जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली: रूस से ज्यादा क्रूड खरीदने की भारत की रणनीति ने क्रूड बाजार में भारी उथल-पुथल मचा दी है। भारत जैसे खरीदार को छिटकते देख इराक और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भी भारत को रूस की तरह क्रूड की कीमत में डिस्काउंट देना शुरू कर दिया है। इराक और कुछ दूसरे एशियाई क्रूड उत्पादक देशों ने भारत को आगे भी आकर्षक दरों पर क्रूड आपूर्ति करने का वादा किया है। इस वजह से ही जुलाई, 2022 में जहां भारत की तेल कंपनियों ने क्रूड के लिए औसतन 105.49 डालर प्रति बैरल का भुगतान किया था वहीं अक्टूबर में सिर्फ 91.70 डालर प्रति बैरल की औसत दर से कच्चा तेल खरीदा है।
भारत इन देशों से अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी कम कीमत पर क्रूड खरीदने में सफल रहा है। यही वजह है कि छह अप्रैल, 2022 के बाद से देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। अब इन दोनों उत्पादों की खुदरा कीमतों में कटौती की भी संभावना बनी है। पेट्रोलियम मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदने का फैसला क्रूड बाजार की पूरी व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। अभी तक ‘एशियाई डिस्काउंट’ की भारत की मांग को तेल उत्पादक देश कोई भाव नहीं देते थे लेकिन अब वो इसके लिए तैयार हैं। यही वजह है कि अक्टूबर महीने में भारत ने सबसे ज्यादा तेल रूस से खरीदा और दूसरे स्थान पर इराक रहा। जबकि भारत को सबसे ज्यादा तेल आपूर्ति करने वाला देश सऊदी अरब तीसरे स्थान पर आ गया है। पिछले कई वर्षो से भारत के लिए सऊदी अरब, इराक और यूएई सबसे बड़े तेल उत्पादक देश रहे हैं। रूस का स्थान आपूर्तिकर्ता देशों में 10वां था जो अब पहला हो चुका है।
सऊदी अरब से भारत 16 प्रतिशत कच्चा तेल खरीद रहा
एनर्जी कार्गो की ट्रैकिंग करने वाली लंदन स्थित कंपनी वोर्टेक्सा ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अक्टूबर में रूस ने भारत को रोजाना 9.60 लाख बैरल क्रूड की आपूर्ति की। भारत ने अपनी कुल क्रूड खरीद का 22 प्रतिशत रूस से खरीदा है जबकि इराक 20.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रहा। सऊदी अरब से भारत 16 प्रतिशत कच्चा तेल खरीद रहा है। इस नए समीकरण में भारत ने अमेरिका से काफी कम तेल खरीदा है। अमेरिका से भारत ने क्रूड की खरीद 2017-18 में ही शुरू की थी और थोड़े ही दिनों में यह भारत के सबसे बड़े पांच आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो गया था।
खुदरा कीमतों में कटौती की बन रही तस्वीर
भारत को डिस्काउंट पर कच्चा तेल नहीं मिला होता तो घरेलू बाजार में छह माह से भी ज्यादा लंबे समय तक पेट्रोल और डीजल की कीमत को स्थिर रखना मुश्किल था। भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत में अंतिम बार बढ़ोतरी छह अप्रैल, 2022 को हुई थी। अप्रैल, 2022 में भारतीय कंपनियों ने औसतन 102.97 डालर प्रति बैरल की दर से तेल खरीदा था। उसके बाद जुलाई तक कीमतें बढ़ी हैं। हालांकि घरेलू कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। जुलाई, 2022 के बाद कीमतें घटी हैं और नवंबर के पहले तीन दिनों के दौरान भारतीय कंपनियों ने 91.98 डालर प्रति बैरल की दर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल खरीद की है जो अप्रैल के मुकाबले काफी कम है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कुछ राहत मिलने की उम्मीद बंधी है। सरकार की तरफ से मई, 2022 में पेट्रोल और डीजल पर शुल्क घटाने से इनकी कीमतें क्रमश: 9.5 रुपये प्रति लीटर और सात रुपये प्रति लीटर कम हुई थी।
पिछले नौ महीनों की भारत की औसत क्रूड खरीद मूल्य
- अप्रैल: 102.97 डालर प्रति बैरल
- मई : 109.51 डालर प्रति बैरल
- जून: 116.01 डालर प्रति बैरल
- जुलाई: 105.49 डालर प्रति बैरल
- अगस्त: 97.40 डालर प्रति बैरल
- सितंबर: 90.71 डालर प्रति बैरल
- अक्टूबर: 91.70 डालर प्रति बैरल
- नवंबर: 91.98 डालर प्रति बैरल
Edited By: Amit Singh
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