Publish Date: | Tue, 25 Oct 2022 02:40 AM (IST)
Indore News: कपिल नीले, इंदौर। वन्यप्राणियों से जुड़े अपराध में वन अफसरों की लापरवाही सामने आई है। गंभीरता से जांच नहीं करने के चलते आरोपित व तस्कर फायदा उठने में लगे है। यहां तक प्रकरण को पुख्ता साक्ष्य-सबूत और तथ्य प्रस्तुत नहीं किए जा रहे हैं।
यही वजह है कि आरोपित न्यायालय से दोषमुक्त हो जाते हैं। बीते दिनों वन अपराधों की समीक्षा की गई। इसके बाद वन विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। अब शेड्यूल वन के अंतर्गत आने वाले प्राणियों के प्रकरण में रेंजर जांच अधिकारी नहीं होंगे। बल्कि जांच करने का जिम्मा एसडीओ और डीएफओ के पास रहेगा। यहां तक आरोपितों के बयान वरिष्ठ अधिकारियों के सामने दर्ज किए जाएंगे।
बाघ-तेंदुए, भालू, सेंडबुआ, पेगुलिन के शिकार, अंगों की तस्करी व अवैध व्यापार से जुड़े अपराध की संख्या बढ़ गई है। इनकी जांच रेंजर स्तर पर होती है, जिसमें साक्ष्य, तथ्य और सबूत जुटाने के काम डिप्टी रेंजर करते है। नियमानुसार रेंजर के समक्ष बयान होना चाहिए, लेकिन डिप्टी रेंजर या वनपाल बयान लेकर रिकार्ड प्रस्तुत कर देते हैं।
न्यायालय में पहुंचने के बाद आरोपितों को फायदा मिलता है। आरोपित और तस्करों को फायदा पहुंचने की दृष्टि से जांच में लापरवाही बरती जा रही है। बीते दिनों पीसीसीएफ जयबीर सिंह चौहान (वन्यप्राणी शाखा) ने कई मामलों के दस्तावेजों की समीक्षा करवाई, जिसमेें कई प्रकरणों में आरोपित को फायदा पहुंचा है। लापरवाही को देखते हुए पीसीसीएफ ने अधिसूचित वन्यप्राणियों से जुड़े प्रकरण में एसडीओ को जांच अधिकारी बनाया है। मामले में 20 अक्टूबर को आदेश जारी कर दिया है।
ऐसे पहुंचा फायदा
– नवंबर 2020 में बड़वाह में एसटीएसएफ ने तेंदुए की खाल तस्करी में दो आरोपितों को पकड़ा। खाल कमल दरबार द्वारा दी गई। छह महीने तक एसटीएसएफ ने नोटिस जारी किए। मगर बयान के लिए एक मर्तबा भी दरबार अफसरों के सामने नहीं पहुंचा। बल्कि अप्रैल 2021 में लाकडाउन के दौरान दरबार को वन्यप्राणी जैसे गंभीर मामले में अग्रीम जमानत मिल गई। विभाग ने चुनौती भी दी, लेकिन याचिका खारिज हो गई। सूत्रों के मुताबिक दरबार की जमानत याचिका के बारे में एसटीएसएफ इंदौर को जानकारी थी।
– अगस्त 2019 में तेंदु की खाल तस्करी में पीथमपुर से कुछ आरोपित को पकड़ा। मुख्य आरोपित रमेश निवासी ग्राम बारुखों तहसील गंधवानी जिला धार तीन साल तक फरार था। 8 जून 2021 को एसटीएसएफ ने पकड़ा। पूछताछ में अन्य आरोपितों के नाम भी सामने आए। मगर इनके बारे में दस्तावेजों में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। अभी तक तेंदुए को मारने वाले के बारे में कोई प्रमाण नहीं है। अधिकारियों ने दो आरोपित को बचाया है।
– फरवरी 2022 में देश का पहला गिद्ध तस्करी का मामला सामने आया। उत्तर प्रदेश से गिद्ध की तस्करी हो रही थी। आरोपित को खंडवा में गिरफ्तार किया गया। बाद में मालेगांव तक जांच पहुंची। यहां से तीन आरोपित को पकड़कर भी लाया गया, लेकिन न्यायालय से इन्हें जमानत मिल गई। उसके बाद प्रकरण में आगे की कार्रवाई नहीं हुई है।
– दोमुंहा सांप को लेकर आए दिन तस्करी की घटनाएं सामने आती है। इंदौर रेंज में भी दो साल में तीन मामले दर्ज किए गए हैं। मगर तस्करों से पूछताछ और जेल भेज दिया जाता है। पर जांच आगे नहीं बढ़ाई जाती है। यहां तक डिप्टी रेंजर ही बयान दर्ज कर न्यायालय में आरोपित को पेश करता है।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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