दिव्यांग छात्रों को परीक्षा में मिलेगी विशेष सुविधा (सांकेतिक तस्वीर)।
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देश के सभी तकनीकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को निशक्तजनों के लिए परीक्षा की व्यवस्था भूतल पर आयोजित करने की व्यवस्था करनी होगी। दिव्यांग छात्रों को परीक्षा सहायक उपकरण, सुनने का यंत्र, कृत्रिम अंग का उपयोग करने की अनुमति देनी होगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने सभी तकनीकी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर दिव्यांगों को विशेष सुविधाएं देने का निर्देश दिया है।
एआईसीटीई ने अपने पत्र में लिखा है कि सभी तकनीकी संस्थान उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप निशक्तजनों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित करने संबंधी दिशानिर्देश का अनुपालन करें। संस्थान शिक्षकों और छात्रों को इस दिशा-निर्देश की जानकारी भी दें, ताकि विशेष छात्रों को जागरूक किया जा सके। इसमें कहा गया है कि ऐसे लोग जिन्हें लिखने में परेशानी होगी, उन्हें लिखने वाले और प्रतिपूरक समय की सुविधा दी जाएगी, लेकिन इसके लिए प्रभावित व्यक्ति को लिखित में सूचित करना और प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। उम्मीदवार अपने लिए लिखने वाले व्यक्ति को खुद चुन सकता है या परीक्षा निकाय से इसके लिए आग्रह कर सकता है। निशक्तता के दायरे में आने वाले उम्मीदवार के लिए लिखने वाला व्यक्ति प्रदान करने की स्थिति में परीक्षा निकाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी (लिखने वाले) योग्यता परीक्षा की न्यूनतम अर्हता से अधिक नहीं होनी चाहिए।
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि ऐसे उम्मीदवारों को विभिन्न परीक्षा पत्रों खासकर भाषा संबंधी पत्रों के लिए अलग-अलग लिखने वाले की सुविधा दी जानी चाहिए। हालांकि प्रति विषय एक लिखने वाला दिया जा सकता है। उम्मीदवारों को सहायक उपकरण, सुनने का यंत्र, कृत्रिम अंग का उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है।
जो व्यक्ति अपने लिए परीक्षा में लिखने वाला लेने की पात्रता रखता है, उसके लिए प्रतिपूरक समय प्रति घंटा 20 मिनट से कम नहीं होना चाहिए। इसमें कहा गया है कि जहां तक संभव हो, ऐसे निशक्त जनों के लिए परीक्षा भूतल पर ही आयोजित की जानी चाहिए। परीक्षा केंद्रों पर निशक्तजनों की पहुंच सुगम होनी चाहिए। ये दिशा-निर्देश केंद्रीय भर्ती एजेंसियों, अकादमिक संस्थानों द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा पर लागू होते हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इन दिशा-निर्देशों को अपना सकते हैं या इसके अनुरूप एकरूपता से दिशा-निर्देश तैयार कर सकते हैं।
एआईसीटीई ने अपने पत्र में लिखा है कि यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि उच्चतम न्यायालय ने 11 फरवरी 2021 में विकास कुमार बनाम यूपीएससी एवं अन्य मामले में भारत सरकार को उपयुक्त दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा था, जिसमें निशक्त जनों के लिए परीक्षा में लिखने वाले की सुविधा प्रदान करना और उनके नियमन की बात कही गई थी, जहां निशक्तता के कारण उम्मीदवार को लिखित परीक्षा देने में बाधा आती हो। जहां उम्मीदवारों की स्थिति सक्षम चिकित्सा प्राधिकार द्वारा उचित रूप से प्रमाणित हो, ताकि जरूरत वाले वास्तविक उम्मीदवारों को ही यह सुविधा मिल सके। इन दिशा-निर्देशों को निशक्तजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 2 (एस) की परिभाषा के तहत विशिष्ठ निशक्तता वाले व्यक्तियों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित करने संबंधी दिशा-निर्देश कहा जा सकता है, लेकिन यह धारा 2 (आर) के दायरे में नहीं आएगा।
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