खत्म हो असमानता
शिक्षा के क्षेत्र को व्यवसाय में बदल दिया गया है। शिक्षा के निजीकरण से गुणवत्ता में सुधार तो हुआ नहीं, लेकिन वह गरीब तबके की पहुंच से बाहर जरूर हो गई। पूरे देश में एक समान शिक्षा होनी चाहिए और समान संसाधन भी उपलब्ध हों। एक तरफ आलीशान वातानुकूलित शिक्षण संस्थान हैं, तो दूसरी ओर जर्जर विद्यालय और हैं। यह असमानता नहीं होनी चाहिए.
-बिपिन चंद्र जोशी, बेंगलूरु
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शिक्षा को बना दिया व्यवसाय
निजी स्कूलों की मनमानी कम होने का नाम नहीं लें रही है। हर साल फीस बढ़ती ही जा रही है। निजी स्कूलों ने शिक्षा को व्यवसाय बना दिया है। हर साल किसी न किसी वजह से फीस बढ़ा दी जाती है। अभिभावकों का यह हाल है कि सब समझते हुए भी फीस देने को मजबूर हैं। हर साल शिकायतों का सिलसिला चलता है, लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं होती। आए दिन अभिभावकों से किसी न किसी कारण से मनमाना पैसा वसूला जाता है। सरकार को इन स्कूलों के खिलाफ ठोस कदम उठाना चाहिए। फीस की सीमा निर्धारित होनी चाहिये तथा पुस्तकें व यूनिफार्म भी कम मूल्य पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
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सरकारी विद्यालयों की स्थिति सुधारी जाए
निजी शिक्षण संस्थान संचालक न केवल अभिभावकों का आर्थिक शोषण करते हैं, बल्कि विद्यार्थियों को प्रताडि़त भी करते हैं। फीस पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। सरकार को निजी संस्थाओं के लिए गाइडलाइन जारी कर उसकी पालना करवानी चाहिए। निजी संस्थाओं की मनमानी रोकने के लिए सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा को सुधारकर उनमें नामांकन बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करना होगा।
-सी. आर. प्रजापति, हरढ़ाणी जोधपुर
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मनमानी पर लगे लगाम
निजी शिक्षण संस्थानों के द्वारा अच्छी शिक्षा देने के नाम पर जो मोटी रकम वसूली जा रही है, उस पर लगाम लगनी चाहिए। विशेष टीम गठित कर बिना पंजीयन व मान्यता के शिक्षण संस्थान खोलने वाले संचालकों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए। निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी रोकने के लिए जिला स्तर पर टोल फ्री नंबर जारी किया जाना चाहिए, जिसमें प्राप्त शिकायतों व सुझावों का तय समय सीमा मं े निराकरण करना चाहिए
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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कमाई का जरिया नहीं हैं शिक्षण संस्थान
निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी बढ़ती ही जा रही है। शिक्षा को परमार्थ न मान, कमाई का सुगम जरिया बना लिया गया है। उसके चलते गली-गली में अनेक शिक्षण संस्थान शुरू हो गए हैं। सरकार को निजी शिक्षण संस्थानों की बढ़ती मनमानी पर लगाम लगाने की जरूरत है। सस्ती और गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए सरकार को सरकारी स्कूलों पर ध्यान देना चाहिए।
-नरेश कानूनगो, देवास, मध्यप्रदेश.
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सरकारी शिक्षा तंत्र को मजबूत बनाएं
निजी विद्यालयों की मनमानी रोकने का एक ही उपाय है सरकारी शिक्षा तंत्र को मजबूत बनाना। शिक्षा पर हर एक बच्चे का पूरा अधिकार है। जितना एक छात्र के लिए शिक्षा आवश्यक है उतनी ही देश के लिए शिक्षित छात्र। आज देश में विद्यार्थियों के सामने सबसे बड़ी बाधा है एक सामान शिक्षा न मिल पाना। सरकारी स्कूलों का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सिर्फ समृद्ध लोगों के लिये ही बची है। सरकारी शिक्षकों को अन्य कामों में भी ज्यादा व्यस्त रखा जाता है जिसका फर्क सीधे पढ़ाई पर पड़ता है।
नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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सरकारी पोर्टल पर हो फीस जमा
निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश व फीस संग्रह का कार्य सरकारी ऑनलाइन पोर्टल पर हो किंतु इससे पहले निजी संस्थानों से भी सुझाव आमंत्रित कर सहमति से आगे बढऩे का रास्ता आवश्यक है।
-गोपाल लाल पंचोली, शाहपुरा
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