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टैक्स वसूली में खेल, रखे-रखे बेकार कर दिए 1009 चेक
प्रवेंद्र गुप्ता
लखनऊ। सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, नगर निगम के राजस्व निरीक्षकों पर यह कहावत सटीक बैठती है। एक तरफ ये गृहकर वसूली कर अफसरों से वाहवाही लूट लेते हैं तो दूसरी ओर बड़े गृहकर बकायेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए उनसे लिए चेक निगम के खाते में नहीं जमा करवाते। इसके बदले कमाई की जाती है। ताजा मामला जोन चार का है। यहां करीब एक करोड़ रुपये की कुल रकम के 1009 चेक फाइलों में रखे-रखे ही बेकार कर दिए गए। खास बात है कि दूसरे जोन में ऐसा मामला पहले ही सामने आ चुका है। फिर भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा, जबकि बड़े बकायेदार 300 करोड़ से अधिक का टैक्स दबाए बैठे हैं। इसकी वसूली को लेकर निगम प्रशासन प्रयास कर रहा है, लेकिन टैक्स इंस्पेक्टर और बाबू कवायद फेल कर दे रहे हैं।
जोन चार के 11 वार्डों में वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2022-2023 तक जमा हुए चेकों में से 1009 ऐसे हैं, जिनका रिकॉर्ड गृहकर सॉफ्टवेयर पर अपडेट नहीं है। ये चेक पेंडिंग दिख रहे हैं। सॉफ्टवेयर के जानकार ने बताया कि जिस भवन के गृहकर का चेक पेंडिंग या बाउंस होता है तो उसका हाउस टैक्स अगले साल के रिकॉर्ड में तब तक अपडेट नहीं हो पाता, जब तक चेक क्लीयर न कराया जाए। वहीं, जब तक चेक क्लीयर नहीं होता, भवन का टैक्स भी नहीं जमा हो पाता है।
ऊपरी कमाई के लिए होता है खेल
बड़े बकायेदारों को सीलिंग, कुर्की से बचाने के लिए टैक्स इंस्पेक्टर उनसे चेक तो ले लेते हैं, लेकिन उन्हें कैश नहीं कराकर फाइल में रख देते हैं। इससे कार्रवाई टल जाती है और बकायेदार को टैक्स भी नहीं जमा करना पड़ता है। जैसे ही मामला ठंडा होता है, गुपचुप तरीके से चेक वापस भी कर दिए जाते हैं। चेक बाउंस करवाकर भी बकायेदारों को बचाया जाता है। चेक बाउंस होने के बाद भी न तो कानूनी कार्रवाई और न ही सीलिंग या कुर्की होती है। नगर निगम के सॉफ्टवेयर में एक बार चेक बाउंस होने के बाद आगे कर तभी जमा हो पाता है जब चेक बाउंस की फीस जमा कर अधिकृत अधिकारी अपने लॉगिन आईडी से उसे ओके करता है। ऐसे में जिनके चेक बाउंस हो जाते हैं वे बकायेदार सॉफ्टवेयर में ही पेंडिंग रहते हैं। साधारण सूची निकालने पर भी इनका नाम छुपा रहता है।
चेक बेकार करने में चिनहट द्वितीय वार्ड अव्वल
बेकार किए गए चेकों में सबसे ज्यादा 379 चिनहट द्वितीय वार्ड के हैं। इसके बाद रफी अहमद किदवई वार्ड के 124 चेक बेकार किए गए। तीसरे नंबर पर राजीव गांधी प्रथम वार्ड है। यहां के 107 चेक बेकार किए गए। गोमती नगर वार्ड में 100 और चिनहट प्रथम के 81 चेक जमा नहीं किए गए।
जिम्मेदारों पर होगी सख्त कार्रवाई
अपर नगर आयुक्त अवनींद्र सिंह का कहना है कि यह गंभीर मामला है। इस बारे में जोनल अफसर से पूरी रिपोर्ट ली जाएगी। इसके लिए जो जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होगी। गृहकर वसूली में इस तरह की गड़बड़ी नहीं चलेगी।
