एक्टर और स्क्रीनराइटर Atul Kulkarni का एक ट्वीट तब भी चर्चा में आया था जब फिल्म रिलीज हुई थी। फिल्म के फ्लॉप होने को लेकर जिस तरह सोशल मीडिया पर रिएक्शन आ रहे थे, उस पर अतुल ने तब ट्वीट किया था, ‘जब बर्बादी को तमाशा समझकर जश्न मनाया जाने लगे तो कड़वे सच मलबे में बदल जाते हैं।’ अब ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में अतुल कुलकर्णी कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि किसी भी मामले का जवाब धर्म से जुड़ा हो सकता है। प्रेम, सम्मान, क्षमा के बल पर हम हर समस्या का समाधान कर सकते हैं। यह मेरी स्पष्ट राय है।’
‘लोग मैसेज भेज रहे, लाल सिंह चड्ढा की कर रहे हैं तारीफ’
टॉम हैंक्स की कल्ट क्लासिक फिल्म ‘फॉरेस्ट गम्प’ का बैकग्राउंड अमेरिका था। जबकि Laal Singh Chaddha में हिंदुस्तान है। अतुल कुलकर्णी फिल्म के अब तक के सफर पर खुशी और संतोष जाहिर करते हैं। वह कहते हैं, ‘हमने फिल्म को लेकर जो विजन तैयार किया था, हमने वही बनाया। हमने जो सोचा था, वैसे ही उसे पर्दे पर उतारा।’ नेटफ्लिक्स पर जब फिल्म आई तो इसे नए सिरे से प्यार मिला, इस पर अतुल कहते हैं, ‘हमने सिनेमा हॉल में इस प्यार को बहुत मिस किया। मुझे लगातार ऐसे मैसेज आ रहे हैं। हम लोगों के लिए फिल्में बनाते हैं और जब वे इसे पसंद करते हैं तो आपको अच्छा लगता है। यह फिल्म प्यार के बारे में है, मासूमियत के बारे में है, इसमें लाल के किरदार के मन में कोई द्वेष नहीं है। मुझे खुशी है कि प्यार पर बनी फिल्म को दर्शकों से देर से ही सही बहुत प्यार मिल रहा है।’
अतुल कुलकर्णी बोले- मैंने जो महसूस किया, कहानी में वही लिखा
अतुल कुलकर्णी से पूछा गया कि क्या कल्ट क्लासिक का रीमेक करना चुनौतीपूर्ण था? वह कहते हैं, ‘मैंने यह स्क्रिप्ट 12 दिनों में लिखी थी। जब मैंने इसे लिखना शुरू किया, तो मुझे नहीं पता था कि मैं एक स्क्रिप्ट लिख रहा हूं। यह बस ऐसे ही था कि लिखते हैं, देखते हैं यह कहां जाता है। मैंने जब Aamir Khan को फोन करके कहा कि मैंने कुछ लिखा है, तो मैंने ‘स्क्रिप्ट’ शब्द कहा। मैं एक पेशेवर लेखक नहीं हूं, लेकिन यह कुछ ऐसा था जिसे मैंने महसूस किया कि इसे बनाया जा सकता है। मैं एक उत्सुक स्टूडेंट की तरह हूं। हमारे देश में ही नहीं, दुनियाभर में सामाजिक और राजनीतिक रूप से जो कुछ हो रहा है, उसमें मेरी रुचि रहती है। मैं इन सभी चीजों को आत्मसात कर रहा था, इसलिए यह सब एकसाथ रखने की बात थी।’
‘लाल सिंह में ऐसी कई चीजें हैं जो फॉरेस्ट गम्प में नहीं हैं’
क्या अतुल ने ‘फॉरेस्ट गंप’ को इसलिए चुना कि यह एक देश के इतिहास और उसके लोगों की कहानी है? एक्टर ने कहा, ‘बिल्कुल। यही कारण है कि यह इतनी कल्ट फिल्म है। शायद ही हमने दुनिया या लोगों को एक खास वक्त में इस तरह से देखा हो। जो लोग फॉरेस्ट गम्प देख चुके थे, उनकी यह शिकायत रही कि यह असल फिल्म से अलग है। यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर है कि इतिहास कैसा रहा है। हमने कभी यह दावा नहीं किया कि हम ‘फॉरेस्ट गम्प’ का रीमेक बना रहे हैं। ऐसी कई चीजें हो सकती हैं जो फॉरेस्ट गम्प में नहीं हैं, लेकिन लाल सिंह चड्ढा में हैं और उसके विपरीत हैं।’
‘देश ने धर्म के नाम पर बहुत सी बाधाएं देखी हैं’
बहुत से दर्शकों का कहना है लाल सिंह चड्ढा ने ऐसा हिंदुस्तान दिखाया जो हम पहले हुआ करते थे, या शायद जैसा आज हमें होना चाहिए। क्या वाकई अतुल को भी ऐसा लगता है? वह कहते हैं, ‘जब आप इस तरह की फिल्म को भारतीय परिवेश के हिसाब से ढाल रहे हैं तो यह देखना होगा कि हमारे देश में कुछ ऐसी चीजें मौजूद हैं जो अमेरिका में नहीं थीं। जैसे धर्म या आतंकवाद वहां इतनी मजबूत से नहीं है। ऐसे में जब आप भारत की बात करते हैं तो स्वाभाविक रूप से, आपको उन बातों को, घटनाओं को दिखाना होगा। हमने कई सौ साल तक विघटन और व्यवधान को देखा है। खासकर हमारे देश में धर्म के कारण कई बार बाधाएं उत्पन्न हुई हैं। हमें इसे दिखाने की, इस पर बात करने की जरूरत थी। मेरे हिसाब से किसी भी तरह की नफरत का जवाब- सिर्फ धर्म से नहीं- प्यार, आपसी सम्मान, करुणा, क्षमा है। यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है।’
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