कानपुर, जागरण संवाददाता। आउटर के थानों में अराजकता चरम पर है। करीब दो साल पहले हुए बिकरू कांड के बाद भी आउटर पुलिस सबक नहीं ले रही है। आउटर में 18 माह के भीतर तीन एसपी बदल चुके हैं, लेकिन यहां अपराध, लापरवाही, वसूली पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
मामलों पर गौर करें तो किसी में जांच चल रही है तो किसी में सिर्फ फटकार लगाकर थाना प्रभारियों को अभयदान देने का सिलसिला जारी है। मामला इंटरनेट मीडिया पर प्रचलित होने पर अधिकारी हस्तक्षेप करते हैं, जिसके बाद रिपोर्ट दर्ज कर खानापूरी कर दी जाती है।
केस-1
हिरासत में मौत का मामला जांच के नाम पर लटका
बिधनू थाने में पुलिस हिरासत में ट्रैक्टर चालक राजेंद्र कुमार की मौत के मामले में पुलिस की लापरवाही रही है। हिरासत में लेने के एक घंटे बाद ही उसकी तबियत बिगड़ी थी। सीएचसी तक उसे लाने में पुलिस को 30 मिनट का समय लगा। वहां से उसे एलएलआर अस्पताल ले गए, जहां उपचार के दौरान मौत हो गई। तबियत बिगड़ने पर पुलिस को स्वजन को सूचना देनी चाहिए थी, यहीं से पुलिस ने लापरवाही बरती।
केस-2
फटकार के बाद देर शाम रिपोर्ट हुई दर्ज
शिवराजपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में 15 वर्षीय किशोरी को खेत जाते समय अवनीश पाल ने दबोचकर दुष्कर्म किया था। पीड़िता स्वजन संग थाने पहुंची तो उसे चार घंटे तक थाने में बैठाए रखा। थाना प्रभारी और बीट दारोगा समझौते के लिए दबाव बनाते रहे। इंटरनेट मीडिया पर फजीहत के बाद अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया तो देर शाम पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली। मामले में भी फटकार लगाकर अभयदान दिया गया।
विभाग में जांच के बाद कार्रवाई की प्रक्रिया है। बिधनू में हिरासत में मौत के मामले और शिवराजपुर में किशोरी संग दुष्कर्म के मामले में पुलिस की भूमिका की जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।– तेज स्वरूप सिंह, एसपी आउटर
Edited By: Nitesh Mishra
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