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जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं जहां एक ओर मंदी की ओर बढ़ रही हैं, दूसरी ओर दुनियाभर के केंद्रीय महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी कर रहे हैं। ब्याज दरों में वृद्धि का सबसे बुरा असर अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर पर पड़ रहा है। इसलिए रॉयटर्स के सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर को पहले के मुकाबले घटा दिया है।
हालांकि, अच्छी बात यह है कि ज्यादातर बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जो मंदी में फंस गई हैं या तेजी से मंदी की ओर बढ़ रही हैं, उनमें पिछली मंदी के मुकाबले बेरोजगारी का स्तर कम है। विकास दर और बेरोजगारी दर के बीच की खाई पिछले चार दशक में सबसे कम रह सकती है।
अर्थशास्त्रियों ने कहा, मंदी की अवधि छोटी रहेगी और इसका असर ज्यादा गहरा नहीं होगा। हालांकि, महंगाई से जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। यह लंबे समय तक ऊंची बनी रहेगी। इसमें आगे कहा गया है कि दुनिया के ज्यादातर बड़े देश महंगाई घटाने के लिए ब्याज दरों में लिमिट के दो-तिहाई तक बढ़ोतरी कर चुके हैं।
अर्थशास्त्रियों ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर में की है कटौती
- 04 दशक में सबसे कम रह सकती है आर्थिक वृद्धि दर व बेरोजगारी दर के बीच की खाई
- महंगाई का अंदाजा लगाने में केंद्रीय बैंक नाकाम
दुनिया के कई बड़े देशों के केंद्रीय बैंक महंगाई का अंदाजा लगाने में नाकाम रहे। उन्होंने इस साल कई बार ब्याज दरें बढ़ाई हैं। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों और केंद्रीय बैंकों का मानना है कि उनके लिए अगले साल करने को ज्यादा कुछ नहीं बचा है।
राबोबैंक के वैश्विक रणनीतिकार माइकल एवरी ने कहा, वैश्विक मंदी के जोखिम के बारे में हर कोई बात कर रहा है। अगर प्रमुख अर्थव्यस्थाओं में रुझान देखें तो इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। सर्वे में शामिल 22 केंद्रीय बैंकों में सिर्फ 6 का मानना है कि अगले साल के अंत तक महंगाई उनके तय लक्ष्य के दायरे में आ जाएगी।
बेरोजगारी की कम दर भी समस्या
एवरी ने कहा, बेरोजगारी की कम दर भी समस्या है क्योंकि इसका असर दिखने में वक्त लगता है। यह जब तक कम रहेगी, केंद्रीय बैंकों को लगेगा कि उनके पास ब्याज दरें बढ़ाने की गुंजाइश बची हुई है। 70 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आने वाले वर्षों में बेरोजगारी दर में तेज बढ़ोतरी का अनुमान काफी कम है।
पिछले 18 माह में हम महंगाई का सही अनुमान लगाने में विफल रहे। इसलिए यह पूछना स्वाभाविक है कि अगर महंगाई लक्ष्य से ऊपर निकल जाती है तो क्या होता है। जवाब है… यह लंबे समय पर ऊंची बनी रहती है।
-डायचे बैंक के विश्लेषक
2.3 फीसदी रह सकती है वैश्विक विकास दर
47 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को कवर करने वाले अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, 2023 में वैश्विक विकास दर 2.3 प्रतिशत रह सकती है। यह पहले के 2.9 फीसदी के अनुमान से कम है। हालांकि, इसके बाद 2024 में वृद्धि दर बढ़कर 3.0 फीसदी तक पहुंच सकती है। वहीं, 70 फीसदी से अधिक अर्थशास्त्रियों ने दावा किया कि वे जिन अर्थव्यवस्थाओं को कवर करते हैं, उनमें अगले छह महीनों में हालत अधिक खराब हो जाएगी।
भारत को लेकर अनुमान
- 6.9 प्रतिशत रह सकती है विकास दर 2022-23 में
- 6.1 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेगी जीडीपी 2023-24 में
- चीन की विकास दर 2022 में 3.2 फीसदी रह सकती है
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व नवंबर में चौथी बार ब्याज दरें बढ़ा सकता है।
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