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ललितपुर। श्रीअभिनंदनोदय अतिशय तीर्थ में निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधा सागर महाराज ने प्रवचन के दौरान जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति कभी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करती। सागर अपनी मर्यादा में रहता है, सूर्य और चंद्रमा भी अपनी मर्यादा में रहते हुए सदैव गतिमान रहते हुए जगत को प्रकाशित करते हैं। मंद-मंद वायु हमारे जीवन का आधार है, ये प्राण वाहिनी है। पेड़-पौधे पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं। ये सब प्रकृति का मनुष्य को अनमोल उपहार है, लेकिन जब जब मनुष्य प्रकृति से खिलवाड़ करता है, प्रकृति का दोहन करता है, पर्यावरण को दूषित करता है, तब प्रकृति सब कुछ तहस-नहस कर देती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जब-जब अमर्यादित हुआ उसने प्रकृति को भी मर्यादा छोड़ने को मजबूर किया। प्रकृति हमारी मां है और हमें मां के सामने मर्यादा पूर्वक जीवन जीना चाहिए।
मुनिश्री ने कहा कि आज सामाजिक परिवेश में भी मनुष्यों ने अपनी मर्यादाएं खो दी हैं। प्रभु और गुरु के सामने हमें कैसे जाना है, कैसे बैठना है कैसे उनके दर्शन, पूजन करना है, हम सब कुछ भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महान आत्माओं को कभी भी पेट और पीठ नहीं दिखाना चाहिए। हम ऐसे कपड़े पहनें जिसमें मर्यादा झलकतीं हो। सिर को ढक कर ही प्रभु के दर्शन करें, क्योंकि भगवान और गुरु मंगल स्वरूप हैं। इनका दर्शन हमारे तन और मन को पवित्रता से भर देता है। इनका दर्शन अमंगल को दूर करता है। आज की पीढ़ी धर्म से एलर्जी करती है, उन्होंने आगाह किया कि धर्म से एलर्जी नहीं एनर्जी लो। धर्म को अपने जीवन का शगुन मान कर करो जैसे प्रकृति हमें मर्यादा सिखाती है वैसे ही धर्म हमें मर्यादा सिखाता है। धर्म का दूसरा नाम ही मर्यादा है, जो कार्य मर्यादा में रहकर किए जाते हैं, वह धर्म ही हैं। संचालन डा. अक्षय टड़ैया ने किया ।
बृहस्पतिवार को दोपहर में श्री अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्र में सभी महिला मंडलों का मुनिश्री के सानिध्य में सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें मुनिश्री ने समाजोत्थान एवं आगामी कार्यक्रमों के संबंध में सभी को अपना आशीर्वाद दिया।
अभिनन्दनोदय तीर्थ में मुनि श्री के मुखारविंद से शांतिधारा करने का सौभाग्य तरूण रजनी काला व्यावर मुंबई, चंद्रावाई संदीप सराफ, राकेश आर्जव यूएसए, अनिल सराफ दिल्ली, मनीषा राजेश्वरी परिवार एवं सनत सोरभ समर्थ जैन परिवार, हर्ष कुमार, रेखा मेरठ,,गोलू जैन दिल्ली, अशोक जैन चंडीगढ़, रवि संजय देवांश एवं सिम्मी, अभांश परिवार को मिला।
ललितपुर। श्रीअभिनंदनोदय अतिशय तीर्थ में निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधा सागर महाराज ने प्रवचन के दौरान जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति कभी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करती। सागर अपनी मर्यादा में रहता है, सूर्य और चंद्रमा भी अपनी मर्यादा में रहते हुए सदैव गतिमान रहते हुए जगत को प्रकाशित करते हैं। मंद-मंद वायु हमारे जीवन का आधार है, ये प्राण वाहिनी है। पेड़-पौधे पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं। ये सब प्रकृति का मनुष्य को अनमोल उपहार है, लेकिन जब जब मनुष्य प्रकृति से खिलवाड़ करता है, प्रकृति का दोहन करता है, पर्यावरण को दूषित करता है, तब प्रकृति सब कुछ तहस-नहस कर देती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जब-जब अमर्यादित हुआ उसने प्रकृति को भी मर्यादा छोड़ने को मजबूर किया। प्रकृति हमारी मां है और हमें मां के सामने मर्यादा पूर्वक जीवन जीना चाहिए।
मुनिश्री ने कहा कि आज सामाजिक परिवेश में भी मनुष्यों ने अपनी मर्यादाएं खो दी हैं। प्रभु और गुरु के सामने हमें कैसे जाना है, कैसे बैठना है कैसे उनके दर्शन, पूजन करना है, हम सब कुछ भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महान आत्माओं को कभी भी पेट और पीठ नहीं दिखाना चाहिए। हम ऐसे कपड़े पहनें जिसमें मर्यादा झलकतीं हो। सिर को ढक कर ही प्रभु के दर्शन करें, क्योंकि भगवान और गुरु मंगल स्वरूप हैं। इनका दर्शन हमारे तन और मन को पवित्रता से भर देता है। इनका दर्शन अमंगल को दूर करता है। आज की पीढ़ी धर्म से एलर्जी करती है, उन्होंने आगाह किया कि धर्म से एलर्जी नहीं एनर्जी लो। धर्म को अपने जीवन का शगुन मान कर करो जैसे प्रकृति हमें मर्यादा सिखाती है वैसे ही धर्म हमें मर्यादा सिखाता है। धर्म का दूसरा नाम ही मर्यादा है, जो कार्य मर्यादा में रहकर किए जाते हैं, वह धर्म ही हैं। संचालन डा. अक्षय टड़ैया ने किया ।
बृहस्पतिवार को दोपहर में श्री अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्र में सभी महिला मंडलों का मुनिश्री के सानिध्य में सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें मुनिश्री ने समाजोत्थान एवं आगामी कार्यक्रमों के संबंध में सभी को अपना आशीर्वाद दिया।
अभिनन्दनोदय तीर्थ में मुनि श्री के मुखारविंद से शांतिधारा करने का सौभाग्य तरूण रजनी काला व्यावर मुंबई, चंद्रावाई संदीप सराफ, राकेश आर्जव यूएसए, अनिल सराफ दिल्ली, मनीषा राजेश्वरी परिवार एवं सनत सोरभ समर्थ जैन परिवार, हर्ष कुमार, रेखा मेरठ,,गोलू जैन दिल्ली, अशोक जैन चंडीगढ़, रवि संजय देवांश एवं सिम्मी, अभांश परिवार को मिला।
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