कलीसियाई समन्वय के सदस्यों को 800वीं सालगिराह पर संत पापा का संदेश में अस्सीसी की तरह चलने, सुनने और सुसमाचार के संदेशवाहक होने का आहृवान किया।
दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार, 31अक्टूबर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अस्सीसी के संत फ्रांसिस की 800वीं सालगिराह के अवसर पर अस्सीसी कलीसियाई समन्वय सदस्यों से भेंट की और उन्हें संत अस्सीसी की तरह चलने, सुनने और सुसमाचार के संदेशवाहक होने का संदेश दिया।
निर्धनता और प्रकृति के संत
संत पापा ने उन्हें अपने संबोधन में कहा कि संत फ्रांसिस शांति के संत होने के साथ-साथ निर्धनता और प्रकृति के संत हैं। उनमें विश्वास की जड़ें क्रूसित और पुनर्जीवित येसु से आती हैं जिसके कारण उन्होंने अपने जीवन के दुःख तकलीफों को अर्थपूर्ण पाया। “वे येसु ख्रीस्त की महानतम करूणा और अपनी दीनता को, ईश्वर का एक कोढ़ी के संग वार्ता करने में अनुभव किया।”
संत पापा ने कहा कि इस अनुभूति ने उन्हें कृतज्ञता के भाव से पूर्ण ईश्वर के संग घंटों समय व्यतीत करने को प्रेरित किया। ऐसा करने के द्वारा उन्होंने पवित्र आत्मा को बहुतायत में प्राप्त किया जो उन्हें येसु ख्रीस्त और उनके सुसमाचार के साक्षी बनने में मदद दिया। “उन्होंने ख्रीस्त का अनुसरण करते हुए गरीबों के संग अपने को एक बना लिया, मानों वे दोनों एक सिक्के के दो पहलू हों।”
ईश्वर की पुकार
उन्होंने कहा कि क्रूसित येसु के सामने संत फ्रांसिस ने येसु की आवाज सुनी, “फ्रांसिस जाओ मेरा निवास स्थल का निर्माण करो।” युवा फ्रांसिस ने बड़ी मुस्तैदी और उदारता से उस पुकार को सुना और ईश मंदिर का पुननिर्माण किया। लेकिन कौन-सा घरॽ संत पापा ने कहा कि उन्होंने धीरे से इस बात का अनुभव किया वह ईंट और पत्थरों का घर नहीं, बल्कि अपने जीवन को कलीसिया की सेवा हेतु समर्पित करना था। “यह स्वयं को कलीसिया की सेवा में देना, उसे प्रेम करना और उसके लिए कार्य करना था जिससे कलीसिया के द्वारा ख्रीस्त का चेहरा प्रतिबिंबित हो।”
ख्रीस्तीय जीवन शैली
चलने के बारे में, संत पापा ने कहा कि संत फ्रांसिस कभी नहीं रूकने वाले यात्री थे। उन्होंने दूरियों की चिंता किये बिना पैदल ही इटली के गाँवों के गाँवों का दौरा करते हुए लोगों को कलीसिया के संग संयुक्त किया। “यह एक ख्रीस्तीय समुदाय की जीवन शैली है जो लोग से मिलने जाती न कि किसी का अपनी ओर आने का इंतजार करती है।”
तीसरे विन्दु सुसमचार प्रचार के बारे में संत पापा ने कहा कि हर किसी को न्याय और विश्वास की चाह है। केवल विश्वास ही आत्मा की सांस को एक बंद और व्यक्तिवादी दुनिया में पुनर्स्थापित करता है। विश्वास रूपी आत्मा के इसी सांस द्वारा हम दुनिया में व्याप्त चुनौतियों जैसे शांति, सामान्य घर की देख-रेख और दुनिया में नये विकास का सामना कर सकते हैं।
संत पापा फ्रांसिसकन अनुयायियों को अपने संदेश के अंत में कहा, “आप अपने शताब्दी समारोह के अवसर पर कलीसिया को निष्ठा और उसकी प्रेरिताई को जीने में मदद करें।”
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