ग़म के अंधेरे में भी एक दुनिया है ।
बहुत से गिरे हुए जज़्बात
इधर उधर बिखरे दिखेंगे ।
कोई ज़माने से लड़ कर टूटा होगा-
तो कोई मुकद्दर से ।
ग़म के अंधेरे की दुनिया में –
सब एक दूसरे से जकड़े मिलेंगे ।।
वक़्त की मार से थके मिलेंगे –
“बेपरवाह” वहीं इर्द गिर्द घूमता नज़र आएगा।
उसका दोस्त हमसफ़र “अफसोस” –
भी कुछ चिंगारीयां जला रहा होगा ।
गम की दुनिया मे सब फ़रेब से दिखेंगे –
मगर इस दुनिया में यकीन नही करोगे –
एक “शकुन” भी कहीं शिथिल होकर बैठा मिलेगा ।
जाने दो- जो होना होता है –
हो कर रहेगा –
जाने दो – शायद किस्मत में मेरे था ही नहीं –
तमाम राहत भरे निष्कर्ष –
मन में लावे की तरह फूटते मिलेंगे ।
ग़म के अंधेरे की दुनिया –
भी एक सच्ची कहानी कहती है ।
जो हो गया – सो हो गए ,
आगे की राह भी तो यहीं से निकलती है ।
आगे की राह भी तो यहीं से निकलती है ।।-युकेश “बिजपुरी”
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4 hours ago
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