छत्तीसगढ़ न्यूज़ डेस्क, भारत सरकार के निर्देशानुसार यूजीसी से प्राप्त निर्देशों के अनुरूप विश्वविद्यालय में जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर आदिवासी समाज एवं बिरसा मुंडा के संघर्ष तथा उनके योगदान पर परिचर्चा आयोजित की गई. परिचर्चा पर यह कहा गया कि युवा पीढ़ी को आदिवासियों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान एवं समृद्ध इतिहास से अवगत कराना जरूरी है.
आदिवासियों की अनेक संघर्ष एवं त्याग की लोक गाथाएं आदिवासी समाजों में प्रचलित है. इन्हें लिपिबद्ध कर नए युवा पीढ़ी से इसे जोड़ा जाना आवश्यक है. भारत के आदिवासियों के संघर्षों के इतिहास को भारत के समृद्ध पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक धरोहरों को जो कि आदिवासियों के संघर्षों की कहानी बयां करते हैं. इस पर शोध कर उसे सामने लाने की आवश्यकता है. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से युवाओं को प्रेरणा लेना चाहिए कि किस तरीके से संघर्ष किया जाता है उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जनजाति नायकों एवं जनजाति समाज के लोगों पर रिसर्च किया जाएगा. उनके जीवन से जुड़े हर पहलुओं पर शोध होगा. सम कुलपति प्रोफ़ेसर जयति चटर्जी ने कहा कि जनजाति नायकों के संघर्षों की गाथा हर युवाओं को पढ़ना चाहिए. कुलसचिव गौरव शुक्ला कहा, विश्व विद्यालय जनजाति नायकों के संग्राम युवाओं तक पहुंचाने के लिए सतत प्रयासरत हैे. उन्होंने कहा कि जनजाति युवकोें को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें हर संभव मदद करने के लिए के विश्वविद्यालय हमेशा प्रयासरत है. डीन अकादमिक डॉ अरविंद तिवारी ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं को विद्यार्थियों से साझा किया. उन्होंने कहा कि जीवन शैली में सबसे उच्चतम और आदर्श जीवन शैली जनजाति की होती है .वह पर्यावरण प्रेमी एवं प्रकृति पूजा पर विश्वास करते हैं जो कि आज के समय की सबसे उत्तम जीवन शैली है.
बिलासपुर न्यूज़ डेस्क !!!
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