डॉ. मोनिका शर्मा
जीवन की जद्दोजहद के बीच समस्याओं के चमत्कारिक समाधान की आस में लोग अक्सर अंधविश्वास का शिकार हो रहे हैं। इनमें पढ़ी-लिखी महिलाएं भी शामिल हैं। दूसरी ओर, तंत्र-मंत्र से इलाज और बेशुमार दौलत दिलाने का दावा करने वालों की ऑनलाइन मौजूदगी से भी जालसाजी की घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसे भटकाव से बचने का उपाय सजगता व तार्किक सोच अपनाना ही है।
हाल में ही आयी कुछ खबरों ने नयी तरकीबों से अंजाम दिये जा रहे अंधविश्वास के विषैले जाल की हकीकत सामने रख दी। ग्रेटर नोएडा की एक युवती कथित तांत्रिक के झांसे में आकर न सिर्फ लाखों रुपये ठगा बैठी बल्कि उसकी सलाह पर गलत खान-पान और दवा लेने के कारण अत्यधिक वजन भी बढ़ा लिया। मोटापे के चलते चलने-फिरने तक की मोहताज हुई लड़की ने इस चंगुल में फंसकर सेहत और धन ही नहीं खोये बल्कि सालभर पहले जान भी गंवा दी। इस तरह छत्तीसगढ़ की रहने वाली एक युवती आरोपी द्वारा तंत्र-मंत्र से रुपयों की बारिश करने के झांसे में आकर छत्तीसगढ़ से बैतूल पहुंची। जब लड़की ने रुपयों की मांग की तो आरोपी ने गुस्से में आकर लड़की की जान ले ली। एक और मामले में केरल में हुई एक वीभत्स घटना में डॉक्टर महिला समझाइश देने के बजाय धन-समृद्धि के लालच में अंधविश्वासी गतिविधि में डॉक्टर पति का साथ देने से नहीं चूकी।
सबक बनें समाचार
चिंतनीय है कि ऐसे मामले आये दिन सामने आते हैं जिसके चलते शिक्षा, समझ और सजगता के मोर्चे पर हर बार सवाल उठ खड़े होते हैं। आखिर यह दिशाहीनता क्यों मन में भटकाव ले आती है? जबकि ऐसे समाचारों के बारे में जानकर हर उम्र की स्त्रियों को सचेत हो जाना चाहिए। इन घटनाओं को भी देखें तो दोनों ही मामलों में अंधविश्वास के जाल में फंसी युवतियां दुनियावी हलचल से दूर नहीं थीं। तकनीकी सुविधाओं का इस्तेमाल कर रही युवतियां यकीनन ऐसी कई घटनाओं के बारे में जानती-सुनती आयी होंगी। गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा की युवती ऑनलाइन उपचार ढूंढते हुए ही तांत्रिक के संपर्क में आयी थी। वहीं बैतूल की घटना में युवती ने आरोपी के साथ रावनदेव के जंगल में जाने से पहले अपनी लोकेशन अपने भाई को भेजी थी। आज की पीढ़ी की दोनों ही लड़कियां और महिला चिकित्सक न तो अशिक्षित थीं और न देश-दुनिया के हालात से अनजान। यह वाकई तकलीफदेह है कि डिजिटल होती दुनिया के दौर में भी अंधविश्वास का दानव हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा है। जरूरी है कि तकनीक समझ को विस्तार देने का माध्यम भी बने।
भटकाव से बचना जरूरी
दरअसल, कभी बुरी शक्तियों से बचाव तो कभी कुछ मनचाहा पाने के नाम पर ही अंधविश्वास फलता-फूलता है। वरना पैसे की बारिश किये जाने के झांसे में आकर कोई युवती इस तरह दूसरे प्रदेश न जा पहुंचती। न ही तांत्रिक की सलाहों के फेर में कोई युवती अपनी शारीरिक सेहत और घर की जमा पूंजी यूं गंवा देती। दुखद है कि देश के हर हिस्से में महिलाएं इन जालसाजों के झूठे वादों और दावों पर अंधा विश्वास करती रही हैं और आज भी कर रही हैं। नतीजतन, बंद आंखों से किए भरोसे के बदले तन, मन और धन से यानी हर मोर्चे पर ठगी जाती हैं। चमत्कार की तरह जीवन में कुछ नहीं घट सकता। यह भटकाव आगे चलकर भ्रम का ऐसा जाल बुन देता है कि कई बार चाहकर भी इससे निकलना नहीं हो पाता। ऐसे में अपने मन को ऐसे वादों और दावों में फंसने से पहले ही कदम पर रोकें।
जद्दोजहद और जालसाजी का खेल
कटु सच है कि हमारे सामाजिक परिवेश में महिलाएं अनगिनत पारिवारिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक समस्याओं से जूझती हैं। उनके अनिश्चितता भरे जीवन को चमत्कारिक रूप से बेहतर बना देने का खेल ऐसे जालसाज खूब अच्छे से खेलते हैं। विवेक के अभाव के चलते हर वर्ग की महिलाएं इनके फेर में फंस भी जाती हैं। अधिकांश महिलाओं को या तो इनकी चालबाजी समझ ही नहीं आती या बहुत देरी से समझ आती है। जबकि ऐसे धोखेबाजों की अंधविश्वासी गतिविधियां बाकायदा तकनीकी माध्यमों के जरिये व्यावसायिक विस्तार लेती जा रही हैं। स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर इनके विज्ञापन, चमत्कारी क्लिपिंग और वीडियो तैरते रहते हैं। महिलाएं अपनी समस्याओं का हल इस अंधेरी और गुमराह करने वाली दुनिया में न तलाशें। अंधे विश्वास के फेर में पड़कर अपनी तर्कशीलता को न खो दें। वरना जान-माल का नुकसान ही हिस्से आयेगा। इसीलिए गुमराह करने वाले इन ठगों के प्रति महिलाओं का समय रहते सचेत होना ज़रूरी है। साथ ही घर परिवार के लोग भी इन फरेबी चमत्कारों के प्रति महिलाओं को आगाह जरूर करें।
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