बिजनौर में मॉल के बाहर बिना पार्किग के खड़े वाहन।
– फोटो : BIJNOR
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गजब का खेल : नक्शे में पार्किंग, मौके पर गायब, मौन हैं अफसर
बिजनौर। शहर में व्यापार की खातिर बड़े बड़े कॉम्पलेक्स खड़े हो रहे हैं लेकिन पार्किंग की चिंता किसी को नहीं। सिर्फ शापिंग कॉम्पलेक्स ही नहीं बल्कि अन्य व्यवसायिक भवनों समेत अस्पतालों का भी यही हाल है। यह गजब का खेल चल रहा है। बिना पार्किंग नक्शे पास नहीं हो सकते, अब भवन बनकर तैयार हो जाता है तो धरातल पर पार्किंग गायब होती है। इन भवनों के सामने सड़क को ही पार्किंग बना दिया जाता है। खामियाजा भुगतना पड़ रहा है आम जनता को जबकि जिम्मेदार अफसर मौन साधे हुए हैं।
कुछ साल पहले तक जिले में वाहनों की संख्या कम थी तो बाद अलग थी। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कुछ ही लोग रहे हैं। बाकी लोगों के पास अपनी कार और बाइक हैं। गांव देहात से भी लोग शहर आते हैं तो अपने वाहनों के संग।
जहां काम होगा, उसी भवन के सामने सड़क पर गाड़ी पार्क कर दिए जाने का जिला मुख्यालय पर चन हो चुका है। हालांकि व्यवसायिक भवनों को पार्किंग बनानी चाहिए। कानून में भी इसका प्रावधान है। इतना ही नहीं नक्शे पास करते हुए भी पार्किंग होना दर्शाया जाता है। परंतु मौके पर पार्किंग नहीं है। एक शॉपिंग मॉल में पार्किंग है लेकिन लोग पार्किंग के शुल्क से बचने के लिए सड़क पर ही वाहनों का खड़ा कर देते हैं।
अस्पतालों में नहीं है पार्किंग
ताज्जुब की बात यह है कि अस्पतालों के बाहर ही पार्किंग नहीं है। जबकि सबसे ज्यादा वाहन इनके सामने ही खड़े मिलते हैं। पार्किंग नहीं होने की वजह से कई बार तीमारदारों की बाइक अस्पतालों के बाहर से ही चोरी होती हैं।
अधिकांश शादी मंडप भी पार्किंग विहीन
शादी मंडप के लाइसेंस के साथ सबसे पहले पार्किंग का प्रावधान होना जरुरी है। फिर भी जिला मुख्यालय पर अधिकांश मंडप बिना पार्किंग ही संचालित हो रहे हैं। शादी या अन्य कोई कार्यक्रम होने पर सड़क जाम हो जाती है, जिसकी वजह है सड़क को पार्किंग के रुप में इस्तेमाल करना।
वर्जन:::
पार्किंग नहीं होने पर व्यवसायिक भवन के ध्वस्तीकरण का भी प्रावधान है। हालांकि अब ऐसे भवनों के स्वामियों को नोटिस जारी किए जाएंगे, जिनके पास पार्किंग नहीं है। इसके लिए अभियान चलाया जाएगा।
…मोहित कुमार, एसडीएम सदर
गजब का खेल : नक्शे में पार्किंग, मौके पर गायब, मौन हैं अफसर
बिजनौर। शहर में व्यापार की खातिर बड़े बड़े कॉम्पलेक्स खड़े हो रहे हैं लेकिन पार्किंग की चिंता किसी को नहीं। सिर्फ शापिंग कॉम्पलेक्स ही नहीं बल्कि अन्य व्यवसायिक भवनों समेत अस्पतालों का भी यही हाल है। यह गजब का खेल चल रहा है। बिना पार्किंग नक्शे पास नहीं हो सकते, अब भवन बनकर तैयार हो जाता है तो धरातल पर पार्किंग गायब होती है। इन भवनों के सामने सड़क को ही पार्किंग बना दिया जाता है। खामियाजा भुगतना पड़ रहा है आम जनता को जबकि जिम्मेदार अफसर मौन साधे हुए हैं।
कुछ साल पहले तक जिले में वाहनों की संख्या कम थी तो बाद अलग थी। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कुछ ही लोग रहे हैं। बाकी लोगों के पास अपनी कार और बाइक हैं। गांव देहात से भी लोग शहर आते हैं तो अपने वाहनों के संग।
जहां काम होगा, उसी भवन के सामने सड़क पर गाड़ी पार्क कर दिए जाने का जिला मुख्यालय पर चन हो चुका है। हालांकि व्यवसायिक भवनों को पार्किंग बनानी चाहिए। कानून में भी इसका प्रावधान है। इतना ही नहीं नक्शे पास करते हुए भी पार्किंग होना दर्शाया जाता है। परंतु मौके पर पार्किंग नहीं है। एक शॉपिंग मॉल में पार्किंग है लेकिन लोग पार्किंग के शुल्क से बचने के लिए सड़क पर ही वाहनों का खड़ा कर देते हैं।
अस्पतालों में नहीं है पार्किंग
ताज्जुब की बात यह है कि अस्पतालों के बाहर ही पार्किंग नहीं है। जबकि सबसे ज्यादा वाहन इनके सामने ही खड़े मिलते हैं। पार्किंग नहीं होने की वजह से कई बार तीमारदारों की बाइक अस्पतालों के बाहर से ही चोरी होती हैं।
अधिकांश शादी मंडप भी पार्किंग विहीन
शादी मंडप के लाइसेंस के साथ सबसे पहले पार्किंग का प्रावधान होना जरुरी है। फिर भी जिला मुख्यालय पर अधिकांश मंडप बिना पार्किंग ही संचालित हो रहे हैं। शादी या अन्य कोई कार्यक्रम होने पर सड़क जाम हो जाती है, जिसकी वजह है सड़क को पार्किंग के रुप में इस्तेमाल करना।
वर्जन:::
पार्किंग नहीं होने पर व्यवसायिक भवन के ध्वस्तीकरण का भी प्रावधान है। हालांकि अब ऐसे भवनों के स्वामियों को नोटिस जारी किए जाएंगे, जिनके पास पार्किंग नहीं है। इसके लिए अभियान चलाया जाएगा।
…मोहित कुमार, एसडीएम सदर
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