Publish Date: | Tue, 01 Nov 2022 10:25 AM (IST)
अंबिकापुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य ने 22 वर्षों में विकास के कई आयाम गढ़े हैं। विशेषकर उत्तर छत्तीसगढ़ (सरगुजा संभाग) ने नक्सल क्षेत्र होने का अभिशाप भी वर्षों झेला किंतु कम समय में ही नक्सलियों की कमर तोड़ दी गई है और अब सरगुजा संभाग नक्सल मुक्त होने के बाद विकास की राह पकड़ चुका है। उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा ,बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया जिले ने विकास की ओर कदम रखा और शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, सड़क, पुल,पुलिया के साथ सामाजिक, राजनीतिक रूप से भी जागरूकता के साथ विकास का परचम लहराया है। उत्तर छत्तीसगढ़ के झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में कभी पुल, पुलिया के अभाव में टापू बनने की स्थिति बन जाती थी किंतु आज सरपट वाहन दौड़ रही हैं। सड़कें, पुल, पुलिया बनने के बाद शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आया है।
ग्रामीण क्षेत्र में छोटे-छोटे अस्पताल अब नया रूप ले चुके हैं। जहां अब बेहतर इलाज की सुविधा मिल रही है। महिलाएं जो घर से बाहर निकल नहीं पाती थीं आज लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर रही हैं। ग्राम पंचायत में पंच से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक के पद पर आसीन हैं। सुखद बात यह है कि राज्य स्थापना के 22 वें वर्ष में सरगुजा ,बलरामपुर, सूरजपुर और कोरिया जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर महिलाएं विराजमान हैं। सरगुजा लोकसभा क्षेत्र के लोकसभा सदस्य भी महिला हैं।इन महिलाओं ने इन वर्षों में जागरूकता दिखाई और नेतृत्व क्षमता दिखाते हुए अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का काम किया है। यही कारण है कि हजारों महिलाएं महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर स्वावलंबी बनी हैं। गांव-गांव में पेंशन इत्यादि का वितरण कर डिजिटल इंडिया की ओर भी यहां की महिलाओं ने कदम बढ़ाया है। महिलाएं पैसा कमाना सीखी हैं। छोटे-बड़े हर व्यवसाय को अपना चुकी हैं। सबसे बड़ी बात तो अंबिकापुर संभाग मुख्यालय की है जहां 450 महिलाओं ने अंबिकापुर शहर को राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता के क्षेत्र में पहचान दिलाई है। इन महिलाओं की बदौलत ही अंबिकापुर शहर वर्ष 2015 से लगातार स्वच्छता का सम्मान हासिल कर रहा है। इन वर्षों में इस क्षेत्र के लोगों ने भी जागरूकता की अमिट छाप छोड़ी है। लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में भी ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं ने 80 फीसद से अधिक मतदान कर जागरूकता दिखा मनचाहा प्रतिनिधि चुना है। जन प्रतिनिधियों पर क्षेत्र के विकास के लिए दबाव भी बनाया है। जनप्रतिनिधियों ने भी जागरूकता दिखाई और बुनियादी व्यवस्थाओं को उपलब्ध कराया है। अंबिकापुर मेडिकल कालेज इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
यहां स्वास्थ सुविधा के लिए लोग कुछ वर्ष पूर्व तरसते थे पर आज संभाग ही नहीं बल्कि पड़ोसी प्रांतों से भी लोग उपचार कराने पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति और अत्याधुनिक मशीनों से मेडिकल कालेज अटा पड़ा है जहां हर रोज जटिल आपरेशन भी हो रहे हैं। छोटे अस्पतालों को सर्व सुविधा युक्त बनाया गया है जो अन्य जिलों व शहरों के लिए प्रेरणा का काम कर रहा है। अंबिकापुर का मेडिकल कालेज कम वर्षों में ही मेडिकल की स्नातकोत्तर पढ़ाई के लिए तैयार हो गया। इस 22 वें स्थापना दिवस पर इस वर्ष पीजी कोर्स की शुरुआत भी हो गई है। यह इस क्षेत्र के मेडिकल शिक्षा के लिए बड़ी सौगात है। आवागमन के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग,राज्य मार्गों को बेहतर बनाने का भी काम हुआ है। सड़कें, पुल, पुलिया बनने के कारण कृषि के क्षेत्र में गजब का परिवर्तन आया है। सरगुजा क्षेत्र के किसानों ने टमाटर, मिर्च सहित अन्य साग सब्जियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं बल्कि पड़ोसी प्रांतों तक की मंडियों में अपनी उपज पहुंचा रहे हैं और मालामाल हो रहे हैं। अब तो सरगुजा क्षेत्र टमाटर का हब कहलाने लगा है।
उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा को मिला बढ़ावा
सरगुजा संभाग में इन वर्षों में उच्च शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है। हर ब्लाक में उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालय की स्थापना हुई व सरगुजा में ही विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद कई अच्छे पाठ्यक्रम शुरू होने से छात्रों को सीधे लाभ मिला है। मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेज का बेहतर संचालन अपने आप में उच्च शिक्षा के लिए बड़ा उदाहरण है।
विकास और व्यापार दिखा तो आबादी भी बढ़ी
उत्तर छत्तीसगढ़ का सरगुजा, बलरामपुर ,सूरजपुर व कोरिया जिला पड़ोसी प्रांतों से लगा है। ऐसे में जब राज्य तरक्की करने लगा तो पड़ोसी प्रांतों की नजर भी यहां पड़ी। अब तो पड़ोसी प्रांत के छात्र यहां पढ़ाई करने आते हैं और रोजी रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में अंबिकापुर ,सूरजपुर, बलरामपुर में लोग आकर बसने लगे हैं। अंबिकापुर संभाग मुख्यालय की आबादी दो दशक पूर्व लगभग 70 हजार थी जो बढ़कर दो लाख पार कर गई है।इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि पड़ोसी प्रांतों से भी यहां लोगों का आना सिर्फ रोजी,रोजगार,व्यवसाय की तलाश में हुआ है। यहां की शांति और रोजगार की उपलब्धता ने ही यहां की आबादी को बढ़ाया है।
जिला विभाजन ने विकास को दी मजबूती
राज्य बनने के बाद सरगुजा जिले का विभाजन हुआ और बलरामपुर, सूरजपुर जिला अस्तित्व में आया। इसका बड़ा लाभ भी विकास के रूप में देखने को मिला। बलरामपुर और सूरजपुर जिले की तरक्की और प्रशासन की अंतिम गांव तक पहुंचने से शासन की योजनाएं भी पहुंची और इसका ब्यापक प्रभाव भी दिखा। जिला मुख्यालय ,ब्लाक मुख्यालय की लंबी दौड़ छोटे-छोटे कामों के लिए लगानी पड़ती थी वह भी कम हुई। लोगों को मानसिक रूप से राहत मिली है व रोजगार व विकास के अवसर भी मिले।
Posted By: Yogeshwar Sharma
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