Publish Date: | Thu, 03 Nov 2022 02:32 PM (IST)
Naidunia Gurukul: बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। आधुनिक जीवन शैली में मोबाइल एक जरूरी माध्यम बन चुका है। बिना इसके एक पल भी गुजारना मुश्किल है। इंटरनेट के जहां कई दुरुपयोग सामने आए हैं तो वहीं यह समाज के लिए वरदान भी साबित हो रहा है। घर-परिवार में बुजुर्गों का अकेलापन मिटाने सबसे बढ़िया माध्यम बन चुका है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बुजुर्गों को मोबाइल पर भजन, पर्यटन, महापुरुषों की जीवन, पुरानी फिल्में आदि दिखाएं। इंटरनेट तकनीक से उन्हें जोड़े, जिससे वे खुद चलाना सीख जाएं।
नईदुनिया गुरुकुल शिक्षा से संपूर्णता-डिजिटल शिक्षा के अंतर्गत इस सप्ताह पोते ने बदल दी दादी की दुनिया शीर्षक से कहानी प्रकाशित हुई है। लेखक पीयूष द्विवेदी द्वारा लिखित यह कहानी समाज के लिए एक प्रेरणादायक है। घर-परिवार में अभिभावकाें को चाहिए कि वे मोबाइल अनुशासन का खुद भी पालन करें। भोजन करते वक्त बिल्कुल भी मोबाइल या टीवी स्क्रीन को बंद कर लें। बच्चों के साथ बातचीत करें। मोबाइल पर वीडियो गेम्स की अनुमति ना दें। अच्छी शिक्षाप्रद फिल्में और धारावाहिक दिखाएं। व्हाट्स एप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर में बच्चों का फोटो शेयर का उनका उत्साहवर्धन करें।
प्रतिदिन समाचारों से उनका परिचय कराएं। ताकि देश-दुनिया में होने वाली चीजों के बारे में जानकारी लेने के साथ घटनाओं से परिचित रहें। वर्तमान परिस्थिति में यह देखने को मिलता है कि बच्चे दिनभर मोबाइल पर चिपके रहते हैं। छोटे बच्चे बिना मोबाइल देखे भोजन का एक निवाला तक मूंह में नहीं लेते। यह एक गंभीर समस्या है। घर में बच्चों जब बुजुर्गों से जुड़ते हैं तकनीकी कार्य यानी मोबाइल से अधिक सकारात्मक होते हैं। बस बुजुर्ग यह ध्यान रखें कि वे गेम की लत न पालें। बालिग होते तक मोबाइल तकनीक में बच्चों को कई एप वाली सुविधा न दें। बच्चों को बुजुर्गों के साथ बैठने, उठने की आदत डालें। जिससे की दो पीढ़ियों के बीच एक बढिया सामंजस स्थापित हो सके। भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता कई बार बच्चों को बुजुर्गों से अलग कर देते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। बच्चों के मानसिक विकास के लिए यह एक अनिवार्य कड़ी है।
कहानी का मुख्य पात्र पिंकू
कहानी में लेखक पीयूष द्विवेदी ने पिकू पात्र में जान भर दिया है। किस तरह वह अपने मम्मी पापा की बातों को सुनकर तर्क देता है। दादी सरला ने जब अपने बेटे से कहा कि तुम दफ्तर चले जाते हो, पिंकू स्कूल चला जाता है और उषा घर के कामों में उलझी होती है, तब मेरे लिए समय काटना बड़ा मुश्किल हो जाता है। टीवी कोई कितना देखे गांव में तो चार लोगों से बोलते-बतियाते समय कट जाता था। आखिर में पोता पिंकू कहता है पापा, दादी का वाट्सएप और फेसबुक बना दीजिए, फिर आराम से इनका टाइम पास हो जाएगा। इससे दादी बहुत से लोगों को देख सकेंगी और बात भी कर सकेंगी। हुआ भी यही पिंकू ने अपनी दादी को टैबलेट चलाना सीखा दिया। फिर दादी अपने गांव वालों से बात करना भी शुरू कर दी। इस बदलाव ने दादी की जिंदगी बदल दी।
बच्चों से कराएं यह काम
माता-पिता अपने बच्चों को उसके दादा-दादी से जोड़ने का प्रयत्न करें। कई बार जानबूझकर अनजान बन जाएं। दोनों रिश्तों की कड़ी जुड़ने दें। बच्चों में दान देने की आदत डलवाएं। नई तकनीक पर उन्हें प्रोत्साहित करें। धन जमा व खर्च करने के तरीके समझाएं। बुजुर्गों की सेवा और पूजा पाठ के बारे में अवगत कराते रहेंं। महापुरुषों के बारे में जानकारी दें। ताकि उनके दिमाग में सकारात्मक चीजों का समावेश हो सके।
– डा. अंजू शुक्ला
प्राचार्य, डीपी विप्र पीजी महाविद्यालय बिलासपुर
Posted By: Abrak Akrosh
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