प्रियंका सिंह।
क्या अब वह दौर आ गया है, जब आपको अपनी फिल्मों में हीरो की आवश्यकता नहीं है?
मेरी शुरुआत ही मसाला टाइप फिल्म से हुई है, लेकिन उस समय मैं करियर के अलग मोड़ पर थी। मुझे लगता है कि बतौर कलाकार मैं काफी विकसित हुई हूं। मैं अच्छी भूमिकाएं चाहती हूं। उस पुरानी सेटिंग में अगर भूमिका अच्छी हो तो मैं अवश्य करना चाहूंगी, अन्यथा नहीं। मैं अब जिस तरह का काम कर रही हूं, उसमें खुश हूं।
‘डबल एक्सएल’ से भावनाएं जुड़ी हैं? वे स्मृतियां ताजा हो गईं, जब लोग बढ़े हुए वजन की वजह से आप पर टिप्पणियां करते थे?
हां, मेरे लिए बहुत ही भावुक सफर रहा है। जो चीजें मैंने सुनी हैं, वे याद नहीं करना चाहती। लोग अजीब तरह से देखते थे, नाम रखते थे। आज भी मेरे कई दोस्त हैं, जिनके साथ वजन की समस्या है। प्लस साइज, सामान्य साइज, पतले लोग, महिलाएं, पुरुष, हर कोई इस कहानी से जुड़ेगा। यह दो लड़कियों की कहानी है, जिनके लुक और साइज की वजह से लोग उन्हें उनके सपनों को पूरा नहीं करने दे रहे हैं।
आपके लिए कठिन था डेब्यू फिल्म ‘दबंग’ के बाद इंडस्ट्री में सपने पूरा करना? क्या कभी आत्मविश्वास डगमगाया था?
लोगों का क्या है, वे तो बोलते रहेंगे। मेरे हाथ में यही है कि मैं उन बातों का प्रभाव खुद पर न पड़ने दूं। मैं टिप्पणी करने वालों को उत्तर अपने काम से देती हूं, लेकिन प्रश्न यह है कि हमें इस तरह के प्रयास भी क्यों करने पड़ते हैं। मैंने इतना सारा काम किया है। मेरे निर्माता-निर्देशक तो खुश हैं, तभी वो मुझे फिल्मों में साइन करते हैं। अगर कुछ दिक्कत होती, तो वे मुझे फिल्मों में नहीं लेते। दर्शक टिकट खरीदकर मेरी फिल्में देखने जाते ही हैं। बेहतर होगा कि ऐसे लोग यह जान लें कि वे उन्हीं चीजों के बारे में बात करें, जो मायने रखती हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो बिना वजह व्यर्थ की टिप्पणियां करते रहते हैं।
आपका परिवार फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा रहा है। उनका किस तरह का सहयोग मिला?
परिवार का सहयोग बहुत आवश्यक है। मेरे पिता ने कभी मेरा ध्यान उस ओर नहीं खींचा कि मुझे अपना वजन कम करना चाहिए। वह हमेशा कहते रहे कि उन्हें मुझ पर गर्व है। मैं पढ़ाई और खेल में हमेशा से अच्छी रही हूं। खूब खेलती थी, फिर भी वजन ज्यादा था। कई बार आपकी गलती नहीं होती। कारण भी पता नहीं होता है। चिकित्सीय कारणों से भी वजन अधिक हो सकता है। मां जरूर चिंतित रहती थीं। वह मुझे टोकती थीं, लेकिन यह भी आवश्यक है कि यह समझें कि इस तरह की बातें आप किस तरह से बच्चों को बता रहे हैं। जब बच्चा बड़ा हो रहा होता है तो वह उसके विकास का समय होता है। कई सारी चीजें उसके मस्तिष्क में बैठ सकती हैं, जो आगे चलकर कष्टप्रद बन सकती हैं। बहुत आवश्यक है कि संवेदनशील विषयों को लेकर हमारी जो बातचीत हो, वह संभलकर हो। दुनिया तो भला-बुरा बोलती ही है। परिवार का सहयोग मिलने से बच्चे मजबूती से खड़े हो सकते हैं। अपने सपनों के बीच इस तरह की बातों को कभी मत आने दें।
आपने कोरोना काल में व्यवसाय शुरू कर दिया। उसके पीछे क्या विचार रहा?
मैं हमेशा से बहुत रचनात्मक रही हूं। मैंने सोचा फैशनेबल नाखून बनाऊं। उसकी डिजाइनिंग से लेकर, उनका नाम रखने तक हर जगह मैं शामिल रही हूं। मेरी पार्टनर भी हैं, जो इस व्यवसाय को अच्छी तरह से समझती हैं। मैं जो जानती हूं वह मैं ही संभालती हूं। जिस काम को करने में मुझे मजा आ रहा है, मैं वही कर रही हूं। खुश हूं अपने इस कदम से। बहुत समय तक मैं इसे टालती रही कि शायद मुझसे व्यवसाय नहीं हो पाएगा, लेकिन एक दिन अचानक से चीजें मेरे सामने आ गईं, जो मेरे पेशे में भी काम आती हैं। मैंने सोचा कि सुंदरता पर हक हर किसी का है और ऐसी चीजें बनाई जाएं, जो उनकी पहुंच में हों।
Edited By: Aarti Tiwari
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post