जमशेदपुर : लौहनगरी में पली-बढ़ी लेखिका शमा अख्तर काजमी की तीसरी किताब ‘आधी दुनिया का मुकम्मल जहां’ का विमोचन गुरुवार को समारोहपूर्वक हुआ. जमशेदपुर के नामचीन शिक्षण संस्था करीम सिटी कॉलेज में के मानगो कैंपस स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह की अध्यक्षता कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ मोहम्मद जकरिया ने की, जबकि पुस्तक का विमोचन करीमिया ट्रस्ट के ट्रस्टी सैयद अशफाक करीम ने किया. इस किताब के संबंध में अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए सैयद अशफाक करीम ने किताब की भूरि-भूरि प्रशंसा की. एक दूसरे वक्ता डॉ अख्तर अहमद ने पुस्तक की विशेषताओं को रेखांकित किया. वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अख्तर खान ने कहा कि आज के युग में शिक्षा का महत्व और इसकी आवश्यकता से इन्कार नहीं किया जा सकता. जिन बच्चों की माताएं शिक्षित होती हैं, वे बच्चे भी शिक्षा के मैदान में उच्च मुकाम पाते हैं. इसकी मिसाल शमा अख्तर काजमी और इनके द्वारा लिखी हुई किताब है, जिसने उर्दू साहित्य में अपनी एक विशेष जगह बनाई है. (नीचे भी पढ़ें)
‘आधी दुनिया का मुकम्मल जहां’ की लेखिका शमा अख्तर काजमी ने कहा कि मेरी कर्मभूमि मुंबई के निकट पावरलूम उद्योग नगरी भिवंडी है, परंतु आज मैं गौरवान्वित हूं कि मेरी जन्मभूमि जमशेदपुर में मेरी किताब का विमोचन हो रहा है. इसके लिए मैं सभी लोगों की आभारी हूं. प्रोफेसर अली ने बहुत ही खूबसूरती से विमोचन समारोह का संचालन किया, जबकि सामाजिक कार्यकर्ता मुख्तार आलम खान ने सभी अतिथियों तथा श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया. किताब के विमोचन के फौरन बाद वरिष्ठ कवि तैयब वास्ती की अध्यक्षता में मुशायरा का आयोजन हुआ, जिसका संचालन रिजवान औरंगाबाद ने किया. शफीउल्ला, शफी अशरफ, अली अशरफ, गौहर अजीज, अहमद नजीर अंसारी भागलपुरी, अहमद बद्र और अफसर काजमी ने अपनी गजलें पेश की. इस अवसर पर सभी अतिथि और शायरों को फूलों का गुलदस्ता और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया.
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