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– फोटो : पीटीआई
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ने उच्च शिक्षण संस्थानों को उच्च शिक्षा प्रणाली में ‘पंच प्राण’ और ‘जीवन’ की भावना को आत्मसात करने के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए कहा है। इस वर्ष 76वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच संकल्पों (पंच प्राण) और आने वाले 25 वर्षों के लिए उनकी प्रासंगिकता का जिक्र किया था। क्योंकि राष्ट्र ‘अमृत काल’ में प्रवेश कर रहा है।
जानिए पंच प्राण के बारे में-
पंच प्राण में- 1-एक विकसित भारत के रूप में देश को आगे बढ़ाने का संकल्प, 2- गुलामी के सभी निशान मिटाना, 3- भारत की विरासत और विरासत पर गर्व करना, 4- एकता और एकजुटता की ताकत और राष्ट्र के प्रति नागरिकों के कर्तव्य शामिल हैं।
यूजीसी के सचिव ने लिखा पत्र
यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने एचईआई को लिखे अपने पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री पर्यावरण के लिए जीवन शैली (LIFE) मिशन के माध्यम से राष्ट्र से एक ऐसी जीवन शैली जीने का आग्रह करते हैं जो हमारे ग्रह के अनुरूप हो और इसे नुकसान न पहुंचाए। उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि मानव केंद्रित, सामूहिक प्रयासों और मजबूत कार्रवाई का उपयोग करके हमारे ग्रह के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान किया जाए।
यूजीसी के पोर्टल पर पंच प्राण का सिद्धांत
उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) से अनुरोध है कि वे उच्च शिक्षा प्रणाली में ‘पंच प्राण’ और ‘जीवन’ आंदोलन की भावना को आत्मसात करने के लिए तौर-तरीकों पर काम करें। इस संबंध में की गई गतिविधियों को यूजीसी के विश्वविद्यालय गतिविधि निगरानी पोर्टल पर साझा किया जा सकता है।
विस्तार
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ने उच्च शिक्षण संस्थानों को उच्च शिक्षा प्रणाली में ‘पंच प्राण’ और ‘जीवन’ की भावना को आत्मसात करने के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए कहा है। इस वर्ष 76वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच संकल्पों (पंच प्राण) और आने वाले 25 वर्षों के लिए उनकी प्रासंगिकता का जिक्र किया था। क्योंकि राष्ट्र ‘अमृत काल’ में प्रवेश कर रहा है।
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