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अनुज शर्मा
करनाल। असंतुलित खानपान और बदलती जीवनशैली से मधुमेह के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालात ऐसे हैं कि शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी जीवनशैली में बदलाव के चलते मधुमेह के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस रोग की चपेट में कम उम्र के युवा भी आने लगे हैं। इसका कारण जंक व फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन करना भी बताया जा रहा है।
जिला नागरिक अस्पताल के एमडी फिजिशियन डॉ. कुलबीर सिंह ने बताया कि उनकी ओपीडी में रोजाना 65 से 70 मरीज मधुमेह के पहुंच रहे हैं। वहीं इनमें 15 मरीज 26 से 35 वर्ष तक की उम्र के युवा शामिल हैं। युवाओं का मधुमेह की चपेट आना चिंताजनक है, क्योंकि शरीर में मधुमेह का प्रतिशत बढ़ने से लोगों में किडनी फेल, आंखों की रोशनी के साथ-साथ हार्ट की दिक्कतें सामने आ रही हैं। डॉ. कुलबीर ने बताया कि मधुमेह यानी शुगर के मरीजों को संतुलित भोजन लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिससे मधुमेह से बचाव हो सके। उन्होंने बताया कि यह बीमारी वंशानुगत कम खानपान में बदलाव से अधिक बढ़ रही है। मधुमेह के मरीज प्रतिमाह एक बार जांच जरूर कराएं और शुगर के साथ-साथ ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की भी जांच कराएं। संवाद
नियमित करें व्यायाम
डॉ. कुलबीर सिंह ने बताया कि सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनट प्रतिदिन व्यायाम करें। जिससे वजन संतुलित रह सके। थोड़े-थोड़े समय पर कम मात्रा में भोजन लेते रहें। स्वस्थ और संतुलित आहार लेना चाहिए। चीनी, नमक और वसा की ज्यादा मात्रा लेने से बचना चाहिए। ऐसा भोजन ग्रहण करना चाहिए जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक हो जैसे कि फल, हरी सब्जी, छिलके वाले अनाज, छिलके वाली दाल या उससे बने अन्य खाद्य पदार्थ। किसी भी प्रकार के तंबाकू और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। मधुमेह के जोखिम के कारक अस्वस्थ आहार, शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा, उच्च रक्तचाप व आनुवांशिक हैं।
मधुमेह के लक्षण
बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक भूख लगना, असामान्य प्यास लगना, बिना किसी कारण वजन गिरना, थकान, कमजोरी महसूस होना, आंखों से धुंधला दिखाई देना, बार-बार संक्रमण होना, जख्मों का जल्दी न भरना और ऊर्जा की कमी।
मधुमेह से ये हो सकता है खतरा
गुर्दे का फेल होना, हृदय, रक्त वाहिकाओं संबंधी रोग, दिल का दौरा, लकवा, नसों की क्षति, सुन्न पड़ना, हाथ या पैरों में झनझनाहट होना, पैरों में घाव, संक्रमण होना, आंखों में अंधापन, मुख गुहा-मसूढ़े संबंधी रोग।
अनुज शर्मा
करनाल। असंतुलित खानपान और बदलती जीवनशैली से मधुमेह के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालात ऐसे हैं कि शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी जीवनशैली में बदलाव के चलते मधुमेह के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस रोग की चपेट में कम उम्र के युवा भी आने लगे हैं। इसका कारण जंक व फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन करना भी बताया जा रहा है।
जिला नागरिक अस्पताल के एमडी फिजिशियन डॉ. कुलबीर सिंह ने बताया कि उनकी ओपीडी में रोजाना 65 से 70 मरीज मधुमेह के पहुंच रहे हैं। वहीं इनमें 15 मरीज 26 से 35 वर्ष तक की उम्र के युवा शामिल हैं। युवाओं का मधुमेह की चपेट आना चिंताजनक है, क्योंकि शरीर में मधुमेह का प्रतिशत बढ़ने से लोगों में किडनी फेल, आंखों की रोशनी के साथ-साथ हार्ट की दिक्कतें सामने आ रही हैं। डॉ. कुलबीर ने बताया कि मधुमेह यानी शुगर के मरीजों को संतुलित भोजन लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिससे मधुमेह से बचाव हो सके। उन्होंने बताया कि यह बीमारी वंशानुगत कम खानपान में बदलाव से अधिक बढ़ रही है। मधुमेह के मरीज प्रतिमाह एक बार जांच जरूर कराएं और शुगर के साथ-साथ ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की भी जांच कराएं। संवाद
नियमित करें व्यायाम
डॉ. कुलबीर सिंह ने बताया कि सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनट प्रतिदिन व्यायाम करें। जिससे वजन संतुलित रह सके। थोड़े-थोड़े समय पर कम मात्रा में भोजन लेते रहें। स्वस्थ और संतुलित आहार लेना चाहिए। चीनी, नमक और वसा की ज्यादा मात्रा लेने से बचना चाहिए। ऐसा भोजन ग्रहण करना चाहिए जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक हो जैसे कि फल, हरी सब्जी, छिलके वाले अनाज, छिलके वाली दाल या उससे बने अन्य खाद्य पदार्थ। किसी भी प्रकार के तंबाकू और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। मधुमेह के जोखिम के कारक अस्वस्थ आहार, शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा, उच्च रक्तचाप व आनुवांशिक हैं।
मधुमेह के लक्षण
बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक भूख लगना, असामान्य प्यास लगना, बिना किसी कारण वजन गिरना, थकान, कमजोरी महसूस होना, आंखों से धुंधला दिखाई देना, बार-बार संक्रमण होना, जख्मों का जल्दी न भरना और ऊर्जा की कमी।
मधुमेह से ये हो सकता है खतरा
गुर्दे का फेल होना, हृदय, रक्त वाहिकाओं संबंधी रोग, दिल का दौरा, लकवा, नसों की क्षति, सुन्न पड़ना, हाथ या पैरों में झनझनाहट होना, पैरों में घाव, संक्रमण होना, आंखों में अंधापन, मुख गुहा-मसूढ़े संबंधी रोग।
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