बॉम्बे हाईकोर्ट
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बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति के लिए उद्धव ठाकरे और उनके परिजनों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। वहीं दूसरी ओर, शहर में खुले मैनहोलों के कारण होने वाली मौतों को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को लताड़ लगाई है। साथ ही तत्काल प्रभाव से इन खुले हुए मैनहोलों को बंद करने का निर्देश दिया है।
ठाकरे और उनके परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग वाली जनहित याचिका से खुद को किया अलग
महाराष्ट्र हाईकोर्ट से उद्धव ठाकरे को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मंगलवार को शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के सदस्यों पर उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
मुंबई निवासी गौरी भिडे द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी। जिस पर पीठ ने बिना कोई कारण बताए खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। इस दौरान पीठ ने कहा कि मामले को एक अन्य उपयुक्त पीठ के समक्ष रखा जाएगा।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ गहन और निष्पक्ष जांच करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश देने का अनुरोध किया था।
कौन से आरोप हैं ठाकरे परिवार पर?
गौरी की याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिवसेना सुप्रीमो, उनके बेटे आदित्य और रश्मि ने अपनी आय के आधिकारिक स्रोत के रूप में कभी भी किसी विशेष सेवा, पेशे और व्यवसाय का खुलासा नहीं किया और फिर भी उनके पास मुंबई, रायगढ़ जिले में संपत्ति है जो अरबों में हो सकती है। याचिका में आगे आरोप लगाया गया था कि ठाकरे ने अवैध रूप से धन एकत्र किया है। केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा उनके सहयोगियों पर छापे से यह स्पष्ट हो जाता है कि कहीं न कहीं उनके पास आय से अधिक संपत्ति का मामला बन रहा है।
बीएमसी को दिए निर्देश
वहीं,मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ ने उन याचिकाओं पर भी सुनवाई की, जिनमें शहर की सड़कों पर गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर चिंता जताई गई थी। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील रूजू ठक्कर ने बताया कि ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे की सर्विस रोड पर लगभग 300 खुले मैनहोल हैं। उन्होंने दावा किया कि इस बाबत अधिकारियों के पास कई शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन एक भी मैनहोल को कवर नहीं किया गया है।
इस पर अदालत ने शहर में खुले मैनहोलों को ”मौत का जाल” बताते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को इन्हें तत्काल बंद करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि 28 नवंबर तक सभी खुले मैनहोल को कवर करने और 1 दिसंबर को नगर निकाय को एक अनुपालन रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है।
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