रायपुर38 मिनट पहलेलेखक: अमिताभ अरुण दुबे
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सुबह साढ़े 11 बजे धमतरी जिला अस्पताल में सैंपल कलेक्शन सेंटर के बाहर महिलाओं की कतार मिली।
छत्तीसगढ़ के दर्जनभर जिलों में जिला तथा सिविल अस्पतालों और ग्रामीण अस्पतालों में बेहद जरूरी और सस्ती सरकारी पैथॉलाजी जांच बंद हो गई है। वजह सिर्फ यह है कि इन सभी अस्पतालों में पिछले 6 माह से पैथालाजी जांच की मशीनों में इस्तेमाल होने वाले रीएजेंट यानी केमिकल की सप्लाई ही बंद है। भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ कि हेल्थ डायरेक्टर दफ्तर से 6 माह पहले दवा कार्पोरेशन को सप्लाई के लिए पत्र भेजा गया था। लेकिन इसकी सप्लाई ही नहीं हुई।
इसका नतीजा यह हुआ है कि सरकारी अस्पतालों में खून से जुड़ी जैसे हीमोग्लोबिन, बिलिरूबिन, विटामिन की कमी, लीवर-किडनी फंक्शन समेत 100 से भी ज्यादा टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं। प्रदेश के 12 जिलों से अधिक जिला, सिविल और सामुदायिक अस्पतालों में हर दिन औसतन 55 पैथालॉजी जांच होती है, जो बंद हैं।
तकनीकी जानकारों का कहना है कि लंंबे समय से केमिकल नहीं मिलने से लाखों रुपए की बायो एनालाइजर आटोमैटिक मशीनें भी कबाड़ होने की कगार पर आ गई है। पड़ताल में यह खुलासा भी हुआ कि कुछ माह पहले जिला, सिविल व सामुदायिक अस्पतालों से पैथालाजी जांच के केमिकल लेकर मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में सप्लाई कर दिए गए थे। मेडिकल कॉलेजों की ओर से पहले डिमांड ही नहीं भेजी गई।
इससे बाकी जगह स्टॉक में कमी आ गई। भास्कर के पास प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों के सीएमएचओ और सिविल सर्जन के पत्र भी हैं, जिसमें वे बार-बार सरकारी दवा खरीद एजेंसी यानी सीजीएमएससी और डायरेक्टर स्वास्थ्य सेवा को पत्र लिख रहे हैं। इस साल अप्रैल में डायरेक्टर स्वास्थ्य सेवा द्वारा प्रदेश के सभी जिलों से आई केमिकल की डिमांड का पत्र सीजीएमएससी को भेजा गया था।
उस दौरान सप्लाई नहीं हो पाई इसलिए दूसरी बार अगस्त में और फिर सितंबर में भी रिमाइंडर भेजा गया। पड़ताल में खुलासा हुआ कि सीजीएमएससी अभी भी दवा, केमिकल और मेडिकल उपकरणों की सप्लाई के लिए लंबी प्रक्रिया ही अपना रहा है। इसमें एक बार डिमांड आने के बाद सप्लाई करने में 6 माह और इससे अधिक का वक्त लग रहा है। इतना ही नहीं, प्रोपायटरी सप्लाई में उद्योग विभाग से अनुमति लेने में भी 8 माह से ज्यादा लग रहे हैं।
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में उधार लेने पड़े केमिकल
रायपुर में स्थित प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल अंबेडकर अस्पताल में हाल ही में पैथालॉजी टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाली पांच से भी ज्यादा एनालाइजर मशीनों की केमिकल खत्म हो गए थे। अस्पताल की ओर से सीजीएमएससी में डिमांड भी नहीं भेजी गई। ऐसे में दूसरे जिलों के जिला, सिविल और सामुदायिक अस्पतालों से केमिकल उधार मांगकर सीजीएमएससी ने सप्लाई करवाई। यहां हर दिन 2500 से ज्यादा लैब टेस्ट होते हैं।
