सांकेतिक तस्वीर गेहूं
– फोटो : अमर उजाला
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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) हिसार की तरफ से विकसित गेहूं की उन्नत किस्म डब्ल्यूएच 1270 का अब हरियाणा ही नहीं बल्कि देश के अन्य प्रदेशों के किसानों को भी लाभ मिल सकेगा। यह बात एचएयू के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने कंपनियों से समझौते के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि इस किस्म की पैदावार व रोग प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए इसकी मांग अन्य राज्यों में भी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके मद्देनजर अगले सीजन में भरपूर मात्रा में बीज उपलब्ध करवाने के लिए विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुए निजी क्षेत्र की प्रमुख बीज कंपनियों से समझौता किया है।
जलवायु एवं क्षेत्र की उपयुक्ता
विश्वविद्यालय की तरफ से विकसित गेहूं की किस्म डब्ल्यूएच 1270 को देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी भाग के सिंचित क्षेत्र में अगेती बिजाई वाली खेती के लिए अधिसूचित किया गया है। इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है।
ये हैं डब्ल्यूएच 1270 की विशेषताएं
विवि की सिफारिशों के अनुसार इस किस्म की बिजाई करके उचित खाद, उर्वरक व पानी दिया जाए तो इसकी औसत पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है और अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है। इस किस्म की खास बात यह है कि यह गेहूं की मुख्य बीमारियां पीला रतवा व भूरा रतवा के प्रति रोगरोधी है।
इन कंपनियों के साथ किया समझौता
विश्वविद्यालय ने डब्ल्यूएच 1270 के बीज उत्पादन एवं विपणन के लिए उत्तम सीड्स (हिसार), मॉडल एग्रीटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (करनाल), कुरुक्षेत्र एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड (इंद्री), शिव गंगा हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड (हिसार), हरियाणा सीड्स कंपनी (करनाल), क्वालिटी हाइब्रिड सीड्स कंपनी (हिसार), काश्तकार सीड्स विदिशा (मध्यप्रदेश), उन्नत बीज कंपनी (सिरसा) और शक्तिवर्धक हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड (हिसार) से समझौता हुआ है।
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