हाइलाइट्स
परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) छह महीने के निचले स्तर से ऊपर आ गया है.
कंपोजिट पीएमआई अक्टूबर में बढ़कर 55.5 हो गया, जो सितंबर में 55.1 था.
एसएंडपी ग्लोबल सर्विस सेक्टर की 400 प्रमुख कंपनियों के सर्वे के आधार पर आंकड़े जारी करती है.
नई दिल्ली. अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक और अच्छी खबर आई है. भारत के सर्विस सेक्टर ने अक्टूबर में अच्छी रफ्तार पकड़ी क्योंकि पिछले महीने के लिए परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सितंबर के छह महीने के निचले स्तर से ऊपर आ गया है. एसएंडपी ग्लोबल द्वारा 3 नवंबर को जारी किए गए डेटा से पता चलता है कि अक्टूबर में पीएमआई बढ़कर 55.1 हो गया, जो सितंबर में 54.3 था.
50 से ऊपर की रीडिंग गतिविधि में विस्तार संकेत देती है जबकि उप -50 से नीचे होने पर कमजोरी को दर्शाती है. ये लगातार 15वां महीना है जब सर्विस सेक्टर का पीएमआई 50 के प्रमुख स्तर से ऊपर आया है.
तीसरी तिमाही में मांग बढ़ने से बेहतर प्रदर्शन
एस एंड पी ग्लोबल ने कहा, “तीसरी वित्तीय तिमाही की शुरुआत में सेवाओं के लिए अनुकूल मांग ने नए व्यवसाय और उत्पादन में वृद्धि जारी रखी. वहीं, बिजनेस में रिकवरी आने से उत्साहित, सर्विस प्रोवाइडर ने फिर से अतिरिक्त कर्मचारियों के साथ काम शुरू किया है.”
इस सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, स्थानीय भारतीय बाजार की मांग अक्टूबर में सर्विस फर्मों के लिए अहम रही. इनमें सबसे ज्यादा योगदान फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर से मिला है. वहीं, विदेशी मांग में गिरावट आई. इस बीच, कंपोजिट पीएमआई अक्टूबर में बढ़कर 55.5 हो गया, जो सितंबर में 55.1 था, जो छह महीने में सबसे कम था. वहीं, विनिर्माण पीएमआई – समग्र सूचकांक का अन्य घटक – अक्टूबर में बढ़कर 55.3 हो गया, जो पिछले महीने 55.1 था.
आगे भी अच्छी रहेगी अर्थव्यवस्था की रफ्तार
एसएंडपी ग्लोबल सर्विस सेक्टर की 400 प्रमुख कंपनियों के सर्वे के आधार पर आंकड़े जारी करती है. इनमें ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, फाइनेंस से जुड़ी सेवाएं, रियल एस्टेट, बैंकिंग जैसे बिजनेस शामिल हैं. नये सर्वे में फाइनेंस और बीमा क्षेत्र की कंपनियों का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है. एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की संयुक्त निदेशक पोल्याना डी लीमा ने कहा, विनिर्माताओं को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में मांग में उछाल बना रहेगा.
इससे पहले एस एंड पी ग्लोबल ने कहा था कि, अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के कारण पिछले कुछ समय में रुपये की कीमत में तेजी से गिरावट आई और इस वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए माहौल काफी चुनौतीभरा है. डॉलर के मुकाबले रुपये के सस्ता होने के कारण आयात महंगा हुआ और निर्यात सस्ता हुआ है.
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Tags: Finance minister Nirmala Sitharaman, Indian economy, PM Modi
FIRST PUBLISHED : November 03, 2022, 13:21 IST
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