हिसार, 28 अक्तूबर (हप्र)
कांग्रेस प्रत्याशी के लिए शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने कई गांवों में चुनाव प्रचार किया। इस दौरान कांग्रेस कार्यालय में इनेलो प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व लोहारू विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी राजसिंह गागड़वास, युवा इनेलो के राष्ट्रीय सह प्रभारी एवं जिला पार्षद नरेंद्रराज गागड़वास, भिवानी युवा जिलाध्यक्ष विशाल ग्रेवाल, भागीरथ नंबरदार बालसमंद ने हुड्डा की मौजदूगी में इनेलो छोड़ कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में भाजपा सरकार 5 सूत्रीय एजेंडे
पर काम कर रही है। प्रदेश में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराध और नशे को बढ़ाना ही सरकार का एजेंडा है। इसीलिए जनता इस सरकार से छुटकारा चाहती है, जिसकी शुरुआत आदमपुर से होगी।
उन्होंने कहा कि आदमपुर में वे जयप्रकाश जेपी के लिए वोट मांग रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि 8 साल में मौजूदा सरकार ने आदमपुर में एक भी विकास कार्य नहीं करवाया है। लोग चाहते हैं कि हरियाणा में फिर से कांग्रेस सरकार बने और विकास का पहिया घूमे। इसीलिए 36 बिरादरी का प्यार और समर्थन कांग्रेस को मिल रहा है। इससे पार्टी की जीत स्पष्ट नजर आ रही है। लगातार अलग-अलग दलों से नेता कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं, जो बताता है कि बदलाव का रुख किस ओर चल रहा है।
सफाईकर्मियों की हड़ताल की मांगों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि वह इनकी मांगों का समर्थन करते हैं। कर्मचारी सरकार से कोई भीखनहीं, बल्कि अपना अधिकार मांग रहे हैं। लेकिन गूंगी और बहरी हो चुकी सरकार सुनने के लिए तैयार नहीं है।
भाजपा में जिला अध्यक्ष भी नहीं बन सके कुलदीप
कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी के लिए जनसंपर्क अभियान के दौरान हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष चौ. उदयभान ने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए कुलदीप बिश्नोई मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से नीचे पद की बात भी नहीं करते थे, लेकिन भाजपा में वे जिलाध्यक्ष बनने की मांग तक नहीं कर सकते। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कुलदीप बिश्नोई को पार्टी में शामिल करके भाजपा ने बेहद ही घाटे का सौदा किया है। क्योंकि एक दलित प्रदेश अध्यक्ष की खिलाफत में कांग्रेस छोड़ने वाले को शरण देकर भाजपा ने खुद की दलित विरोधी मानसिकता को जगजाहिर कर दिया है। उदयभान ने पूछा कि कुलदीप बिश्नोई कभी आदमपुर में दलितों के साथ भेदभाव के मुद्दे पर क्यों नहीं बोलते। वो दलित और पिछड़ों को खुद से छोटा क्यों समझते हैं? इस चुनाव में कुलदीप को राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक तौर पर भी जवाब देना पड़ेगा।
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