पड़ताल में सामने आया कि सीजीएमएससी की ओर से मशीनों के लिए 500 एमएल से लेकर 5 लीटर तक की कैन में केमिकल दिए जाते हैं। अभी जितना केमिकल उधार मिला है, उससे केवल चार सप्ताह ही काम चल सकता है। अगर पीलिया या लीवर से जुड़ी दूसरी मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़े तो इतना केमिकल आगे कम पड़ सकता है। क्योंकि तब जांच का आंकड़ा तीन हजार टेस्ट प्रतिदिन तक पहुंच जाता है।
धमतरी जिला अस्पताल
सुबह साढ़े 11 बजे धमतरी जिला अस्पताल में सैंपल कलेक्शन सेंटर के बाहर महिलाओं की कतार मिली। इनमें गर्भवती भी थीं। वहीं दयावती ने बताया कि डॉक्टर ने हीमोग्लोबिन जांच के लिए कहा पर कोई सैंपल ही नहीं ले रहा है। तकनीकी स्टाफ ने बताया कि बहुत जरूरी होने पर मरीजों को प्राइवेट में जांच करवाने के लिए बोल रहे हैं।
महासमुंद जिला अस्पताल
अस्पताल में सुबह साढ़े 10 बजे पैथालॉजी जांच के लिए लंबी लाइन लगी थी। निर्मल ने बताया कि उसकी पत्नी गर्भवती है, लेकिन अब तक उसके ब्लड में हीमोग्लोबिन टेस्ट नहीं हो पाया है। लाइन में खड़े मरीजों ने बताया कि कुछ का सैंपल नहीं ले रहे हैं, तो कुछ के दो सप्ताह पहले सैंपल लिए जा चुके हैं। लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है।
रायगढ़ जिला अस्पताल
यहां दोपहर 12 बजे पैथालॉजी जांच के लिए लाइन लगी थी। पीलिया के संदिग्ध मरीज अजय ने बताया कि उनकी जांच ही नहीं हुई। डॉक्टर ने बैगर जांच के पीलिया के अंदेशा होने पर दवा लिखकर दे दी है। अस्पताल में कई बार आ चुके हैं, लेकिन सैंपल नहीं लिया जा रहा है। अब तो यह बताया गया है कि तकनीकी कारणों से सैंपल रिपोर्ट नहीं मिलेगी।
(यही स्थिति गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, जशपुर, बालोद, मुंगेली, सक्ती, कवर्धा और भिलाई-सुपेला के अस्पतालों में भी दिखाई दी)
खरीदी-सप्लाई में 6-6 माह की देरी इसलिए…
- हेल्थ डायरेक्टर की डिमांड पर सीजीएमएससी की प्रक्रिया में छह माह से अधिक की देरी।
- खरीद-सप्लाई में ऑनलाइन सिस्टम का दावा लेकिन अब भी अधिकतर काम ऑफलाइन।
- उद्योग विभाग से तुरंत लौटती है फाइल लेकिन वहां प्रस्ताव देने में ही हो रही देरी।
- सामुदायिक और जिला अस्पतालों के केमिकल मेडिकल कॉलेजों में भेज दिए।
- जानकारों के मुताबिक विभागों में समन्वय में देरी हो सकती है। यह मामला एक विभाग की शाखाओं में तालमेल के अभाव का है।
देरी नहीं करने की सख्त हिदायत
प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में मरीजों की दवा, इलाज के उपकरण, पैथालॉजी लैब के केमिकल आदि की सप्लाई निरंतर रहे, इसके लिए सीजीएमएससी को सख्त हिदायत दी जा चुकी है। अस्पतालों को भी लोकल पर्चेस करने कहा है। -टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री
पैथालॉजी जांच के केमिकल के लिए उद्योग विभाग से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। वैसे कई जिलों में हाल ही में हमने सप्लाई की है। जहां आप कमी बता रहे हैं, वहां जल्द भेज दिया जाएगा। –अभिजीत सिंह, एमडी, सीजीएमएससी
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