने आया कि बच्चों को सबसे ज्यादा खिलौने दादा-दादी दिलाते हैं। 38% दादा-दादी विभिन्न तरह के, संस्कृति और जीवनशैली पर आधारित खिलौने दिलाते हैं। इतना ही नहीं, आजकल 28% खिलौने एनवायरनमेंट फ्रेंंडली और इस थीम पर बने होते हैं।
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