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दुनिया से विदा लेने के बावजूद भी अमर कौर अमर हो गईं। उनकी आंखों से किसी की दुनिया का अंधेरा दूर होगा। नेत्रदान करने का संकल्प लेने वाली 103 वर्षीय वृद्धा को अंतिम विदाई देने से पूर्व परिजनों ने नेत्रदान कराया। मुरादाबाद के सीएल गुप्ता आई इंस्टीट्यूट की टीम ने नेत्रों को सुरक्षित किया। इसके बाद तिगरी में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार में शामिल हुए लोगों ने उनको विदाई देते हुए उनके काम को त्याग की मिसाल करार दिया।
यह दानवीर अमर कौर ब्लॉक के गांव अटारी मुरीदपुर की रहने वाली थीं। उनका भरा पूरा परिवार है। उनके बेटे चौधरी
हुकुम सिंह, चौधरी भगवंत सिंह, पौत्र कोमल सिंह, बबलू सिंह, रिश्तेदार नेमपाल सिंह और दामाद नगर पालिका के सभासद तेजपाल सिंह ने बताया कि अमर कौर यह इच्छा जताती थीं कि जब वह दुनिया को छोड़ें तो उनकी आंखों को किसी को दान कर दिया जाए। जिससे किसी की दुनिया का अंधेरा दूर हो सके। यह प्रेरणा उनको अपने भतीजे एवं जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अरविंद अमहेड़ा से मिली। अरविंद अमहेड़ा एक ऐसे संगठन से जुड़े हैं, जो लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करते हैं। परोपकार के लिए लोगों को जागरूक करते हैं। अमर कौर का बृहस्पतिवार की शाम निधन हुआ तो बेटों, परिजनों और रिश्तेदारों ने उनकी इच्छा को याद कर तत्काल सीएल गुप्ता आई इंस्टीट्यूट मुरादाबाद को सूचित किया। सूचना मिलते ही डॉ.दीपक सिंह अपनी टीम के साथ अटारी मुरीदपुर पहुंच गए। रात को ही टीम ने आंखों को सुरक्षित कर कॉर्निया लेने की प्रक्रिया संपन्न कराई। इस दौरान डॉ.दीपक सिंह ने कहा कि जिनको यह कॉर्निया लगाया जाएगा, उनकी दुनिया का अंधेरा दूर होगा। खास बात यह है कि जिस व्यक्ति को यह कॉर्निया लगाया जाएगा, उसका निधन होने के बाद किसी और को लगाया जा सकता है। इस तरह दुनिया को अलविदा करने के बावजूद अमर कौर अमर हो गईं। उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए लोगों ने त्याग को याद कर कहा कि वह सचमुच में त्याग की प्रति मूर्ति थीं। सैकड़ों की संख्या में लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
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दुनिया से विदा लेने के बावजूद भी अमर कौर अमर हो गईं। उनकी आंखों से किसी की दुनिया का अंधेरा दूर होगा। नेत्रदान करने का संकल्प लेने वाली 103 वर्षीय वृद्धा को अंतिम विदाई देने से पूर्व परिजनों ने नेत्रदान कराया। मुरादाबाद के सीएल गुप्ता आई इंस्टीट्यूट की टीम ने नेत्रों को सुरक्षित किया। इसके बाद तिगरी में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार में शामिल हुए लोगों ने उनको विदाई देते हुए उनके काम को त्याग की मिसाल करार दिया।
यह दानवीर अमर कौर ब्लॉक के गांव अटारी मुरीदपुर की रहने वाली थीं। उनका भरा पूरा परिवार है। उनके बेटे चौधरी
हुकुम सिंह, चौधरी भगवंत सिंह, पौत्र कोमल सिंह, बबलू सिंह, रिश्तेदार नेमपाल सिंह और दामाद नगर पालिका के सभासद तेजपाल सिंह ने बताया कि अमर कौर यह इच्छा जताती थीं कि जब वह दुनिया को छोड़ें तो उनकी आंखों को किसी को दान कर दिया जाए। जिससे किसी की दुनिया का अंधेरा दूर हो सके। यह प्रेरणा उनको अपने भतीजे एवं जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अरविंद अमहेड़ा से मिली। अरविंद अमहेड़ा एक ऐसे संगठन से जुड़े हैं, जो लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करते हैं। परोपकार के लिए लोगों को जागरूक करते हैं। अमर कौर का बृहस्पतिवार की शाम निधन हुआ तो बेटों, परिजनों और रिश्तेदारों ने उनकी इच्छा को याद कर तत्काल सीएल गुप्ता आई इंस्टीट्यूट मुरादाबाद को सूचित किया। सूचना मिलते ही डॉ.दीपक सिंह अपनी टीम के साथ अटारी मुरीदपुर पहुंच गए। रात को ही टीम ने आंखों को सुरक्षित कर कॉर्निया लेने की प्रक्रिया संपन्न कराई। इस दौरान डॉ.दीपक सिंह ने कहा कि जिनको यह कॉर्निया लगाया जाएगा, उनकी दुनिया का अंधेरा दूर होगा। खास बात यह है कि जिस व्यक्ति को यह कॉर्निया लगाया जाएगा, उसका निधन होने के बाद किसी और को लगाया जा सकता है। इस तरह दुनिया को अलविदा करने के बावजूद अमर कौर अमर हो गईं। उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए लोगों ने त्याग को याद कर कहा कि वह सचमुच में त्याग की प्रति मूर्ति थीं। सैकड़ों की संख्या में लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
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