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फतेहपुर। बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर हर जिले में एक थाना बनाए जाने की सीएम ने घोषणा की है। थाना बनने से पीड़ितों को न्याय और विवेचनाओं का तेजी से निस्तारण हो सकेगा। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक करीब एक साल में 63 मुकदमे दर्ज किए गए। इसमें 27 का निस्तारण हो सका है।
साइबर सेल थाना बनने के बाद सीधे मुकदमा दर्ज कराया जा सकेगा। फिलहाल पांच लाख के नीचे के अपराधों का मुकदमा स्थानीय थानों पर दर्ज किया जाता है। बाकी मामले प्रयागराज परिक्षेत्र में विवेचना और मुकदमे दर्ज कराने के लिए भेजे जाते हैं। स्थानीय साइबर सेल में कुछ ही पुलिस कर्मी तैनात हैं। विवेचना स्थानीय थानों की पुलिस करती है। तकनीकी सहायता साइबर सेल करता है।
जिले में यूं तो हर माह साइबर अपराध के औसतन 20 मामले सामने आते हैं। इनकी जांच के बाद कुछ ही मामलों में एफआईआर दर्ज होती है। पुलिस के मुताबिक साइबर ठग झांसा देकर लोगों से डेबिट, क्रेडिट कार्ड की डिटेल मांग लेते हैं। उसके बाद खातों से रुपये उड़ा देते हैं।
कई मामलों में रिश्तेदार बनकर फोन पे पर रुपये भेजने, केवाईसी, लॉटरी, आवास योजना का लालच देकर ठगी की घटनाएं साइबर अपराधी कर चुके हैं। साइबर सेल प्रभारी अरविंद कुमार मौर्या ने बताया कि साइबर अपराधी हमेश अपने तरीके बदलते रहते हैं। इनसे बचने के लिए लोगों को बैंक से जुड़ी जानकारी मांगने वालों से सावधान रहना चाहिए।
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इनसेट
टीम रुपयों वापस कराने तक सीमित
साइबर सेल टीम फ्राड होने के बाद लोगों को रुपये वापस दिलाने तक सीमित है। जो लोग समय से साइबर सेल को सूचना दे देते हैं, उनके साथ हुए अपराध को संज्ञान में लेकर टीम कोशिश करती है कि अपराधियों का बैंक ट्रांजेक्शन और खरीददारी को रोका जा सके। इस बीच कुछ ही लोगों को रुपये टीम बचा पाती है। फोन पर धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधी इतने शातिर हैं कि वह फौरन मोबाइल और सिमकार्ड बंद कर देते हैं। जिससे टीम उन तक पहुंचने में नाकाम हो जाती है।
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कोट्स
फोटो 34-
साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। स्थानीय स्तर पर सेल गठित होने से लोगों की सीधे एफआईआर होगी और विवेचना के टीम गठित हो सकेगी। टीम विवेचना का तेजी से निस्तारण कर सकेगी। शासन के निर्देश आते ही साइबर थाने के लिए जमीन और उपकरणों की व्यवस्था कराई जाएगी। – अनिरुद्घ कुमार-एएसपी
फतेहपुर। बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर हर जिले में एक थाना बनाए जाने की सीएम ने घोषणा की है। थाना बनने से पीड़ितों को न्याय और विवेचनाओं का तेजी से निस्तारण हो सकेगा। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक करीब एक साल में 63 मुकदमे दर्ज किए गए। इसमें 27 का निस्तारण हो सका है।
साइबर सेल थाना बनने के बाद सीधे मुकदमा दर्ज कराया जा सकेगा। फिलहाल पांच लाख के नीचे के अपराधों का मुकदमा स्थानीय थानों पर दर्ज किया जाता है। बाकी मामले प्रयागराज परिक्षेत्र में विवेचना और मुकदमे दर्ज कराने के लिए भेजे जाते हैं। स्थानीय साइबर सेल में कुछ ही पुलिस कर्मी तैनात हैं। विवेचना स्थानीय थानों की पुलिस करती है। तकनीकी सहायता साइबर सेल करता है।
जिले में यूं तो हर माह साइबर अपराध के औसतन 20 मामले सामने आते हैं। इनकी जांच के बाद कुछ ही मामलों में एफआईआर दर्ज होती है। पुलिस के मुताबिक साइबर ठग झांसा देकर लोगों से डेबिट, क्रेडिट कार्ड की डिटेल मांग लेते हैं। उसके बाद खातों से रुपये उड़ा देते हैं।
कई मामलों में रिश्तेदार बनकर फोन पे पर रुपये भेजने, केवाईसी, लॉटरी, आवास योजना का लालच देकर ठगी की घटनाएं साइबर अपराधी कर चुके हैं। साइबर सेल प्रभारी अरविंद कुमार मौर्या ने बताया कि साइबर अपराधी हमेश अपने तरीके बदलते रहते हैं। इनसे बचने के लिए लोगों को बैंक से जुड़ी जानकारी मांगने वालों से सावधान रहना चाहिए।
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इनसेट
टीम रुपयों वापस कराने तक सीमित
साइबर सेल टीम फ्राड होने के बाद लोगों को रुपये वापस दिलाने तक सीमित है। जो लोग समय से साइबर सेल को सूचना दे देते हैं, उनके साथ हुए अपराध को संज्ञान में लेकर टीम कोशिश करती है कि अपराधियों का बैंक ट्रांजेक्शन और खरीददारी को रोका जा सके। इस बीच कुछ ही लोगों को रुपये टीम बचा पाती है। फोन पर धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधी इतने शातिर हैं कि वह फौरन मोबाइल और सिमकार्ड बंद कर देते हैं। जिससे टीम उन तक पहुंचने में नाकाम हो जाती है।
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कोट्स
फोटो 34-
साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। स्थानीय स्तर पर सेल गठित होने से लोगों की सीधे एफआईआर होगी और विवेचना के टीम गठित हो सकेगी। टीम विवेचना का तेजी से निस्तारण कर सकेगी। शासन के निर्देश आते ही साइबर थाने के लिए जमीन और उपकरणों की व्यवस्था कराई जाएगी। – अनिरुद्घ कुमार-एएसपी
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