धनबाद2 घंटे पहलेलेखक: विजय पाठक
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छठ का मतलब…शुद्धता और स्वच्छता भी।
छठ का मतलब…शुद्धता और स्वच्छता भी। यह पर्व है जीवन में स्वच्छता धारण करने तथा समाज व पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का। यह पर्व है पर्व मनुष्य के अंत:करण को शुद्ध करने का। छठ में मानसिक, वैचारिक और शारीरिक स्वच्छता के साथ ही पर्यावरण की स्वच्छता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। छठ के इस महिमामयी गुणों को धनबाद खुद पर उतारने की दिशा में चल पड़ा है। कभी देशभर के सबसे गंदे शहरों में हमारी रैंकिंग थी, परंतु स्वच्छता का मान समझने पर हमारी रैकिंग देश में टॉप-40 में शामिल है। स्वच्छता को लेकर कई बड़ी योजनाएं धरातल में उतर चुकी हैं, वहीं कई पाइपलाइन में हैं, जो धनबाद की स्वच्छता में मील के पत्थर होंगी।
ये हैं हमारे सफाईदूत…गंदगी से है इन्हें नफरत
दुलेराय चावड़ा…कारोबारी हैं, पर रोज करते हैं मुहल्ले की सफाई
गुजराती मुहल्ला कर्बला रोड में रहने वाला मोटर पार्ट्स कारोबारी दुलेराय चावड़ा पिछले 10 सालों से हर दिन अपने मुहल्ले की सफाई खुद करते हैं। इन्हाेंने सफाई काे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। सुबह साेकर उठने के बाद झाड़ू लेकर मुहल्ले की सफाई करने निकल पड़ते हैं। कचरा किसके घर का है, इससे इन्हें कोई वास्ता नहीं। सफाई के प्रति इनके समर्पण काे देख नगर निगम इन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर भी बना चुका है।
माइकल हाड़ी…पानी की बाेतल पीठ में बांध करते हैं सफाई
शहरी क्षेत्र की सफाई में 900 कर्मी शामिल हैं। इन्हीं सफाईकर्मियाें में एक माइकल हाड़ी भी है, जिसे साफ रहने और सफाई करने का जुनून है। वार्ड 38 का यह सफाईकर्मी ड्यूटी पर आने के बाद पानी पीने भी नहीं जाते हैं। पानी पीने के लिए जाने और आने में समय बर्बाद नहीं हाे, इसलिए यह अपनी पीठ पर ही पानी की बाेतल बांध कर सफाई करते हैं। माइकल का सफाई के प्रति समर्पण काे देख निगम के अफसर भी हैरान रहते हैं।
- लोकगीतों में शुद्धता…बता रहीं पद्मविभूषण शारदा सिन्हा
मारबो रे सुगवा धनुष से, सुगा गिरे मुरझाए…
इस गीत में बताया गया है कि भगवान भास्कर की आराधना के लिए रखे गए केले के घवद को तोता जूठा कर देता है। प्रसाद के जूठे होने से तोते पर धनुष से बाण चला दिया, जिससे तोता मूर्छित हो गिर गया। वहीं सुगनी जे रोयेली वियोग से, आदित होखीं ना सहाय…गीत में आगे वियोग में बिलख रही सुगनी सूर्य भगवान से सुग्गा का जीवन मांगती है। छठ गीतों में आपको शुद्धता और स्वच्छता का बहुत बड़ा संदेश मिलता है। छठ के पारंपरिक लोकगीतों में व्रती छठ व्रत आरंभ होने से पूर्व गीतों के जरिए साफ-सफाई का संदेश देती हैं। व्रती गीत गाते हुए घाट की सफाई की गुहार लगाती हैं। लोगों को बताती हैं कि अगर घाट की साफ-सफाई न की जाए तो सूरज देव नाराज होंगे।
- शारदा सिन्हा की आवाज में गीत सुनें दैनिक भास्कर एप पर।
धर्म में शुद्धता…बता रहे हैं पंडित रमेश चंद्र त्रिपाठी
धर्म का एकमात्र आधार है मन की पवित्रता व शुद्धता
धर्म का एकमात्र आधार उदारता और मन की पवित्रता है। इसके बगैर आत्मशुद्धि नहीं हाेती। मन में उदारता और लचीलापन नहीं लाएंगे ताे कतई धर्म की रक्षा नहीं हाे सकती। धर्म के लिए परिवार व समाज तथा शुद्धता व अशुद्धता चार प्रक्रियाएं हैं। इनमें सबसे प्रधान शुद्धता है। प्रकृति पर्व छठ महाव्रत में शुद्धता पर सबसे जाेर दिया गया है। मन, वचन और कर्म तीनाें की शुद्धता जरूरी है। इसलिए इस महापर्व में नियम का विशेष ख्याल रखा है।
समर्पण का भाव भी इस व्रत के मूल में है। भगवान भास्कर आराेग्य प्रदान भी करते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी शुद्धता है। इसलिए घर, आंगन, तालाब, छठ घाट सभी की शुद्धता पर सबसे ज्यादा जाेर दिया गया है। देवसेना छठ मइया काे गायत्री माता का स्वरूप भी माना गया है, जाे ब्रह्मांड काे ऊर्जावान बनाती हैं। माता गायत्री काे शुद्धता की देवी भी माना गया है।
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