लखनऊ2 घंटे पहले
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SGPGI में ब्रेन स्ट्रोक के अवेयरनेस अवेयरनेस प्रोग्राम में बोलते न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. संजीव झा
ब्रेन स्ट्रोक यानी मस्तिष्क आघात से बचाव में जागरूकता को बेहद अहम करार देते हुए संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एक्सपर्ट्स चिकित्सकों ने कांफ्रेंस का आयोजन किया। स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने में मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, हदय रोग, मोटापा, तनाव, धूम्रपान, डिस्लिपिडेमिया, तंबाकू के उपयोग के साथ जीवन शैली में आएं बदलावों को बताया।
इस दौरान स्ट्रोक के शुरूआती लक्षणों को BEFAST के इनिशियल्स से आसानी से याद कर इलाज करने पर जोर दिया। SGPGI के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की अगुवाई में हुए इस सार्वजनिक और पेशेंट अवेयरनेस इवेंट में न्यूरो सर्जरी और इमरजेंसी डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट्स ने भी बात कही।
इवेंट के दौरान ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को समय से उपचार मुहैया कराने का नाट्य रूपांतर किया।
यह है स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण –
B – बैलेंस (balance) – व्यक्ति को अचानक संतुलन या समन्वय में परेशानी हो सकती है।
E- आई (eyes) – उन्हें अचानक धुंधलापन, दुगना या पूर्ण दृष्टि का नुकसान हो सकता है। यह एक आख में हो सकता है या दोनों आंखें भी प्रभावी हो सकती है।
F – फेस (face) – जब वे मुस्कुराते हैं तो वे अपने चेहरे को एक तरफ झुकते हुए देख सकते हैं।
A – आर्म्स (arms) – दोनों हाथों को ऊपर उठाने पर उन्हें एक हाथ में कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
S – स्पीच (speech) – बोलने मे हकलाहट हो सकती है , या व्यक्ति बोलने में असमर्थ हो सकता है।
T – टाइम (time) – ऐसा होने पर तुरंत नजदीकी अस्पताल जाएं। समय की बर्बादी से बचने के लिए ऐसे केंद्र पर जाना जरूरी है, जहां CT स्कैन और स्ट्रोक उपचार की सुविधा उपलब्ध हो।
कांफ्रेंस के बाद SGPGI के सभी डॉक्टर्स की टीम ने ग्रुप फोटो शूट भी कराया।
न्यूरोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रो. विनीता एलिजाबेथ मणि ने इंट्रोड्यूस किया। वही न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. संजीव झा ने स्ट्रोक और इसके जोखिमों के बारें में बताया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर गौरव अग्रवाल ने स्ट्रोक का जल्द पता लगाने के विषय में जोर दिया। प्रोफेसर एसपी अंबेष ने स्ट्रोक की संभावना को कम करने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली पर जोर दिया।
3 से साढ़े 3 घंटे में पहुंचे अस्पताल
इमरजेंसी मेडिसिन के एचओडी डॉ. आरके सिंह ने स्ट्रोक के संकेतों के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मरीज को स्ट्रोक के बाद 3 से 3.5 घंटे के भीतर ऐसे अस्पताल में पहुंचना चाहिए।
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