टैक्स वसूली में खेल, रखे-रखे बेकार कर दिए 1009 चेक
प्रवेंद्र गुप्ता
लखनऊ। सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, नगर निगम के राजस्व निरीक्षकों पर यह कहावत सटीक बैठती है। एक तरफ ये गृहकर वसूली कर अफसरों से वाहवाही लूट लेते हैं तो दूसरी ओर बड़े गृहकर बकायेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए उनसे लिए चेक निगम के खाते में नहीं जमा करवाते। इसके बदले कमाई की जाती है। ताजा मामला जोन चार का है। यहां करीब एक करोड़ रुपये की कुल रकम के 1009 चेक फाइलों में रखे-रखे ही बेकार कर दिए गए। खास बात है कि दूसरे जोन में ऐसा मामला पहले ही सामने आ चुका है। फिर भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा, जबकि बड़े बकायेदार 300 करोड़ से अधिक का टैक्स दबाए बैठे हैं। इसकी वसूली को लेकर निगम प्रशासन प्रयास कर रहा है, लेकिन टैक्स इंस्पेक्टर और बाबू कवायद फेल कर दे रहे हैं।
जोन चार के 11 वार्डों में वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2022-2023 तक जमा हुए चेकों में से 1009 ऐसे हैं, जिनका रिकॉर्ड गृहकर सॉफ्टवेयर पर अपडेट नहीं है। ये चेक पेंडिंग दिख रहे हैं। सॉफ्टवेयर के जानकार ने बताया कि जिस भवन के गृहकर का चेक पेंडिंग या बाउंस होता है तो उसका हाउस टैक्स अगले साल के रिकॉर्ड में तब तक अपडेट नहीं हो पाता, जब तक चेक क्लीयर न कराया जाए। वहीं, जब तक चेक क्लीयर नहीं होता, भवन का टैक्स भी नहीं जमा हो पाता है।
ऊपरी कमाई के लिए होता है खेल
बड़े बकायेदारों को सीलिंग, कुर्की से बचाने के लिए टैक्स इंस्पेक्टर उनसे चेक तो ले लेते हैं, लेकिन उन्हें कैश नहीं कराकर फाइल में रख देते हैं। इससे कार्रवाई टल जाती है और बकायेदार को टैक्स भी नहीं जमा करना पड़ता है। जैसे ही मामला ठंडा होता है, गुपचुप तरीके से चेक वापस भी कर दिए जाते हैं। चेक बाउंस करवाकर भी बकायेदारों को बचाया जाता है। चेक बाउंस होने के बाद भी न तो कानूनी कार्रवाई और न ही सीलिंग या कुर्की होती है। नगर निगम के सॉफ्टवेयर में एक बार चेक बाउंस होने के बाद आगे कर तभी जमा हो पाता है जब चेक बाउंस की फीस जमा कर अधिकृत अधिकारी अपने लॉगिन आईडी से उसे ओके करता है। ऐसे में जिनके चेक बाउंस हो जाते हैं वे बकायेदार सॉफ्टवेयर में ही पेंडिंग रहते हैं। साधारण सूची निकालने पर भी इनका नाम छुपा रहता है।
चेक बेकार करने में चिनहट द्वितीय वार्ड अव्वल
बेकार किए गए चेकों में सबसे ज्यादा 379 चिनहट द्वितीय वार्ड के हैं। इसके बाद रफी अहमद किदवई वार्ड के 124 चेक बेकार किए गए। तीसरे नंबर पर राजीव गांधी प्रथम वार्ड है। यहां के 107 चेक बेकार किए गए। गोमती नगर वार्ड में 100 और चिनहट प्रथम के 81 चेक जमा नहीं किए गए।
जिम्मेदारों पर होगी सख्त कार्रवाई
अपर नगर आयुक्त अवनींद्र सिंह का कहना है कि यह गंभीर मामला है। इस बारे में जोनल अफसर से पूरी रिपोर्ट ली जाएगी। इसके लिए जो जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होगी। गृहकर वसूली में इस तरह की गड़बड़ी नहीं चलेगी।
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