फर्रुखाबादएक घंटा पहले
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जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रंजन गौतम।
फर्रुखाबाद मे टीबी के 2103 मरीज हैं। इन मरीजों का इलाज किया जा रहा है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रंजन गौतम ने बताया समय पर अगर महिला को सही इलाज मिल जाए तो गर्भाशय की टीबी को मात दी जा सकती है। उन्होंने बताया जब टीबी का वैक्टीरिया प्रजनन मार्ग में पहुंच जाता है तो गर्भाशय, अंडाशय, योनि मार्ग, लिम्फ नोडस को प्रभावित करता है, जिससे प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। जिस कारण जेनाइटल या पेल्विक टीबी हो जाती है।
डीटीओ ने बताया जेनाइटल या पेल्विक टीबी के संदर्भ में भ्रांतियों के कारण लोगों को सही जानकारी नहीं होती और महिलाएं भी यह सोचती हैं कि पेल्विक टीबी (फेलोपियन ट्यूब,गर्भाशय) होने की वजह से वह बच्चे को जन्म नहीं दे पाएंगी। पर यह सभी भ्रांतियां हैं। सही समय पर इलाज, अच्छा खानपान और बेहतर जीवनशैली से कोई भी जेनाइटल टीबी से ग्रसित महिलाएं स्वस्थ होने के पश्चात गर्भधारण कर सकती हैं। उन्होंने बताया जेनाइटल टीबी से ग्रसित महिलाओं को इलाज के संदर्भ में सारी जानकारी दी जाती है। उनके साथ उनके घर वालों की काउंसलिंग भी करते हैं। जिससे कि मरीज के साथ किसी तरह का भेदभाव न किया जाए। उसे इलाज के साथ मानसिक रूप से सहयोग किया जाए, जिससे वह जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाए। कहा कि इस वित्तीय वर्ष में लगभग 35 लाख रुपए का भुगतान निक्षय पोषण योजना के तहत किया जा चुका है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता दास।
पेल्विक और जेनाइटल टीबी के संबंध में विशेषज्ञ की राय
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता दास ने बताया कि पेल्विक टीबी होने पर महिलाओं के जननांग प्रभावित होते हैं। फेलोपियन ट्यूब बंद हो जाते हैं, जिससे परेशानियां बढ़ जाती हैं। जिससे महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती। उन्होंने बताया कि गर्भाशय में टीबी होने पर गर्भाशय की अंदर की लाइनिंग परत पतली हो जाती है। जिससे गर्भ पूर्ण विकसित होने में मुश्किल होती है।
इसलिए टीबी का सही से समय पर इलाज कराया जाए। पौष्टिक भोजन और योग, व्यायाम, स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाए तो कोई भी महिला स्वस्थ होने के बाद गर्भधारण कर सकती है। उन्होंने बताया कि जिन किशोरियों को मासिक धर्म कम होता है या अनियमित रुप से हो रहा है। यह समस्या लंबे समय रहे तो वह सतर्कता बरतें। वह अपना चेकअप अवश्य कराएं, क्योंकि इस तरह की समस्या लंबे समय तक रहने पर जेनिटल टीबी का खतरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में प्रतिवर्ष 1 या 2 महिलाएं ऐसी आती हैं, जिनको गर्भाशय की टीबी होती है। उनका सफलतापुर्वक इलाज किया जाता है, जिससे कि वह गर्भधारण कर सकें।
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