सीएम शिवराज ने कहा कि हम देखते हैं कि भरा हुआ पानी का गिलास लोग लेते हैं और कई बार दो घूंट पीकर बाकी पानी छोड़ देते हैं. जितना आवश्यक हो, उतना ही पानी लें, ताकि जल के हर बूंद का सदुपयोग हो सके, जीवनशैली में यह परिवर्तन आवश्यक है. वट, वृक्ष, पीपल, नारियल हमारे यहां पेड़ों की पूजा आज नहीं हजारों साल से होती आ रही है. क्योंकि हमने इनको भी आत्मभाव से देखा है. बिजली की जितनी आवश्यकता हो उतनी ही उपयोग करें. ताकि लगभग साढ़े 4 हजार करोड़ रुपये की बिजली बचेगी और कार्बन गैसों का उत्सर्जन भी कम होगा.
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