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पीतल उद्योग जिले में प्राचीन होने के बावजूद निर्यात की दिशा में आगे नहीं बढ़ सका है। ओडीओपी के तहत प्रदेश सरकार की ओर से पीतल उद्योग को भी शामिल किया गया है। पीतल से जुड़े उद्यमियों को भी आगे बढ़ने के लिए नई तकनीकी अपनानी होगी। इसके लिए नई डिजाइनों की तरफ ध्यान देना होगा। इसके लिए जिला प्रशासन उद्यमियों का हर संभव सहयोग करेगा।
ये बातें मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) श्रीलक्ष्मी वीएस ने विकास भवन सभागार में आयोजित निर्यात एवं निवेश जागरूकता गोष्ठी में कहीं। उन्होंने कहा कि जनपद के विभिन्न उत्पादों के निर्यात एवं उद्योग को बढ़ावा देने के बाबत निवेश के लिए जो भी प्रशासनिक मदद हो सकती है, उसे दिलाने में हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्पेट, दरी उद्योग पहले से ही विदेशों में निर्यात कर अपने आप को स्थापित कर चुका है, लेकिन पीतल उद्योग जिले का प्राचीन उद्योग होने के बावजूद निर्यात की दिशा में आगे नहीं बढ़ सका है।
सीडीओ ने बताया कि ओडीओपी के तहत प्रदेश सरकार की ओर से पीतल उद्योग को भी शामिल किया गया है। पीतल से जुड़े उद्यमियों को भी नई तकनीकी अपनाकर नई डिजाइनों की तरफ ध्यान देना होगा।
गोष्ठी में पीतल एसोसिएशन के मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों को भी आगे आने की जरूरत है। तभी निर्यात की दिशा में पीतल उद्योग को आगे ले जाया जा सकता है। उद्यमी भोला नाथ पांडेय ने कहा कि नए उद्योगों की स्थापना के लिये बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिला प्रशासन को बैंकों से समय पर व सुचारु ढंग से उद्यमियों को ऋण मुहैया कराने की दिशा में प्रयास करना होगा।
चुनार पॉटरी उद्योग के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने पॉटरी उद्योग के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए इसको बढ़ावा दिए जाने की मांग की। ओबीटी के निदेशक राजेश मिश्रा के अलावा कल्याण अग्रवाल व उप निदेशक कृषि अशोक उपाध्याय ने विभिन्न फसलों व सब्जियों की गुणवत्ता का उल्लेख करते हुए इस दिशा में प्रगतिशील कृषकों व एफपीओ को मदद करने पर जोर दिया। गोष्ठी में प्रभारी उपायुक्त उद्योग अशोक कुमार व उद्यमी मौजूद रहे।
पीतल उद्योग जिले में प्राचीन होने के बावजूद निर्यात की दिशा में आगे नहीं बढ़ सका है। ओडीओपी के तहत प्रदेश सरकार की ओर से पीतल उद्योग को भी शामिल किया गया है। पीतल से जुड़े उद्यमियों को भी आगे बढ़ने के लिए नई तकनीकी अपनानी होगी। इसके लिए नई डिजाइनों की तरफ ध्यान देना होगा। इसके लिए जिला प्रशासन उद्यमियों का हर संभव सहयोग करेगा।
ये बातें मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) श्रीलक्ष्मी वीएस ने विकास भवन सभागार में आयोजित निर्यात एवं निवेश जागरूकता गोष्ठी में कहीं। उन्होंने कहा कि जनपद के विभिन्न उत्पादों के निर्यात एवं उद्योग को बढ़ावा देने के बाबत निवेश के लिए जो भी प्रशासनिक मदद हो सकती है, उसे दिलाने में हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्पेट, दरी उद्योग पहले से ही विदेशों में निर्यात कर अपने आप को स्थापित कर चुका है, लेकिन पीतल उद्योग जिले का प्राचीन उद्योग होने के बावजूद निर्यात की दिशा में आगे नहीं बढ़ सका है।
सीडीओ ने बताया कि ओडीओपी के तहत प्रदेश सरकार की ओर से पीतल उद्योग को भी शामिल किया गया है। पीतल से जुड़े उद्यमियों को भी नई तकनीकी अपनाकर नई डिजाइनों की तरफ ध्यान देना होगा।
गोष्ठी में पीतल एसोसिएशन के मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों को भी आगे आने की जरूरत है। तभी निर्यात की दिशा में पीतल उद्योग को आगे ले जाया जा सकता है। उद्यमी भोला नाथ पांडेय ने कहा कि नए उद्योगों की स्थापना के लिये बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिला प्रशासन को बैंकों से समय पर व सुचारु ढंग से उद्यमियों को ऋण मुहैया कराने की दिशा में प्रयास करना होगा।
चुनार पॉटरी उद्योग के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने पॉटरी उद्योग के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए इसको बढ़ावा दिए जाने की मांग की। ओबीटी के निदेशक राजेश मिश्रा के अलावा कल्याण अग्रवाल व उप निदेशक कृषि अशोक उपाध्याय ने विभिन्न फसलों व सब्जियों की गुणवत्ता का उल्लेख करते हुए इस दिशा में प्रगतिशील कृषकों व एफपीओ को मदद करने पर जोर दिया। गोष्ठी में प्रभारी उपायुक्त उद्योग अशोक कुमार व उद्यमी मौजूद रहे।
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